सारण: बिहार सरकार उच्च शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है. वहीं, हाईटेक तरीके से पढ़ाई के लिए करोड़ों रूपयों का अनुदान भी दे रही है. जयप्रकाश विश्विद्यालय से एफलिएटेड नंदलाल सिंह कॉलेज में शिक्षक या छात्राओं के लिए एक कॉमन रूम की व्यवस्था तक नहीं है. कॉलेज की स्थापना को 51 वर्ष हो गए हैं. यह जिले का एकलौता कॉलेज है जहां दूर-दूर से छात्र और छात्राएं पढ़ने आते हैं.
पेयजल की भी व्यवस्था नहीं
कॉलेज की स्थिति यह है कि इंटर से लेकर स्नातक तक विद्यार्थियों के पढ़ाई के लिए मात्र पांच क्लास रुम हैं. हालत यह है कि विद्यार्थियों को भौतिकी और रसायन विज्ञान के लैब में पढ़ाया जाता हैं. महाविद्यालय प्रबंधन ने विश्वविद्यालय से लेकर राज्य सरकार तक को लिखित शिकायत की है. लेकिन आज तक किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई हैं. शिक्षक और छात्रों को सुविधाओं के कमी के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. नंदलाल सिंह कॉलेज की स्थापना के 51 वर्ष पूरे हो गए. लेकिन आज तक यहां पर शुद्ध पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है.
ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत
नंदलाल सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. केपी श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कहा कि कॉलेज में जो भी कमियां हैं. उसको पत्र के माध्यम से जेपीयू के कुलपति महोदय और राजभवन को भी लिखित सूचना कई बार दी गई है. लेकिन, आज तक संबंधित विभाग ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया है. जबकि, इस कॉलेज में बेहतर शिक्षा की उम्मीद को लेकर लगभग 10 किलोमीटर दूर से छात्र साइकिल से पढ़ने आते हैं.
लैब की पढ़ाई से वंचित होने को मजबूर छात्र-छात्राएं
प्राचार्य का कहना है कि एक विभाग के लिए तीन कमरा और लैब के लिए दो कमरे होने चाहिए. लेकिन, यहां कुल पांच क्लासरुम ही है. वहीं, क्लास रूम की कमी के वजह से लैब में विद्यार्थियों को पढ़ाने को हम मजबूर हैं. पढ़ाने में छात्रों को दिक्कत तो होती ही है, साथ ही लैब की समुचित व्यवस्था होने के बावजूद लैब की पढ़ाई से छात्र वंचित रहते हैं. यहां शिक्षकों के कुल 34 पोस्ट हैं. जिसमें मात्र 14 शिक्षक कार्यरत हैं जबकि 20 शिक्षकों के पोस्ट खाली हैं. इसी तरह गैर शिक्षकों की बात करें तो 33 पद सृजित हैं. जिसमें पांच ही कार्यरत हैं. जबकि 28 पोस्ट वर्षो से खाली पड़े हुए हैं.