सारण: जिले में कोरोना का कहर के बीच बाढ़ के कारण मुसीबत दोगुनी हो गई है. लोग किसी तरह गुजर-बसर करने को मजबूर नजर आ रहे हैं. जिले के तरैया, पानापुर, मकेर, मसरख, मढ़ौरा, अमनौर, परसा, गरखा सहित 105 पंचायत के 468 गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है.
जानकारी के मुताबिक बाढ़ से 725895 आबादी प्रभावित है. किसानों की फसल पूरी तरह डूब चुकी है. किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही हैं. ऐसे में उनका कहना है कि सरकार से भी कोई मदद नहीं मिल रही है.
बर्बाद हुई धान की फसल
दरअसल, गरखा के पास मैकी गांव में कुछ दिनों पहले बाढ़ का पानी घुस गया. इस दौरान खेतों में लगी धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई. मजबूरी में जान बचाने के लिए वे एनएच 722 पर शरण लिए हुए हैं. किसानों की मानें तो मक्का, धान और सब्जी की खेती पूरी तरह से डूब गया है.
अच्छे फसल की आस
किसानों का कहना है कि इस बार अच्छी फसल की उम्मीद थी. जिले में अच्छी बारिश हो रही थी इसलिए बड़ी मात्रा में धान की बुआई किए थे. लेकिन बाढ़ ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया. उन्हें आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है. जबकि पहले ही कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने उनकी कमर तोड़ कर रख दी थी.
नाकाफी साबित हो रही सरकारी मदद
एनएच पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों की मानें तो सरकार की ओर से अब तक एक नाव तक की व्यवस्था नहीं की गई है. बुजुर्ग महिला पार्वती कुंवर ने बताया कि कभी जिंदगी में ऐसी बाढ़ नहीं देखी थी. छाती भर पानी हेल के लोग अपने घर से सड़क पर आते-जाते हैं. एनएच पर रहने में भी डर बना रहता है. आए दिन सड़क हादसा होता है. उन्हें पीने का पानी तक नसीब नहीं है. पानी के लिए 3 किलोमीटर जाना पड़ता है.