छपरा: जिले के बनियापुर प्रखण्ड के कराह पंचायत के इब्राहिमपुर गांव के सीमा पर स्थित चर्चित वैष्णवी माता गढ़देवी मंदिर पर सरकार का ध्यान नही जा रहा है. लोगों के आस्था का केंद्र रहे इस मंदिर और इसके परिसर को कला संस्कृति युवा विभाग ने एक दशक पूर्व ही चाहरदीवारी निर्माण करवा कर संरक्षित करने का काम किया था. इसे दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित करने का भी सार्थक प्रयास किया गया था.
मंदिर का हुआ है अधूरा निर्माण
कला, संस्कृति और पुरातत्व विभाग के चाहरदीवारी निर्माण के बाद स्थानीय लोग आपसी सहयोग से बना रहे मंदिर निर्माण को अधूरा छोड़ दिया है. गढ़देवी मंदिर और उसका परिसर धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रहा है. सौंदर्यीकरण के नाम पर मनरेगा के तहत लाखों रुपये का उठाव कर केवल बड़े-बड़े गड्ढे खुदवाये गये हैं जो लोगो के लिए परेशानी का सबब है.
स्वर्णिम रहा है इतिहास
लोकचर्चाओं के अनुसार भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ, ताड़कासुर बध और अहिल्या उद्धार के बाद इसी रास्ते से होकर जनकपुर गये थे. प्राचीन काल में इसे हरिपुर के राह के नाम से जाना जाता था. वहीं लोगों का कहना है कि श्री राम भी इस स्थल की पूजा अर्चना किये थे.
पिंडी स्वरूप की होती है पूजा अर्चना
गौरतलब है कि यहां माता के सातो बहनों की पिंड स्वरूप की पूजा करने की परंपरा है. स्थानीय गांव के लोग सभी मांगलिक कार्यो की शुरुआत माता रानी की पूजा अर्चना से ही करते हैं. वैसे तो माता की पूजा प्रतिदिन की जाती है. परंतु, शारदीय तथा चैत्र नवरात्रा में मां की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. चैत नवरात्रा में भी गढ़देवी मंदिर परिसर में मेला भी लगता है.