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Chhath Puja 2023 : छठ पूजा की सामग्रियों में एक है अरता पात, जानिए क्यों इसका निर्माण धार्मिक सद्भावना की मिसाल मानी जाती है

लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाली पूजा सामग्रियों में एक अरता के पत्ता का निर्माण बिहार के सारण में होता है. यहीं से यह बिहार सहित देश व विदेशों तक भेजा जाता है. इसे तैयार करने के पीछे धार्मिक सद्भावना की अनूठी कहानी जुड़ी है. पढ़ें पूरी खबर..

Chhath Puja 2023 Etv Bharat
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 14, 2023, 4:43 PM IST

Updated : Nov 14, 2023, 5:42 PM IST

छपरा में आरता पात का निर्माण

सारण : लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा त्योहार है. इसमें तमाम सामग्रियों का इस्तेमाल होता है और इन्हीं में से एक अरता का पत्ता है. इसे समाज के हर वर्ग के लोग बनाते हैं. छठ पूजा में अरता का पात एक जरूरी सामग्री होती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका निर्माण ज्यादातर मुस्लिम परिवार के लोग करते हैं. छपरा के अवतार नगर थाना के झौआ गांव के कई मुस्लिम परिवार पिछले 150 साल से छठ पूजन के लिए अरता पात बनाने में लगे हुए हैं.

मुस्लिम परिवार तैयार करते हैं अरता पात : छठ पूजा में प्रयोग होने वाला अरता पात छठ के लिए महत्वपूर्ण पूजन सामग्रियों में से एक है, लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि इसे बनाने वाले अधिकांश लोग मुस्लिम परिवारों के होते हैं. छपरा के झौआ गांव में अरता पात का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है और यहां से बिहार के साथ-साथ देश और दुनिया के अन्य स्थानों में जाता है. इस गांव के रहने वाले बताते हैं कि "उनका परिवार पिछले कई पीढ़ियों से इस काम में लगा रहा है और उनके घर के बच्चे और महिलाएं सभी मिलकर आरत पात बनाते हैं."

आरता पात के साथ महिला
आरता पात के साथ महिला

छोटे से गांव झौआ में होता है निर्माण : छठ एक ऐसा पर्व है, जिसमें सामाजिक समरसता और सहयोग दिखता है. छोटे से गांव झौआ की एक बड़ी आबादी इस काम में लगभग सालों भर लगी रहती है. वैसे तो कई अन्य पूजन कार्यों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन छठ के दौरान अरता पात की खपत काफी बढ़ जाती है. इस कारण इस वक्त यहां इसे बड़े पैमाने उत्पादन किया जाता है और यहां से बनने वाला अरता पात देश के साथ-साथ विदेशों में भेजा जाता है.

"छठ पूजा के इसका बहुत महत्व है. पहले से ही हमलोग बना-बनाकर रखते हैं, तब बाहर के व्यापारी आते हैं और इसको लेकर जाते हैं. अकौन की रुई से बनता है. इसे आटा, राख, लाल रंग से बनाया जाता है. इसे बनाकर पानी में उबाला जाता है. फिर सुखाकर दस-दस पात का बंडल बनाया जाता है"- महिला कारीगर

झौआ में बना अरता पात की पूरे देश में होती है बिक्री : सारण जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर झौआ गांव स्थित है. यहां बनने वाले अरता पात को खरीदने के लिए राज्य के दूसरे जिलों के लोग भी झौआ गांव पहुंचते हैं और यहां के लोगों को आर्थिक फायदा भी होता है. छठ को लेकर झौआ गांव फिर सुर्खियों में है. यहां का बना अरता पात एक बार फिर बिहार के बाजारों में पहुंचने लगा है. आज परंपरा के साथ जुड़ा यह उद्योग कठिनाइयों के दौर से गुजरते हुए भी इस गांव की पहचान बन गया है.

ये भी पढ़ें : Chhath Puja 2023: पटना में छठ पूजा की तैयारी तेज, 100 घाटों का होगा निर्माण, आयुक्त ने सुविधाओं का लिया जायजा

छपरा में आरता पात का निर्माण

सारण : लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा त्योहार है. इसमें तमाम सामग्रियों का इस्तेमाल होता है और इन्हीं में से एक अरता का पत्ता है. इसे समाज के हर वर्ग के लोग बनाते हैं. छठ पूजा में अरता का पात एक जरूरी सामग्री होती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका निर्माण ज्यादातर मुस्लिम परिवार के लोग करते हैं. छपरा के अवतार नगर थाना के झौआ गांव के कई मुस्लिम परिवार पिछले 150 साल से छठ पूजन के लिए अरता पात बनाने में लगे हुए हैं.

मुस्लिम परिवार तैयार करते हैं अरता पात : छठ पूजा में प्रयोग होने वाला अरता पात छठ के लिए महत्वपूर्ण पूजन सामग्रियों में से एक है, लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि इसे बनाने वाले अधिकांश लोग मुस्लिम परिवारों के होते हैं. छपरा के झौआ गांव में अरता पात का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है और यहां से बिहार के साथ-साथ देश और दुनिया के अन्य स्थानों में जाता है. इस गांव के रहने वाले बताते हैं कि "उनका परिवार पिछले कई पीढ़ियों से इस काम में लगा रहा है और उनके घर के बच्चे और महिलाएं सभी मिलकर आरत पात बनाते हैं."

आरता पात के साथ महिला
आरता पात के साथ महिला

छोटे से गांव झौआ में होता है निर्माण : छठ एक ऐसा पर्व है, जिसमें सामाजिक समरसता और सहयोग दिखता है. छोटे से गांव झौआ की एक बड़ी आबादी इस काम में लगभग सालों भर लगी रहती है. वैसे तो कई अन्य पूजन कार्यों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन छठ के दौरान अरता पात की खपत काफी बढ़ जाती है. इस कारण इस वक्त यहां इसे बड़े पैमाने उत्पादन किया जाता है और यहां से बनने वाला अरता पात देश के साथ-साथ विदेशों में भेजा जाता है.

"छठ पूजा के इसका बहुत महत्व है. पहले से ही हमलोग बना-बनाकर रखते हैं, तब बाहर के व्यापारी आते हैं और इसको लेकर जाते हैं. अकौन की रुई से बनता है. इसे आटा, राख, लाल रंग से बनाया जाता है. इसे बनाकर पानी में उबाला जाता है. फिर सुखाकर दस-दस पात का बंडल बनाया जाता है"- महिला कारीगर

झौआ में बना अरता पात की पूरे देश में होती है बिक्री : सारण जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर झौआ गांव स्थित है. यहां बनने वाले अरता पात को खरीदने के लिए राज्य के दूसरे जिलों के लोग भी झौआ गांव पहुंचते हैं और यहां के लोगों को आर्थिक फायदा भी होता है. छठ को लेकर झौआ गांव फिर सुर्खियों में है. यहां का बना अरता पात एक बार फिर बिहार के बाजारों में पहुंचने लगा है. आज परंपरा के साथ जुड़ा यह उद्योग कठिनाइयों के दौर से गुजरते हुए भी इस गांव की पहचान बन गया है.

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Last Updated : Nov 14, 2023, 5:42 PM IST
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