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Chapra Tranding News: स्वीट हाउस चला रहे छपरा के STET पास दो भाई, 'बेरोजगारी' का ठप्पा दुकान पर लगाया - Bihar STET Qualify

छपरा मुजफ्फरपुर एनएच 722 पर कटसा चौक के पास STET पास दो भाइयों ने मिठाई की दुकान खोली है. 4-5 साल से दोनों भाई नौकरी का इंतजार कर रहे हैं. सरकार बदली लेकिन इनकी किस्मत नहीं पलटी. यही कारण है कि परिवार का पेट पालने के लिए दोनों भाइयों पिता के मिठाई की दुकान में हाथ बंटाना पड़ा.

सारण
एसटीईटी बेरोजगार स्वीट्स हाउस छपरा
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Published : Feb 14, 2023, 5:02 PM IST

नौकरी की आस में छपरा के बेरोजगार, एसटीईटी पास हैं लेकिन तल रहे पकौड़े

छपरा: बिहार के छपरा में एसटीईटी पास दो भाई अब पकौड़े और समोसे तल रहे हैं. नौकरी मिलने का सपना देखना भी दोनों भाइयों ने देखना छोड़ दिया है. मनोज और अजीत ने साल 2019 और 2020 में टीईटी पास किया. बचपन से ही दोनों लक्ष्य लेकर चले थे कि बड़े होकर टीचर बनेंगे. दोनों ने खूब मेहनत की और उनकी मेहनत रंग भी लाई. दोनों भाई STET पास कर गए. कुछ समय इंतजार किया लेकिन जब घर की माली हालत बिगड़ने लगी तो अपने पुश्तैनी धंधे की ओर मजबूरी में लौट आए. सारण के कटसा चौक पर इनके पिता की मिठाई की दुकान थी, लेकिन बेटों को पढ़ाने-लिखाने के कारण ठीक से नहीं चल पा रही थी.

ये भी पढ़ें- Bihar TET News: टीईटी शिक्षक संघ की मांग- 'NIOS से प्रशिक्षण पूरा होने की तिथि से मिले वेतनमान'

'STET पास बेरोजगार स्वीट हाउस' : मनोज कुमार गुप्ता साल 2019 में टीईटी पास की फिर अगले ही साल अजीत गुप्ता ने क्वालीफाई किया. घरवालों को उम्मीद जगी की देर सवेर इन्हें बिहार में सरकारी नौकरी तो मिल ही जाएगी. लेकिन सरकार की बेरूखी के चलते दोनों भाइयों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. पिता भी निराश हो गए. फिर भी दोनों भाई हर महीने काउंसलिंग की तारीखों का इंतजार करते रहे. लेकिन वो तारीख कभी नहीं आई जिसमें इन दोनों के नाम का कॉल लेटर था.

''मैं एक से 5वीं की क्लास और 6th से आठवीं तक की क्लास के लिए टेट पास हूं. सरकार की नीयत ही नहीं है कि नौकरी मिले. सरकार हर बार हवा बनाती है कि इस बार निकल जाएगा, इस बार निकल रहा है, लेकिन अभी तक हमें नौकरी नहीं मिली. अब सरकार कह रही है कि नई नियमावली आएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है. मिठाई की दुकान ही चलाना मजबूरी है. पेट को लिए तो कुछ चाहिए ही.'' - मनोज कुमार गुप्ता, मिठाई दुकान संचालक, एसटीईटी पास 2019

पढ़ लिखकर भी बेरोजगारी का ठप्पा : तब तक दोनों भाइयों पर बेरोजगारी का ठप्पा लग चुका था. मजबूरी में मनोज और अजीत ने अपनी पुस्तैनी दुकान को संभाल लिया और अपने ऊपर लगे बेरोजगारी के ठप्पे को दुकान की नाम से जोड़ दिया. मिठाई की दुकान का नाम 'CTET/STET पास बेरोजगार स्वीट हाउस' रख दिया. जो भी इस दुकान पर आता नाम देखकर दोनों भाइयों की काबिलियत और सरकारी बेरुखी पर ध्यान जरूर जाता.

''देखिए न यही सरकार की उपलब्धि है. हम लोग क्या कर सकते हैं. हम लोग तो हर वैकेंसी में इतजार करते हैं कि अब नौकरी लगेगा, अब नौकरी लगेगा लेकिन अभी तक नौकरी नहीं लगी.'' - शंकर प्रसाद गुप्ता, सीटीईटी पास बेरोजगार स्वीट हाउस संचालक के पिता

बनना था टीचर बन गए स्वीटमेकर : जब से मनोज और अजीत ने दुकान को पिता के साथ मिलकर अपने हाथ बंटाना शुरू किया तब से तरक्की के रास्ते पर हैं. पैसा कमाना रोजगार हो सकता है लेकिन अपने मन मुताबिक जॉब पाना एक पैशन है. दोनों भाइयों को सरकारी नौकरी की उम्मीद भी दम तोड़ चुकी है.

''हमारी पहले से दुकान थी. जब नौकरी नहीं लगी तो दुकान को डेवलप की. हमारी दुकान पर हर तरह की मिठाई मिलती है. टीचर बनने के लिए पढ़ाई की लेकिन अभी तक हमें नौकरी नहीं मिली. हम दोनों भाई एसटीईटी पास हैं. अब सरकार से क्या उम्मीद करें.'' - अजीत कुमार गुप्ता, मिठाई दुकान संचालक, एसटीईटी पास 2020

नौकरी की आस में छपरा के बेरोजगार, एसटीईटी पास हैं लेकिन तल रहे पकौड़े

छपरा: बिहार के छपरा में एसटीईटी पास दो भाई अब पकौड़े और समोसे तल रहे हैं. नौकरी मिलने का सपना देखना भी दोनों भाइयों ने देखना छोड़ दिया है. मनोज और अजीत ने साल 2019 और 2020 में टीईटी पास किया. बचपन से ही दोनों लक्ष्य लेकर चले थे कि बड़े होकर टीचर बनेंगे. दोनों ने खूब मेहनत की और उनकी मेहनत रंग भी लाई. दोनों भाई STET पास कर गए. कुछ समय इंतजार किया लेकिन जब घर की माली हालत बिगड़ने लगी तो अपने पुश्तैनी धंधे की ओर मजबूरी में लौट आए. सारण के कटसा चौक पर इनके पिता की मिठाई की दुकान थी, लेकिन बेटों को पढ़ाने-लिखाने के कारण ठीक से नहीं चल पा रही थी.

ये भी पढ़ें- Bihar TET News: टीईटी शिक्षक संघ की मांग- 'NIOS से प्रशिक्षण पूरा होने की तिथि से मिले वेतनमान'

'STET पास बेरोजगार स्वीट हाउस' : मनोज कुमार गुप्ता साल 2019 में टीईटी पास की फिर अगले ही साल अजीत गुप्ता ने क्वालीफाई किया. घरवालों को उम्मीद जगी की देर सवेर इन्हें बिहार में सरकारी नौकरी तो मिल ही जाएगी. लेकिन सरकार की बेरूखी के चलते दोनों भाइयों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. पिता भी निराश हो गए. फिर भी दोनों भाई हर महीने काउंसलिंग की तारीखों का इंतजार करते रहे. लेकिन वो तारीख कभी नहीं आई जिसमें इन दोनों के नाम का कॉल लेटर था.

''मैं एक से 5वीं की क्लास और 6th से आठवीं तक की क्लास के लिए टेट पास हूं. सरकार की नीयत ही नहीं है कि नौकरी मिले. सरकार हर बार हवा बनाती है कि इस बार निकल जाएगा, इस बार निकल रहा है, लेकिन अभी तक हमें नौकरी नहीं मिली. अब सरकार कह रही है कि नई नियमावली आएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है. मिठाई की दुकान ही चलाना मजबूरी है. पेट को लिए तो कुछ चाहिए ही.'' - मनोज कुमार गुप्ता, मिठाई दुकान संचालक, एसटीईटी पास 2019

पढ़ लिखकर भी बेरोजगारी का ठप्पा : तब तक दोनों भाइयों पर बेरोजगारी का ठप्पा लग चुका था. मजबूरी में मनोज और अजीत ने अपनी पुस्तैनी दुकान को संभाल लिया और अपने ऊपर लगे बेरोजगारी के ठप्पे को दुकान की नाम से जोड़ दिया. मिठाई की दुकान का नाम 'CTET/STET पास बेरोजगार स्वीट हाउस' रख दिया. जो भी इस दुकान पर आता नाम देखकर दोनों भाइयों की काबिलियत और सरकारी बेरुखी पर ध्यान जरूर जाता.

''देखिए न यही सरकार की उपलब्धि है. हम लोग क्या कर सकते हैं. हम लोग तो हर वैकेंसी में इतजार करते हैं कि अब नौकरी लगेगा, अब नौकरी लगेगा लेकिन अभी तक नौकरी नहीं लगी.'' - शंकर प्रसाद गुप्ता, सीटीईटी पास बेरोजगार स्वीट हाउस संचालक के पिता

बनना था टीचर बन गए स्वीटमेकर : जब से मनोज और अजीत ने दुकान को पिता के साथ मिलकर अपने हाथ बंटाना शुरू किया तब से तरक्की के रास्ते पर हैं. पैसा कमाना रोजगार हो सकता है लेकिन अपने मन मुताबिक जॉब पाना एक पैशन है. दोनों भाइयों को सरकारी नौकरी की उम्मीद भी दम तोड़ चुकी है.

''हमारी पहले से दुकान थी. जब नौकरी नहीं लगी तो दुकान को डेवलप की. हमारी दुकान पर हर तरह की मिठाई मिलती है. टीचर बनने के लिए पढ़ाई की लेकिन अभी तक हमें नौकरी नहीं मिली. हम दोनों भाई एसटीईटी पास हैं. अब सरकार से क्या उम्मीद करें.'' - अजीत कुमार गुप्ता, मिठाई दुकान संचालक, एसटीईटी पास 2020

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