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छपरा: जान जोखिम में रख गांव से निकलते हैं लोग, चचरी पुल ही एकमात्र सहारा

बांस के चचरी से बने पुल से हर दिन जान जोखिम में डाल कर सैकड़ों स्कूली बच्चें पढ़ने जाते हैं. इनके अभिभावक भी गाड़ियों से इसी रास्ते गुजरने को मजबूर हैं. फिर भी चचरी के पुल की सुध लेने वाला कोई नहीं है.

बांस के चचरी से गुजरते बच्चें
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Published : Aug 3, 2019, 1:38 PM IST

छपरा: जिले के बनियापुर प्रखंड के सीमा पर स्थित गंडक नदी के ऊपर बने बांस के चचरी का पुल दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रही है. यह हालत मढौरा के मोथहा और बनियापुर के मिर्जापुर गांव के बीच बनी चचरी पुल का है. चचरी पुल जर्जर स्थिति में है. पुल जर्जर होने से जान जोखिम में डालकर राहगीर आने-जाने को मजबूर हैं.

एक दर्जन गांवों को जोड़ती है पुल
चचरी पुल का रास्ता मढौरा की नरहरपुर,मोथहा,रामपुर,सहित एक दर्जन गांव के लोगों का रास्ता हैं. प्रखंड के चेतन छपरा, खाकी मठिया, मिर्जापुर, उस्ती, और जलालपुर जाने के लिये सबसे नजदीक का मार्ग हैं. फिर भी इस चचरी के पुल की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं.

30 सालों मे नहीं बन सकी पुल
एक दर्जन गांवों को जोड़ने वाली चचरी के पुल की सुध लेने वाला कोई नहीं है. चचरी पुल को स्थायी पुल में बदलने के लिए कई बार स्थानीय विधायक,सांसद को कहा गया लेकिन किसी ने इस पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा. सरकारी अधिकारियों कि भी नजर इस जर्जर पुल की तरफ नहीं पड़ती हैं. यह सिलसिला विगत 30 वर्षो से जारी है. 30 वर्षो में कितनी सरकारें टूटी और कितनी सरकारें बनी मगर 30 सालों मे पकी पुल कोई भी सरकार नहीं बनवा सकी.

बांस के चचरी से गुजरते लोग

स्थानीय लोगों ने बताया
लोगों ने बताया कि बांस के बने पुल पर कई बार लोगों का पैर फिसल जाने से उनके पैर टूट गये. जब नदी में पानी नहीं होती तो लोग नदी में ही रास्ता बना कर गुजरते हैं. चचरी पुल को लेकर लोगों में डर बना रहता है. इसके वाबजूद लोगों को इस मार्ग पर चलना मजबूरी बन गया है.

छपरा: जिले के बनियापुर प्रखंड के सीमा पर स्थित गंडक नदी के ऊपर बने बांस के चचरी का पुल दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रही है. यह हालत मढौरा के मोथहा और बनियापुर के मिर्जापुर गांव के बीच बनी चचरी पुल का है. चचरी पुल जर्जर स्थिति में है. पुल जर्जर होने से जान जोखिम में डालकर राहगीर आने-जाने को मजबूर हैं.

एक दर्जन गांवों को जोड़ती है पुल
चचरी पुल का रास्ता मढौरा की नरहरपुर,मोथहा,रामपुर,सहित एक दर्जन गांव के लोगों का रास्ता हैं. प्रखंड के चेतन छपरा, खाकी मठिया, मिर्जापुर, उस्ती, और जलालपुर जाने के लिये सबसे नजदीक का मार्ग हैं. फिर भी इस चचरी के पुल की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं.

30 सालों मे नहीं बन सकी पुल
एक दर्जन गांवों को जोड़ने वाली चचरी के पुल की सुध लेने वाला कोई नहीं है. चचरी पुल को स्थायी पुल में बदलने के लिए कई बार स्थानीय विधायक,सांसद को कहा गया लेकिन किसी ने इस पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा. सरकारी अधिकारियों कि भी नजर इस जर्जर पुल की तरफ नहीं पड़ती हैं. यह सिलसिला विगत 30 वर्षो से जारी है. 30 वर्षो में कितनी सरकारें टूटी और कितनी सरकारें बनी मगर 30 सालों मे पकी पुल कोई भी सरकार नहीं बनवा सकी.

बांस के चचरी से गुजरते लोग

स्थानीय लोगों ने बताया
लोगों ने बताया कि बांस के बने पुल पर कई बार लोगों का पैर फिसल जाने से उनके पैर टूट गये. जब नदी में पानी नहीं होती तो लोग नदी में ही रास्ता बना कर गुजरते हैं. चचरी पुल को लेकर लोगों में डर बना रहता है. इसके वाबजूद लोगों को इस मार्ग पर चलना मजबूरी बन गया है.

Intro:छपरा के दो लोकसभा ,दो विधानसभा, दो अनुमंडल एव दो प्रखण्ड मढौरा - बनियापुर प्रखण्ड के  सीमा पर स्थित गण्डकी नदी के ऊपर बने चचरी पुल दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रही है। बावजुद इसके ना तो सरकारी अधिकारी ही इसकी सुध ले रहे और ना ही कोई जनप्रतिनिधि। आलम यह है कि घर दिन खतरों की सीमा लांघ कर सैकड़ों स्कूली बच्चे एक दूसरे क्षेत्र में चचरी पुल पार कर प्रतिदिन पढ़ने जाते हैं। इनके अभिभावक भी गाड़ियों से इसी रास्ते गुजरने को मजबूर है। यह हालात मढौरा के मोथहा और बनियापुर के मिर्जापुर गाव के बीच बनी चचरी पुल का है। यहां प्रतिदिन अपने कामों को निबटाने के लिए हजारों की संख्या में लोग इस पुल से गुजरते है। यह सिलसिला बिगत 30 वर्षो से जारी है। Body: स्थानीय लोगो के अनुसार यह मार्ग मढौरा की नरहरपुर, मोथहा, रामपुर, नारायणपुर ,हथिसार ,पडरी सहित एक दर्जन गावों को बनियापुर
प्रखंड के चेतन छपरा, खाकी मठिया, मिर्जापुर, उस्ती, सहित जलालपुर जाने के लिये सबसे नजदीक है। नजदीकी के कारण लोग थोड़ी तकलीफ उठाकर भी इस रास्ते पर चलने को मजबूर है। एक अन्य पूल भी डेढ़ किमो की दूरी पर है, लेकिन दूरी होने की वजह से लोग इधर से गुजरना ही मुनासिब समझते है। चचरी पूल को स्थायी पूल में बदलने के लिए कई बार स्थानीय विधायक , सांसद को कहा गया लेकिन किसी ने इस पर ध्यान देना मुनासिब नही समझा। नजदीक होने के कारण इस पूल से रोगियों को भी लाया या ले जाया जाता है।
Conclusion:पुलिया के ब्त जाने से लोगो का एक दूसरे गाव आने जाने का सरल मार्ग सफल हो जाएगा।
लोगो ने बताया कि बांस के बने पुल पर कई बार लोगो का पैर फिसल जाने से उनके पैर टूट गये है। जब नदियों में पानी नही होती तो लोग नदी में ही रास्ता बना कर गुजरते है। चचरी पुल को लेकर भय व्याप्त है , वाबजूद इसके लोगो को इस मार्ग पर चलना मजबूरी बन गया है।

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