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काम की तलाश में दूसरे प्रदेश जाने को मजबूर हैं मजदूर, कहा- बिहार में नहीं है रोजगार

मजदूरों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान दो महीनों तक किसी तरह का काम नहीं मिला. इस कारण परिवार के सामने कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हो गई. हमारा परिवार भूखमरी की कगार पर आ गया है. इसलिए हमें काम के लिए बाहर जाना ही होगा.

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Published : Jun 11, 2020, 4:45 PM IST

समस्तीपुर: कल्याणपुर प्रखंड के आधे दर्जन मजदूर लॉकडाउन में छूट मिलते ही रोजगार की तलाश में प्रदेश वापस लौटने लगे हैं. इन मजदूरों का कहना है कि अगर काम पर नहीं जाएंगे तो उनके परिवार का भरण पोषण कैसे होगा. इसलिए रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेश जाना उनकी मजबूरी है.

दरअसल, ध्रुवगामा पंचायत अंतर्गत वार्ड-2 के आधे दर्जन मजदूर जोधपुर अपने काम पर लौटने की तैयारी में हैं. इन लोगों को कोरोना काल में उत्पन्न हुए रोजगार के आभाव के कारण भूखमरी का भय सताने लगा है. मजदूरों का कहना है कि इस महामारी के समय में जोधपुर ही उनका घर है. बिहार में रोजगार का अभाव है. ऐसे में अपना और पूरे परिवार का पेट पालना बहुत मुश्किल है.

पेश है रिपोर्ट

नहीं मिली टिकट
इस क्रम में मजदूर नथूनी महतो ने बताया कि उनके सर पर परिवार पालने का काफी बड़ा बोझ है. उनके 6 बच्चे हैं, सभी को पढ़ाना लिखा है. यही नहीं उन्हें 2 लाख कर्ज भी चुकाना है. ये सब तभी हो पाएगा, जब वे काम पर जाएंगे. मजदूरों ने बताया कि वे लोग दूसरे राज्यों में काम पर वापस लौटने के लिए समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर टिकट बुकिंग के लिए गए थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाई. इस कारण वे वहां से वापस लौट गए. अब वे किसी वाहन की तलाश में हैं, अगर मिल जाएगा तो वे उससी से जोधपुर के लिए निकल जाएंगे.

समस्तीपुर: कल्याणपुर प्रखंड के आधे दर्जन मजदूर लॉकडाउन में छूट मिलते ही रोजगार की तलाश में प्रदेश वापस लौटने लगे हैं. इन मजदूरों का कहना है कि अगर काम पर नहीं जाएंगे तो उनके परिवार का भरण पोषण कैसे होगा. इसलिए रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेश जाना उनकी मजबूरी है.

दरअसल, ध्रुवगामा पंचायत अंतर्गत वार्ड-2 के आधे दर्जन मजदूर जोधपुर अपने काम पर लौटने की तैयारी में हैं. इन लोगों को कोरोना काल में उत्पन्न हुए रोजगार के आभाव के कारण भूखमरी का भय सताने लगा है. मजदूरों का कहना है कि इस महामारी के समय में जोधपुर ही उनका घर है. बिहार में रोजगार का अभाव है. ऐसे में अपना और पूरे परिवार का पेट पालना बहुत मुश्किल है.

पेश है रिपोर्ट

नहीं मिली टिकट
इस क्रम में मजदूर नथूनी महतो ने बताया कि उनके सर पर परिवार पालने का काफी बड़ा बोझ है. उनके 6 बच्चे हैं, सभी को पढ़ाना लिखा है. यही नहीं उन्हें 2 लाख कर्ज भी चुकाना है. ये सब तभी हो पाएगा, जब वे काम पर जाएंगे. मजदूरों ने बताया कि वे लोग दूसरे राज्यों में काम पर वापस लौटने के लिए समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर टिकट बुकिंग के लिए गए थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाई. इस कारण वे वहां से वापस लौट गए. अब वे किसी वाहन की तलाश में हैं, अगर मिल जाएगा तो वे उससी से जोधपुर के लिए निकल जाएंगे.

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