समस्तीपुर: सूबे की सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूती को लेकर चाहे जितना भी ढिंढोरा पीट ले, लेकिन जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिंधिया आज अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. लेकिन स्वास्थ्य महकमे के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है.
डॉक्टरों की कमी है मुख्य कारण
समस्तीपुर जिले के सिंघिया प्रखंड में स्थापित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों चर्चा का विषय बनता जा रहा है. जहां सामुदायिक स्वास्थ केंद्र अपने बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर है. इसका मुख्य कारण डॉक्टरों की कमी है. इसकी वजह से दूरदराज से आए हुए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. साथ ही महिला डॉक्टर नहीं रहने के कारण पीड़ित महिला का प्रसव यहां तैनात एएनएम करती है. क्रिटिकल केस होने के बाद उसे डीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है.
प्रसव से पीड़ित महिलाओं को होती है परेशानी
बता दें कि सिंघिया प्रखंड जिले से 60 किलोमीटर दूरी पर है और 20 लाख की आबादी के इलाज का भार अपने ऊपर लिए हुए है. अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं रहने से ड्यूटी पर तैनात एएनएम इलाज करती हैं. लेकिन स्वास्थ्य महकमा या सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि ये इलाका काफी पिछड़ा है. यहां महिला डॉक्टर नहीं रहने से प्रसव से पीड़ित महिलाओं को काफी परेशानी होती है.
अस्पतालों में नहीं है महिला डॉक्टर की तैनाती
वहीं, इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने सिविल सर्जन श्याम मोहन मिश्रा से बात की तो वह भी अपना ठीकरा सरकार पर फोड़ते नजर आए. उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल समस्तीपुर को छोड़कर पूरे जिला के अस्पतालों में महिला डॉक्टर की तैनाती नहीं है. जिसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग और सरकार को दी गई है. लेकिन उनकी तरफ से किसी महिला चिकित्सक को नियुक्त नहीं किया गया है. जिसके कारण अस्पतालों में पोस्टिंग नहीं की गई है. जब महिला चिकित्सक उपलब्ध होंगी तो अस्पतालों में भेजा जाएगा.