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समस्तीपुर: विद्यालय की कुव्यवस्था से छात्र परेशान, सरकार से लगाई मदद की गुहार

यहां पढ़ने वाले बच्चे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार से हमें न तो ड्रेस चाहिए और न ही भोजन. लेकिन बैठने के बेंच जरूरी है. बोरे पर बैठकर पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है.

जमीन पर बैठकर पढ़ने पर छात्र मजबूर
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Published : Aug 27, 2019, 11:08 AM IST

समस्तीपुर: राज्य सरकार हर साल शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर करोड़ों का बजट आवंटित करती है. इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का हालत बद से बदतर है. मोरवा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरवाहा गोढ़ियारी स्कूल अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. बच्चे इसी हालात से समझौता कर पढ़ने को विवश हैं.

यहां पढ़ने वाले बच्चे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार से हमें न तो ड्रेस चाहिए और न ही भोजन. लेकिन बैठने के बेंच जरूरी है. बोरे पर बैठकर पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है. क्लासरूम में पंखा भी नहीं है. गर्मी के दिनों में बिना पंखे के पढ़ाई करना बहुत मुश्किल होता है. सुविधा की कमी के कारण पढ़ाई भी बाधित होती है.

उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरवाहा गोढ़ियारी में सुविधा का है घोर अभाव

बुनियादी सुविधाओं का अभाव
यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. शिक्षकों की भी कमी है. कहने को तो यहां कक्षा एक से लेकर आठवीं तक की पढ़ाई होती है. लेकिन यहां के बच्चों को कितना ज्ञान है इसका पता तब चला जब एक आठवीं क्लास की बच्ची से ईटीवी भारत के संवाददाता ने सवाल पूछा. बच्ची ने जो जवाब दिया वो काफी हैरान कर देने वाला था. उसे न तो दिल्ली का स्पेलिंग पता है और न ही साइंस का. जबकि इस विद्यालय में इंग्लिश और साइंस की पढ़ाई होती है. बच्ची को यह भी नहीं पता कि लखनऊ कहां की राजधानी है.

samastipur
जमीन पर बैठकर पढ़ने पर छात्र मजबूर

सरकार की ओर से मात्र 20 डेस्क मिला
बच्ची के जवाब से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार में बच्चों को कितनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है. मामले पर जब विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुरेश राम से बात की गई तो उन्होंने संसाधन की कमी होने की बात कहीं. उन्होंने कहा कि विद्यालय में जो संसाधन है उसी में हम बच्चे का पठन-पाठन करा रहे हैं. मात्र क्लास आठ के बच्चों के लिए 20 बेंच डेक्स मिला है. बाकी बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं.

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वीरेंद्र कुमार, जिला शिक्षा अधीक्षक

शिक्षकों की भी है कमी
उन्होंने कहा कि सरकार स्वच्छ भारत मिशन का नारा देती है. इस अभियान के तहत कई गांव को जोड़ा जा रहा है लेकिन इस विद्यालय की ओर किसी का ध्यान नहीं. विद्यालय में मात्र दो शौचालय है. इससे काफी परेशानी होती है. इतने बच्चों के बीच मात्र 9 शिक्षक हैं. जैसे तैसे पढ़ाई कराया जा रहा है. इसकी जानकारी विभाग को बराबर दी जाती रही है लेकिन कभी किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

जिला शिक्षा अधीक्षक ने समस्याओं को दूर करने का दिया भरोसा
मामले पर जिला शिक्षा अधीक्षक वीरेंद्र कुमार ने कहा कि मोरवा प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी को उस विद्यालय में जांच के लिए भेजा जा रहा है. जैसे ही जांच रिपोर्ट आती है, उन सभी समस्याओं को दूर किया जाएगा. बता दें कि लालू के शासनकाल में इस चरवाहा विद्यालय का निर्माण कराया गया था ताकि खेतों में जानवर चराने वाले बच्चे भी इस विद्यालय में आकर पढ़ सकें. लालू के समय में इस चरवाहा विद्यालय में सिर्फ अनुसूचित जाति के बच्चे पढ़ा करते थे. लेकिन सुशासन की सरकार में इस विद्यालय को बंद करके सामान्य विद्यालय का दर्जा दे दिया गया. आज इसमें सभी जाति के बच्चे पढ़ रहे हैं.

समस्तीपुर: राज्य सरकार हर साल शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर करोड़ों का बजट आवंटित करती है. इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का हालत बद से बदतर है. मोरवा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरवाहा गोढ़ियारी स्कूल अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. बच्चे इसी हालात से समझौता कर पढ़ने को विवश हैं.

यहां पढ़ने वाले बच्चे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार से हमें न तो ड्रेस चाहिए और न ही भोजन. लेकिन बैठने के बेंच जरूरी है. बोरे पर बैठकर पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है. क्लासरूम में पंखा भी नहीं है. गर्मी के दिनों में बिना पंखे के पढ़ाई करना बहुत मुश्किल होता है. सुविधा की कमी के कारण पढ़ाई भी बाधित होती है.

उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरवाहा गोढ़ियारी में सुविधा का है घोर अभाव

बुनियादी सुविधाओं का अभाव
यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. शिक्षकों की भी कमी है. कहने को तो यहां कक्षा एक से लेकर आठवीं तक की पढ़ाई होती है. लेकिन यहां के बच्चों को कितना ज्ञान है इसका पता तब चला जब एक आठवीं क्लास की बच्ची से ईटीवी भारत के संवाददाता ने सवाल पूछा. बच्ची ने जो जवाब दिया वो काफी हैरान कर देने वाला था. उसे न तो दिल्ली का स्पेलिंग पता है और न ही साइंस का. जबकि इस विद्यालय में इंग्लिश और साइंस की पढ़ाई होती है. बच्ची को यह भी नहीं पता कि लखनऊ कहां की राजधानी है.

samastipur
जमीन पर बैठकर पढ़ने पर छात्र मजबूर

सरकार की ओर से मात्र 20 डेस्क मिला
बच्ची के जवाब से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार में बच्चों को कितनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है. मामले पर जब विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुरेश राम से बात की गई तो उन्होंने संसाधन की कमी होने की बात कहीं. उन्होंने कहा कि विद्यालय में जो संसाधन है उसी में हम बच्चे का पठन-पाठन करा रहे हैं. मात्र क्लास आठ के बच्चों के लिए 20 बेंच डेक्स मिला है. बाकी बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं.

samastipur
वीरेंद्र कुमार, जिला शिक्षा अधीक्षक

शिक्षकों की भी है कमी
उन्होंने कहा कि सरकार स्वच्छ भारत मिशन का नारा देती है. इस अभियान के तहत कई गांव को जोड़ा जा रहा है लेकिन इस विद्यालय की ओर किसी का ध्यान नहीं. विद्यालय में मात्र दो शौचालय है. इससे काफी परेशानी होती है. इतने बच्चों के बीच मात्र 9 शिक्षक हैं. जैसे तैसे पढ़ाई कराया जा रहा है. इसकी जानकारी विभाग को बराबर दी जाती रही है लेकिन कभी किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

जिला शिक्षा अधीक्षक ने समस्याओं को दूर करने का दिया भरोसा
मामले पर जिला शिक्षा अधीक्षक वीरेंद्र कुमार ने कहा कि मोरवा प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी को उस विद्यालय में जांच के लिए भेजा जा रहा है. जैसे ही जांच रिपोर्ट आती है, उन सभी समस्याओं को दूर किया जाएगा. बता दें कि लालू के शासनकाल में इस चरवाहा विद्यालय का निर्माण कराया गया था ताकि खेतों में जानवर चराने वाले बच्चे भी इस विद्यालय में आकर पढ़ सकें. लालू के समय में इस चरवाहा विद्यालय में सिर्फ अनुसूचित जाति के बच्चे पढ़ा करते थे. लेकिन सुशासन की सरकार में इस विद्यालय को बंद करके सामान्य विद्यालय का दर्जा दे दिया गया. आज इसमें सभी जाति के बच्चे पढ़ रहे हैं.

Intro:एक्ससीलुसिव
समस्तीपुर राज्य सरकार हर साल शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर करोड़ों का बजट आवंटित करती है ।इसके बावजूद ग्रामीण इलाके के स्कूलों का हालत बद से बदतर है ।मोरवा प्रखंड प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरवाहा गोदियारी स्कूल अपने दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है ।यह विद्यालय कुव्यवस्था का शिकार होकर इलाके के पढ़ने वाले बच्चों को अपने ही हालत में लाकर समेट लिया है ।मजबूरन यहां पढ़ने वाले बच्चे ने इसी हालात से समझौता कर पढ़ने को विवश हैं।


Body:मुख्यमंत्री जी हमारी बात को सुनिए हमें नहीं दीजिए ड्रेस और नहीं दीजिए मध्यान भोजन ।लेकिन कर दीजिए हमारे स्कूल के व्यवस्था को सही ।अंधेरे युक्त कमरे में जमीन पर बैठ हाथ जोड़कर मुख्यमंत्री से गुहार करते यह बच्चे उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरवाहा गोदिया स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे हैं ।जो विद्यालय के कु व्यवस्था का शिकार होकर इसी हालात में पढ़ने को बिवश है। यहां नौ सौ नामांकित छात्र छात्राएं है।क्लास वन से लेकर आठ क्लास तक कि पढ़ाई होती है ।लेकिन हैरत की बात ये है कि यहां पढ़ने वाले क्लास वन से लेकर सात तक के बच्चों को जमीन पर ही बैठकर पढ़ना पड़ता है।
मैं आपको बता दूं लालू के शासनकाल में इस चरवाहा विद्यालय का निर्माण कराया गया था। कि खेतों मेंजानवर चराने वाले बच्चे इस विद्यालय में आकर पढ़ें ।लालू के समय में इस चरवाहा विद्यालय में बच्चे पढ़ा करते थे ।लेकिन सुशासन की सरकार में इस विद्यालय को बंद करके सामान्य विद्यालय का दर्जा दे दिया गया ।और आज इसमें सभी जाति के बच्चे पढ़ रहे हैं ।लेकिन व्यवस्था के नाम पर सिर्फ विद्यालय का खूबसूरत भवन ही है ।जिसको लेकर यहां पढ़ने वाले बच्चों को भी काफी परेशानी होती है इस विद्यालय के तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया जो खूबसूरत भवन वाले विद्यालय के अंदर कुव्यवस्था को सही कर सके ।बच्चे यहां गर्मी से तरबतर रहते हैं लेकिन किसी ने भी इस मासूम बच्ची के हालात पर तरस खाने को तैयार नहीं हुए।

यहां पढ़ने वाले प्रिया कुमारी एवं आदर्श कुमार का बताना है कि। सरकार हमें ड्रेस और मध्यान भोजन ना दे। हमारे स्कूल के व्यवस्था को सही कर दे ।हम पढ़ना चाहते हैं हमें सरकार पढ़ने में सहायता करें। बहुत परेशानी के बावजूद हम लोग अपने विद्यालय में पठन-पाठन करते हैं ।जमीन पर बैठकर ऊपर गर्मी से परेशान होकर इस विद्यालय में पठन-पाठन करते हैं।

वहीं दूसरी ओर इस विद्यालय में पढ़ने वाली आठवीं क्लास के सबसे तेज बच्ची का पढ़ाई का ज्ञान टेस्ट जब हमने लिया तो हैरान कर देने वाला जवाब मिला ।यहां पढ़ने वाले बच्ची को दिल्लीका स्पेलिंग नहीं आता है ।वहीं दूसरी ओर लखनऊ किसकी राजधानी है यह नहीं पता।

जब हमने विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुरेश राम से बात किया तो उनका बताना था कि विद्यालय में जो संसाधन है ।उसी संसाधन में हम बच्चे का पठन-पाठन करा रहे हैं ।मात्र क्लास आठ के बच्चों के लिए 20 बेंच डेक्स मिला जिस पर आठवीं क्लास के बच्चों को बैठा रहे है ।बाकी बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं ।वहीं उन्होंने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत गांव को जोड़ा जा रहा है ।लेकिन इस विद्यालय में मात्र दो शौचालय है। जो इन सभी बच्चों के लिए कम है। पढ़ाई को लेकर इनका बताना हुआ इस विद्यालय में मात्र 9 शिक्षक हैं ।जैसे तैसे पढ़ाई कराया जा रहा है। इसकी जानकारी विभाग को बराबर दी जाती रही है ।लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है।



Conclusion:इस मामले पर जिला शिक्षा अधीक्षक वीरेंद्र कुमार का बताना है। कि विद्यालय के समस्या को लेकर मोरवा प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी को उस विद्यालय में जांच के लिए भेजा जा रहा है। और जैसे ही जांच रिपोर्ट आती है ।उन सभी समस्याओं को दूर करवा दिया जाएगा।
अब देखना लाजमी है कि चरवाहा विद्यालय गोदियाही में पढ़ने वाले बच्चे का व्यवस्था और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कब तक सही हो पाता है। या इसी हालात में इलाके के बच्चे पढ़ते रहेंगे।
बाईट : प्रिया। कुमारी छात्रा
बाईट: आदर्श कुमार
बाईट : सुरेश राम प्रधानाध्यापक
बाईट: बीरेंद्र कुमार जिला शिक्षा अधीक्षक।
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