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उजियारपुर: हाई प्रोफाइल सीट पर जंग दिलचस्प, नित्यानंद को कुशवाहा की कड़ी चुनौती - BJP

उजियारपुर सीट हॉट केक बनी हुई है. इस सीट पर नित्यानंद राय और उपेंद्र कुशवाहा आमने-सामने है.

उजियारपुर लोकसभा सीट
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Published : Apr 27, 2019, 6:11 PM IST

समस्तीपुर: जिले में समस्तीपुर और उजियारपुर दो लोकसभा क्षेत्र है. 2002 में बने परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद 2008 में इस संसदीय क्षेत्र का गठन हुआ. ये क्षेत्र पहले समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आता था, परिसीमन के बाद रोसड़ा संसदीय क्षेत्र के ख़त्म होने से कारण उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया. ये लोकसभा क्षेत्र आरक्षित सीट नहीं है.

उजियारपुर में 6 विधानसभा सीट पातेपुर, उजियारपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहिउद्दीन नगर और विभूतिपुर है. इसमें से पातेपुर सीट वैशाली जिले में पड़ता है. उजियारपुर में कुल मतदाताओं की संख्या 15 लाख 88 हजार 209 है. यहां पुरूष मतदाता 8 लाख 47 हजार 704 है तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 40 हजार 454 है.

2009 में अश्वमेघ देवी बनीं थी सांसद
लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद 2009 के पहले चुनाव में जेडीयू की अश्वमेघ देवी आरजेडी के आलोक मेहता को हराकर सांसद बनीं थी. 2014 में उन्हें बीजेपी के नित्यानंद राय पटखनी देकर संसद पहुंचे. नित्यानंद राय दूसरे नंबर पर रहे आरजेडी के आलोक मेहता को लगभग डेढ़ लाख मतों से हराया था. राय को 3 लाख 17 हजार 352 तो मेहता को 2 लाख 56 हजार 883 वोट मिले थे. वहीं, छठे स्थान पर रहे नोटा में 6171 वोट गिरे थे.

लालू यादव के सामने नित्यानंद राय को खड़ा करने की कोशिश
यादव वोट बैंक में सेंधमारी के लिए बीजेपी ने लालू यादव के सामने नित्यानंद राय को खड़ा किया है. बीजेपी में उनके कद का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली बार लोकसभा पहुंचने के बाद ही पार्टी ने उन्हें बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया.

सांसद के तौर पर नित्यानंद का प्रदर्शन औसत
सांसद के तौर पर पिछले 5 साल में नित्यानंद राय का प्रदर्शन औसत रहा है. संसद में उनकी हाजिरी 69 प्रतिशत है. उन्होंने 7 बहसों में हिस्सा लिया, वहीं कुल 141 सवाल पूछे. हालांकि नित्यानंद राय ने एक भी प्राइवेट मेंबर बिल पास नहीं कराए. नित्यानंद संसद में कृषि मामलों की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य भी हैं.

सांसद निधि के सारे पैसे किए खर्च
सांसद निधि के तौर पर मिलने वाली राशि को खर्च करने में नित्यानंद राय अव्वल रहे. सांसद ने अपने क्षेत्र के लिए 29 करोड़ 22 लाख रुपये का प्रावधान रखा, जिसमें 21 करोड़ 13 लाख रुपए पास हुए. उन्होंने अपने क्षेत्र में 17 करोड़ 71 लाख रुपए खर्च किए.

विकास की कई योजनाएं अधूरी
हालांकि कई ऐसी योजनाएं हैं जो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं. विकास के काम और प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान से ये इलाका कोसों दूर है. जगह-जगह यहां गंदगी का अंबार दिख जाएगा. राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले एक सर्वेक्षण में समस्तीपुर नगर परिषद स्वच्छता के मामले में प्रदेश में 42वें स्थान पर है, वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर 299वें नंबर पर.

आदर्श ग्राम में नहीं हुआ काम
इस लोकसभा क्षेत्र में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के सपनों का मॉडल, सांसद आदर्श ग्राम की हकीकत कुछ इतर नहीं है. नित्यानंद राय ने उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में कृष्णवाड़ा गांव को गोद लिया है. लगभग 5 साल बीतने को है. लेकिन ये गांव आदर्श होने के मकसद से कोसों दूर है. इस गांव में सड़क, स्वास्थ्य, पेयजल समेत कई जनहित की योजनाओं की स्थिति अन्य गांवों से बेहतर नहीं बदतर है.

उजियारपुर सीट बना हॉट केक
उजियारपुर सीट बिहार की सियासत में हॉट केक बनता जा रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय हो या फिर रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, राजद से पूर्व मंत्री आलोक मेहता या फिर जदयू की पूर्व सांसद अश्वमेध देवी, बिहार के सियासत में खास असर रखने वाले इन चेहरों की सियासत उजियारपुर लोकसभा सीट के इर्दगिर्द घूमती है.

उजियारपुर लोकसभा सीट की जंग

कुशवाहा बहुल इलाका है उजियारपुर
ये लोकसभा क्षेत्र यादव और कुशवाहा बहुल इलाका है. ये दोनों जातियां यहां जीत और हार की दिशा तय करते हैं. एनडीए के हिस्सा रहे रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी इस सीट पर दावेदारी की थी. वहीं, इनके बाद ब्राह्मण और मुस्लिम की आबादी सबसे ज्यादा है. 2014 के जंग में जदयू, राजद और लेफ्ट से कुशवाहा समाज के नेता ही चुनावी मैदान में थे. लेकिन बीजेपी ने नित्यानंद राय को टिकट देकर यादव और ब्राह्मण मतदाताओं को अपने पक्ष में कर यह सीट जीत लिया.

2019 में जेडीयू-बीजेपी लड़ रही है साथ
हालांकि इस बार यहां समीकरण थोड़े बदले हुए हैं. बीजेपी के साथ जेडीयू के आ जाने से लड़ाई थोड़ी रोचक हो गई है. विकास के मामले में पिछड़ा इलाका अब मोदी और नीतीश सरकार दोनों के कामों को आंकेगा और उसी बिनाह पर संतुष्ट होने पर एनडीए उम्मीदवार को वोट करेगा. लेकिन देखना होगा कि जनता वाकई विकास को आधार बनाएगी या फिर से जातीय समीकरण ही हावी रहेगा.

नित्यानंद राय एक बार फिर से लड़ाई में
उजियारपुर से एक बार फिर से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय अपना भाग्य आजमा रहे हैं. नामांकन के दौरान भीड़ ले उत्साहित नित्यानंद राय ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के कामों के बदौलत एक बार फिर से एनडीए बाजी मारेगा.

रालोसपा के खाते में उजियारपुर सीट
इधर, महागठबंधन में सीट बंटवारे में उजियारपुर रालोसपा के खाते में चली गई. पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा खुद काराकाट के साथ ही इस बार यहां से भी भाग्य आजमा रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि महागठबंधन में शामिल दलों की बदौलत वो यहां से बड़ी जीत हासिल करेंगे.

हाई प्रोफाइल सीट पर जंग दिलचस्प
बहरहाल ताल तो सभी ठोक रहे हैं, लेकिन दावों की हकीकत अब नतीजों के बाद ही पता चलेगा. कि जनता किस पार्टी को जीत का ताज पहनाती है और किसे धूल चटाती है. लेकिन इतना तो तय है कि हाई प्रोफाइल माने जाने वाले इस सीट को लेकर जंग काफी दिलचस्प होने वाला है.

समस्तीपुर: जिले में समस्तीपुर और उजियारपुर दो लोकसभा क्षेत्र है. 2002 में बने परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद 2008 में इस संसदीय क्षेत्र का गठन हुआ. ये क्षेत्र पहले समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आता था, परिसीमन के बाद रोसड़ा संसदीय क्षेत्र के ख़त्म होने से कारण उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया. ये लोकसभा क्षेत्र आरक्षित सीट नहीं है.

उजियारपुर में 6 विधानसभा सीट पातेपुर, उजियारपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहिउद्दीन नगर और विभूतिपुर है. इसमें से पातेपुर सीट वैशाली जिले में पड़ता है. उजियारपुर में कुल मतदाताओं की संख्या 15 लाख 88 हजार 209 है. यहां पुरूष मतदाता 8 लाख 47 हजार 704 है तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 40 हजार 454 है.

2009 में अश्वमेघ देवी बनीं थी सांसद
लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद 2009 के पहले चुनाव में जेडीयू की अश्वमेघ देवी आरजेडी के आलोक मेहता को हराकर सांसद बनीं थी. 2014 में उन्हें बीजेपी के नित्यानंद राय पटखनी देकर संसद पहुंचे. नित्यानंद राय दूसरे नंबर पर रहे आरजेडी के आलोक मेहता को लगभग डेढ़ लाख मतों से हराया था. राय को 3 लाख 17 हजार 352 तो मेहता को 2 लाख 56 हजार 883 वोट मिले थे. वहीं, छठे स्थान पर रहे नोटा में 6171 वोट गिरे थे.

लालू यादव के सामने नित्यानंद राय को खड़ा करने की कोशिश
यादव वोट बैंक में सेंधमारी के लिए बीजेपी ने लालू यादव के सामने नित्यानंद राय को खड़ा किया है. बीजेपी में उनके कद का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली बार लोकसभा पहुंचने के बाद ही पार्टी ने उन्हें बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया.

सांसद के तौर पर नित्यानंद का प्रदर्शन औसत
सांसद के तौर पर पिछले 5 साल में नित्यानंद राय का प्रदर्शन औसत रहा है. संसद में उनकी हाजिरी 69 प्रतिशत है. उन्होंने 7 बहसों में हिस्सा लिया, वहीं कुल 141 सवाल पूछे. हालांकि नित्यानंद राय ने एक भी प्राइवेट मेंबर बिल पास नहीं कराए. नित्यानंद संसद में कृषि मामलों की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य भी हैं.

सांसद निधि के सारे पैसे किए खर्च
सांसद निधि के तौर पर मिलने वाली राशि को खर्च करने में नित्यानंद राय अव्वल रहे. सांसद ने अपने क्षेत्र के लिए 29 करोड़ 22 लाख रुपये का प्रावधान रखा, जिसमें 21 करोड़ 13 लाख रुपए पास हुए. उन्होंने अपने क्षेत्र में 17 करोड़ 71 लाख रुपए खर्च किए.

विकास की कई योजनाएं अधूरी
हालांकि कई ऐसी योजनाएं हैं जो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं. विकास के काम और प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान से ये इलाका कोसों दूर है. जगह-जगह यहां गंदगी का अंबार दिख जाएगा. राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले एक सर्वेक्षण में समस्तीपुर नगर परिषद स्वच्छता के मामले में प्रदेश में 42वें स्थान पर है, वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर 299वें नंबर पर.

आदर्श ग्राम में नहीं हुआ काम
इस लोकसभा क्षेत्र में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के सपनों का मॉडल, सांसद आदर्श ग्राम की हकीकत कुछ इतर नहीं है. नित्यानंद राय ने उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में कृष्णवाड़ा गांव को गोद लिया है. लगभग 5 साल बीतने को है. लेकिन ये गांव आदर्श होने के मकसद से कोसों दूर है. इस गांव में सड़क, स्वास्थ्य, पेयजल समेत कई जनहित की योजनाओं की स्थिति अन्य गांवों से बेहतर नहीं बदतर है.

उजियारपुर सीट बना हॉट केक
उजियारपुर सीट बिहार की सियासत में हॉट केक बनता जा रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय हो या फिर रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, राजद से पूर्व मंत्री आलोक मेहता या फिर जदयू की पूर्व सांसद अश्वमेध देवी, बिहार के सियासत में खास असर रखने वाले इन चेहरों की सियासत उजियारपुर लोकसभा सीट के इर्दगिर्द घूमती है.

उजियारपुर लोकसभा सीट की जंग

कुशवाहा बहुल इलाका है उजियारपुर
ये लोकसभा क्षेत्र यादव और कुशवाहा बहुल इलाका है. ये दोनों जातियां यहां जीत और हार की दिशा तय करते हैं. एनडीए के हिस्सा रहे रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी इस सीट पर दावेदारी की थी. वहीं, इनके बाद ब्राह्मण और मुस्लिम की आबादी सबसे ज्यादा है. 2014 के जंग में जदयू, राजद और लेफ्ट से कुशवाहा समाज के नेता ही चुनावी मैदान में थे. लेकिन बीजेपी ने नित्यानंद राय को टिकट देकर यादव और ब्राह्मण मतदाताओं को अपने पक्ष में कर यह सीट जीत लिया.

2019 में जेडीयू-बीजेपी लड़ रही है साथ
हालांकि इस बार यहां समीकरण थोड़े बदले हुए हैं. बीजेपी के साथ जेडीयू के आ जाने से लड़ाई थोड़ी रोचक हो गई है. विकास के मामले में पिछड़ा इलाका अब मोदी और नीतीश सरकार दोनों के कामों को आंकेगा और उसी बिनाह पर संतुष्ट होने पर एनडीए उम्मीदवार को वोट करेगा. लेकिन देखना होगा कि जनता वाकई विकास को आधार बनाएगी या फिर से जातीय समीकरण ही हावी रहेगा.

नित्यानंद राय एक बार फिर से लड़ाई में
उजियारपुर से एक बार फिर से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय अपना भाग्य आजमा रहे हैं. नामांकन के दौरान भीड़ ले उत्साहित नित्यानंद राय ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के कामों के बदौलत एक बार फिर से एनडीए बाजी मारेगा.

रालोसपा के खाते में उजियारपुर सीट
इधर, महागठबंधन में सीट बंटवारे में उजियारपुर रालोसपा के खाते में चली गई. पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा खुद काराकाट के साथ ही इस बार यहां से भी भाग्य आजमा रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि महागठबंधन में शामिल दलों की बदौलत वो यहां से बड़ी जीत हासिल करेंगे.

हाई प्रोफाइल सीट पर जंग दिलचस्प
बहरहाल ताल तो सभी ठोक रहे हैं, लेकिन दावों की हकीकत अब नतीजों के बाद ही पता चलेगा. कि जनता किस पार्टी को जीत का ताज पहनाती है और किसे धूल चटाती है. लेकिन इतना तो तय है कि हाई प्रोफाइल माने जाने वाले इस सीट को लेकर जंग काफी दिलचस्प होने वाला है.

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समस्तीपुर: जिले में समस्तीपुर और उजियारपुर दो लोकसभा क्षेत्र है. 2002 में बने परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद 2008 में इस संसदीय क्षेत्र का गठन हुआ. ये क्षेत्र पहले समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आता था, परिसीमन के बाद रोसड़ा संसदीय क्षेत्र के ख़त्म होने से कारण उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया. ये लोकसभा क्षेत्र आरक्षित सीट नहीं है.



उजियारपुर में 6 विधानसभा सीट पातेपुर, उजियारपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहिउद्दीन नगर और विभूतिपुर है. इसमें से पातेपुर सीट वैशाली जिले में पड़ता है. उजियारपुर में कुल मतदाताओं की संख्या 15 लाख 88 हजार 209 है. यहां पुरूष मतदाता 8 लाख 47 हजार 704 है तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 40 हजार 454 है.

2009 में अश्वमेघ देवी बनीं थी सांसद

लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद 2009 के पहले चुनाव में जेडीयू की अश्वमेघ देवी आरजेडी के आलोक मेहता को हराकर सांसद बनीं थी. 2014 में उन्हें बीजेपी के नित्यानंद राय पटखनी देकर संसद पहुंचे. नित्यानंद राय दूसरे नंबर पर रहे आरजेडी के आलोक मेहता को लगभग डेढ़ लाख मतों से हराया था. राय को 3 लाख 17 हजार 352 तो मेहता को 2 लाख 56 हजार 883 वोट मिले थे. वहीं, छठे स्थान पर रहे नोटा में 6171 वोट गिरे थे.

लालू यादव के सामने नित्यानंद राय को खड़ा करने की कोशिश

यादव वोट बैंक में सेंधमारी के लिए बीजेपी ने लालू यादव के सामने नित्यानंद राय को खड़ा किया है. बीजेपी में उनके कद का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली बार लोकसभा पहुंचने के बाद ही पार्टी ने उन्हें बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया.

सांसद के तौर पर नित्यानंद का प्रदर्शन औसत

सांसद के तौर पर पिछले 5 साल में नित्यानंद राय का प्रदर्शन औसत रहा है. संसद में उनकी हाजिरी 69 प्रतिशत है. उन्होंने 7 बहसों में हिस्सा लिया, वहीं कुल 141 सवाल पूछे. हालांकि नित्यानंद राय ने एक भी प्राइवेट मेंबर बिल पास नहीं कराए. नित्यानंद संसद में कृषि मामलों की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य भी हैं.

सांसद निधि के सारे पैसे किए खर्च

सांसद निधि के तौर पर मिलने वाली राशि को खर्च करने में नित्यानंद राय अव्वल रहे. सांसद ने अपने क्षेत्र के लिए 29 करोड़ 22 लाख रुपये का प्रावधान रखा, जिसमें 21 करोड़ 13 लाख रुपए पास हुए. उन्होंने अपने क्षेत्र में 17 करोड़ 71 लाख रुपए खर्च किए.

विकास की कई योजनाएं अधूरी

हालांकि कई ऐसी योजनाएं हैं जो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं. विकास के काम और प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान से ये इलाका कोसों दूर है. जगह-जगह यहां गंदगी का अंबार दिख जाएगा. राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले एक सर्वेक्षण में समस्तीपुर नगर परिषद स्वच्छता के मामले में प्रदेश में 42वें स्थान पर है, वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर 299वें नंबर पर.

आदर्श ग्राम में नहीं हुआ काम

इस लोकसभा क्षेत्र में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के सपनों का मॉडल, सांसद आदर्श ग्राम की हकीकत कुछ इतर नहीं है. नित्यानंद राय ने उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में कृष्णवाड़ा गांव को गोद लिया है. लगभग 5 साल बीतने को है. लेकिन ये गांव आदर्श होने के मकसद से कोसों दूर है. इस गांव में सड़क, स्वास्थ्य, पेयजल समेत कई जनहित की योजनाओं की स्थिति अन्य गांवों से बेहतर नहीं बदतर है.

उजियारपुर सीट बना हॉट केक

उजियारपुर सीट बिहार की सियासत में हॉट केक बनता जा रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय हो या फिर रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, राजद से पूर्व मंत्री आलोक मेहता या फिर जदयू की पूर्व सांसद अश्वमेध देवी, बिहार के सियासत में खास असर रखने वाले इन चेहरों की सियासत उजियारपुर लोकसभा सीट के इर्दगिर्द घूमती है.

कुशवाहा बहुल इलाका है उजियारपुर

ये लोकसभा क्षेत्र यादव और कुशवाहा बहुल इलाका है. ये दोनों जातियां यहां जीत और हार की दिशा तय करते हैं. एनडीए के हिस्सा रहे रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी इस सीट पर दावेदारी की थी. वहीं, इनके बाद ब्राह्मण और मुस्लिम की आबादी सबसे ज्यादा है. 2014 के जंग में जदयू, राजद और लेफ्ट से कुशवाहा समाज के नेता ही चुनावी मैदान में थे. लेकिन बीजेपी ने नित्यानंद राय को टिकट देकर यादव और ब्राह्मण मतदाताओं को अपने पक्ष में कर यह सीट जीत लिया.

2019 में जेडीयू-बीजेपी लड़ रही है साथ

हालांकि इस बार यहां समीकरण थोड़े बदले हुए हैं. बीजेपी के साथ जेडीयू के आ जाने से लड़ाई थोड़ी रोचक हो गई है. विकास के मामले में पिछड़ा इलाका अब मोदी और नीतीश सरकार दोनों के कामों को आंकेगा और उसी बिनाह पर संतुष्ट होने पर एनडीए उम्मीदवार को वोट करेगा. लेकिन देखना होगा कि जनता वाकई विकास को आधार बनाएगी या फिर से जातीय समीकरण ही हावी रहेगा.

नित्यानंद राय एक बार फिर से लड़ाई में

उजियारपुर से एक बार फिर से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय अपना भाग्य आजमां रहे हैं. नामांकन के दौरान भीड़ ले उत्साहित नित्यानंद राय ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के कामों के बदौलत एक बार फिर से एनडीए बाजी मारेगा.

रालोसपा के खाते में उजियारपुर सीट

इधर, महागठबंधन में सीट बंटवारे में उजियारपुर रालोसपा के खाते में चली गई. पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा खुद काराकाट के साथ ही इस बार यहां से भी भाग्य आजमा रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि महागठबंधन में शामिल दलों की बदौलत वो यहां से बड़ी जीत हासिल करेंगे.

हाई प्रोफाइल सीट पर जंग दिलचस्प

बहरहाल ताल तो सभी ठोक रहे हैं, लेकिन दावों की हकीकत अब नतीजों के बाद ही पता चलेगा. कि जनता किस पार्टी को जीत का ताज पहनाती है और किसे घूल चटाती है. लेकिन इतना तो तय है कि हाई प्रोफाइल माने जाने वाले इस सीट को लेकर जंग काफी दिलचस्प होने वाला है.


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