समस्तीपुर: जिले में सबसे बड़े उच्च शिक्षा के केंद्र से पहचाने जाने वाला समस्तीपुर कॉलेज आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. एक समय ऐसा था जब यहां शैक्षणिक माहौल हुआ करता था. कॉलेज में छात्र नजर आते थे. लेकिन आज ये कॉलेज बस नाम मात्र का रह गया है.
उच्च शिक्षा का एक मात्र कॉलेज
1947 में स्थापित समस्तीपुर कॉलेज ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी के खास कॉलेजों में अपना स्थान रखता है. लेकिन आज के समय में यह बदहाल उच्च शिक्षा का उदाहरण मात्र बनकर रह गया है. यहां शिक्षकों की कमी के कारण छात्र भी कॉलेज आने में रूचि नहीं ले रहे हैं.
शिक्षकों का अभाव
यह जिले का एक मात्र कॉलेज है, जिसमें 11 विषयों में स्नातक और पीजी की पढ़ाई होती है. इस कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 5 से 6 हजार है. वहीं, शिक्षकों के लिए यहां 95 पद सृजित हैं. लेकिन इनमें से मात्र 18 शिक्षक ही छात्रों का भविष्य संवारने आते हैं.
खतरे में छात्रों का भविष्य
कई विषयों में जहां 8 से 10 शिक्षकों के पद हैं, वहां महज एक या दो शिक्षक मौजूद हैं. संस्कृत और उर्दू में तो एक भी शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं. वहीं, फिजिक्स के प्रोफेसर भी इसी महीने रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में यहां पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य खतरे में है.