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कोरोनाकाल में भी नहीं बदली तस्वीर, महज 15 डॉक्टरों के भरोसे जिले के हजारों मरीज - सरकारी लापरवाही के कारण बुरी हालत

समस्तीपुर के सबसे बड़े अस्पताल का आलम ये है कि यहां 44 डॉक्टरों की जगह होने के बावूजद भी केवल 15 डॉक्टर से काम चलाया जा रहा है. इस कारण यहां आने वाले मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

समस्तीपुर सदर अस्पताल
समस्तीपुर सदर अस्पताल
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Published : Jun 22, 2020, 1:45 PM IST

समस्तीपुर: बिहार सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी के दावे करती है. लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल विपरीत है. समस्तीपुर सदर अस्पताल में कई सालों से डॉक्टरों की बहाली नहीं हुई है. नतीजतन आम दिनों के अलावा कोरोनाकाल में भी मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

samastipur
इमरजेंसी वॉर्ड

जानकारी के मुताबिक समस्तीपुर सदर अस्पताल में 44 डॉक्टरों का पद सृजित हैं. लेकिन, वर्तमान में महज 15 डॉक्टरों के सहारे जिले की एक बड़ी आबादी को स्वास्थ्य सेवा दी जा रही है. हाल ये है कि जनरल फिजिशियन, आईसीयू स्पेशलिस्ट, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, एनेस्थीसिया आदि के डॉक्टर ही नहीं हैं. डॉक्टर आए दिन यहां आए मरीजों को रेफर ही कर देते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

कुछ भी बोलने से बच रहे डॉक्टर
अस्पताल की बदहाली पर जिले के सिविल सर्जन डॉ. आरआर झा कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं. लेकिन, ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की कमी के विषय में मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी गई है. इसका समाधान भी मुख्यालय स्तर पर ही होना है. सरकारी अनदेखी का आलम ये है कि अस्पताल में मरीजों के लिए जांच की भी सुविधा नहीं है. मजबूरन उन्हें निजी जांच घरों का रुख करना पड़ता है.

समस्तीपुर: बिहार सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी के दावे करती है. लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल विपरीत है. समस्तीपुर सदर अस्पताल में कई सालों से डॉक्टरों की बहाली नहीं हुई है. नतीजतन आम दिनों के अलावा कोरोनाकाल में भी मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

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जानकारी के मुताबिक समस्तीपुर सदर अस्पताल में 44 डॉक्टरों का पद सृजित हैं. लेकिन, वर्तमान में महज 15 डॉक्टरों के सहारे जिले की एक बड़ी आबादी को स्वास्थ्य सेवा दी जा रही है. हाल ये है कि जनरल फिजिशियन, आईसीयू स्पेशलिस्ट, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, एनेस्थीसिया आदि के डॉक्टर ही नहीं हैं. डॉक्टर आए दिन यहां आए मरीजों को रेफर ही कर देते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

कुछ भी बोलने से बच रहे डॉक्टर
अस्पताल की बदहाली पर जिले के सिविल सर्जन डॉ. आरआर झा कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं. लेकिन, ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की कमी के विषय में मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी गई है. इसका समाधान भी मुख्यालय स्तर पर ही होना है. सरकारी अनदेखी का आलम ये है कि अस्पताल में मरीजों के लिए जांच की भी सुविधा नहीं है. मजबूरन उन्हें निजी जांच घरों का रुख करना पड़ता है.

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