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मौसम की मार से बेबस और लाचार हैं किसान, इस बार लीची ने रूलाया

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Published : May 30, 2019, 1:20 PM IST

मौसम की मार से शाही लीची के उत्पादन पर असर पड़ा है. किसान को इसबार लीची तोड़ने के बजाए पेड़ पर ही सड़ने को छोड़ना ज्यादा उचित जान पड़ रहा है.

शाही लीची

समस्तीपुर: उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर के बाद शाही लीची के उत्पादन में अव्वल रहने वाले जिले के किसान लाचार हैं. दरअसल मौसम की मार से शाही लीची के उत्पादन पर असर पड़ा है. मौसम की मार का असर कुछ ऐसा है कि किसान ने लीची को तोड़ने के बजाए पेड़ पर ही सड़ने को छोड़ दिया है.

दरअसल इस साल बारिश नहीं होने और पछुआ हवा ने जिले में लीची की फसल को बर्बाद कर दिया है. कई एकड़ में लगे लाल लीची दूर से तो लोगों को आकर्षित कर रहा है. लेकिन नजदीक आने पर इसकी हकीकत का पता चलता है. शाही लीची का ये फल तैयार होने से पहले ही फट गया है. इसका स्वाद भी खट्टा हो गया है. ऐसे में किसान हैरान और परेशान हैं. इस फसल का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.

मौसम की मार से बेबस शाही लीची के किसान

मौसम की मार से लाचार हुए किसान
कई एकड़ में लगे लीची के इस फसल का हाल बहुत ही बुरा है. आलम यह है कि इसे पेड़ से तोड़वाने के लिए किसान तैयार नहीं हो पा रहे हैं. इसे तोड़वाने में जितने खर्च आएगा उतने में यह बिकने वाला नहीं है. मौसम की बेरूखी से खराब हुए फलों को किसान तुड़वाने की बजाए पेड़ों पर ही सड़ने को छोड़ रहे हैं.

samastipur royal lichi
मौसम की मार से खराब पड़े लीची के फल

जिले की शाही लीची की खासियत

  • शाही लीची के लिए खास केंद्र हुआ करता है यह जिला.
  • दूर दराज के खरीदार यहां लीची के लिए आते हैं.
  • यहां से देश के बड़े-बड़े शहरों में लीची भेजी जाती है.
  • मुंबई-कोलकाता में शाही लीची की होती है खास डिमांड.

लेकिन इस साल गर्मी के कारण लीची तो लाल जरूर है, लेकिन पानी के कारण फल काठी छोटे रह गए. वहीं पछुआ हवा के कारण यह फटने भी लगा. दूरदराज के खरीदार भी मान रहे हैं कि इस बार जिले में शाही लीची की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है.

royal lichi samastipur
लीची के पेड़ में लगे फल

शाही के साथ चाइनीज लीची का भी होता है उत्पादन

गौरतलब है कि जिले में शाही लीची के अलावा चाइनीज लीची का भी उत्पादन काफी होता है. इस साल मंजर को देख किसान काफी उत्साहित थे. लेकिन वहीं मौसम की मार भारी पड़ गई. काफी खर्च के बाद भी जिले के किसानों को इस बार इस लीची ने पूरी तरह बेबस और बर्बाद कर दिया है.

समस्तीपुर: उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर के बाद शाही लीची के उत्पादन में अव्वल रहने वाले जिले के किसान लाचार हैं. दरअसल मौसम की मार से शाही लीची के उत्पादन पर असर पड़ा है. मौसम की मार का असर कुछ ऐसा है कि किसान ने लीची को तोड़ने के बजाए पेड़ पर ही सड़ने को छोड़ दिया है.

दरअसल इस साल बारिश नहीं होने और पछुआ हवा ने जिले में लीची की फसल को बर्बाद कर दिया है. कई एकड़ में लगे लाल लीची दूर से तो लोगों को आकर्षित कर रहा है. लेकिन नजदीक आने पर इसकी हकीकत का पता चलता है. शाही लीची का ये फल तैयार होने से पहले ही फट गया है. इसका स्वाद भी खट्टा हो गया है. ऐसे में किसान हैरान और परेशान हैं. इस फसल का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.

मौसम की मार से बेबस शाही लीची के किसान

मौसम की मार से लाचार हुए किसान
कई एकड़ में लगे लीची के इस फसल का हाल बहुत ही बुरा है. आलम यह है कि इसे पेड़ से तोड़वाने के लिए किसान तैयार नहीं हो पा रहे हैं. इसे तोड़वाने में जितने खर्च आएगा उतने में यह बिकने वाला नहीं है. मौसम की बेरूखी से खराब हुए फलों को किसान तुड़वाने की बजाए पेड़ों पर ही सड़ने को छोड़ रहे हैं.

samastipur royal lichi
मौसम की मार से खराब पड़े लीची के फल

जिले की शाही लीची की खासियत

  • शाही लीची के लिए खास केंद्र हुआ करता है यह जिला.
  • दूर दराज के खरीदार यहां लीची के लिए आते हैं.
  • यहां से देश के बड़े-बड़े शहरों में लीची भेजी जाती है.
  • मुंबई-कोलकाता में शाही लीची की होती है खास डिमांड.

लेकिन इस साल गर्मी के कारण लीची तो लाल जरूर है, लेकिन पानी के कारण फल काठी छोटे रह गए. वहीं पछुआ हवा के कारण यह फटने भी लगा. दूरदराज के खरीदार भी मान रहे हैं कि इस बार जिले में शाही लीची की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है.

royal lichi samastipur
लीची के पेड़ में लगे फल

शाही के साथ चाइनीज लीची का भी होता है उत्पादन

गौरतलब है कि जिले में शाही लीची के अलावा चाइनीज लीची का भी उत्पादन काफी होता है. इस साल मंजर को देख किसान काफी उत्साहित थे. लेकिन वहीं मौसम की मार भारी पड़ गई. काफी खर्च के बाद भी जिले के किसानों को इस बार इस लीची ने पूरी तरह बेबस और बर्बाद कर दिया है.

Intro:उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर के बाद शाही लीची के उत्पादन में अव्वल रहने वाले जिले में इस बार इस लीची ने किसानों को काफी लाचार कर दिया है। मौसम की मार का असर इस बार लीची यैसा पड़ा है कि, किसानों ने इसे तोड़ने के बजाय पैरों पर ही सड़ने को छोड़ दिया है। दरअसल पानी नहीं होने व पछुआ हवा के कारण इस बार जिले में लीची का फसल तैयार होने से पहले ही फट गए हैं।


Body:कई कई एकड़ में लगे लाल लाल लीची का फसल वैसे तो दूर से खूब आकर्षित कर रहा। लेकिन पेड़ों पर लदे इस फसल ने इस साल जिले के किसानों को पूरी तरह लाचार बना दिया है। दरअसल बारिश नहीं होने व तेज पछुआ हवा के वजह से इस साल जिले में शाही लीची को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। लीची का फल तैयार होने से पहले ही फट गए हैं, वही इसका स्वाद भी खट्टा रह गया। किसान बेजार हैं, क्योंकि यैसे फसल का कोई खरीदार नहीं मिल रहा। जिले में कई कई एकड़ में लगे लीची के इस फसल का हाल यह है कि, अब इसे तोड़वाने मे जितने पैसे लगेंगे, उतने में भी यह नहीं बिकने वाला। बाहरहाल जिले के अनेकों बेबस किसानो ने ,इसे तोड़ने के बजाए पेड़ो पर ही सड़ने के लिए छोड़ दिया है।

बाईट-किसान।

वीओ- गौरतलब है कि, सूबे में शाही लीची के खास उत्पादन को लेकर, दूरदराज के खरीदार का यह जिला खास केंद्र हुआ करता था। खासतौर पर मुंबई ,कोलकाता आदि महानगरों में यहां की लीची भेजी जाती थी। लेकिन इस साल गर्मी के कारण लीची तो लाल जरूर है, लेकिन पानी के कारण जहां इसके फल काठी छोटे रह गए वही पछुआ हवा के कारण यह फटने लगा। दूरदराज के खरीदारों का भी मानना है कि, इस बार जिले में शाही लीची का फसल पूरी तरह बर्बाद हो गया। टूटने के बाद जहां यह पूरी तरह खराब हो जाएंगे।

बाईट- खरीदार।


Conclusion:गौरतलब है कि, शाही लीची के अलावे यहां चाइनीज लीची का उत्पादन भी काफी होता है। लेकिन इस साल मंजर ने जहां किसानों को उत्साहित किया था, वही मौसम की मार इन पर यैसी पड़ी कि, काफी खर्च के बाद भी जिले के किसानों को इस बार इस लीची ने पूरी तरह लाचार कर दिया।


अमित कुमार की रिपोर्ट।
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