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कभी हजारों एकड़ जमीन सींचती थी जमुआरी नदी, आज नाले में हो गई तब्दील - समस्तीपुर खबर

बूढ़ी गंडक नदी से निकलने वाली जमुआरी नदी कभी समस्तीपुर की हजारों एकड़ जमीन की सिंचाई का जरिया थी. आज नदी नाले में तब्दील हो गई है. पानी इतना गंदा है कि उसका इस्तेमाल नहीं हो सकता.

Jamuari River samastipur
जमुआरी नदी
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Published : Feb 5, 2021, 6:09 PM IST

समस्तीपुर: एक तरफ जहां नीतीश सरकार अपने बीते व वर्तमान कार्यकाल में जल जीवन हरियाली योजना के तहत जलश्रोतों को जिंदा करने में जुटी है. वहीं, दूसरी तरफ समस्तीपुर में बहने वाली जमुआरी नदी लुप्त हो रही है.

बूढ़ी गंडक नदी से निकलने वाली जमुआरी नदी कभी हजारों एकड़ जमीन की सिंचाई का जरिया थी. आज नदी नाले में तब्दील हो गई है. करीब 60 किलोमीटर लंबी और 150 मीटर चौड़ी नदी में जगह-जगह गाद जमा हो गया है. गंडक के तट पर बने स्लुइस गेट को बंद कर इसके जलप्रवाह को भी रोक दिया गया है. किसानों के अनुसार कुछ दशक पहले तक यह नदी सिंचाई के साधन के रूप में वरदान थी. अब इसमें बहुत कम पानी रहता है. नदी की हालत नाले जैसी हो गई है.

देखें रिपोर्ट

"पहले नदी का पानी इतना साफ था कि उसमें लोग स्नान करते थे और किसान अपने खेतों की सिंचाई करते थे. अब इसका पानी नाले के पानी की तरह गंदा है. इस खराब पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए नहीं हो सकता."- सोनेलाल पंडित, किसान

यह भी पढ़ें- पूर्व जिला पार्षद के ऊपर हुए हमले की जांच करने दरभंगा प्रक्षेत्र के डीआईजी अजिताभ पहुंचे समस्तीपुर

लघु सिंचाई विभाग भेजी गई है योजना
वैसे इस नदी को फिर से जिंदा करने को लेकर करीब दो साल पहले जिला परिषद प्रशासन ने पहल किया था. नदी में जमे गाद की सफाई और जलस्रोत की बाधाओं को दूर करने के लिए लघु सिंचाई विभाग को योजना बनाकर भेजी गई थी.

"15वें वित्त आयोग के तहत जल संचय के क्षेत्र में काम हो रहा है. जमुआरी नदी को लेकर माइनर इरीगेशन की योजना भेजी गई है."- प्रेमलता, अध्यक्ष, जिला परिषद, समस्तीपुर

बहरहाल अगर जमुआरी नदी फिर से जिंदा हुई तो लाखों किसानों के लिए यह वरदान से कम नहीं होगा. वहीं, अगर सरकारी तंत्र की उदासीनता का यही हाल रहा तो जमुआरी नदी का अस्तित्व खत्म हो सकता है.

समस्तीपुर: एक तरफ जहां नीतीश सरकार अपने बीते व वर्तमान कार्यकाल में जल जीवन हरियाली योजना के तहत जलश्रोतों को जिंदा करने में जुटी है. वहीं, दूसरी तरफ समस्तीपुर में बहने वाली जमुआरी नदी लुप्त हो रही है.

बूढ़ी गंडक नदी से निकलने वाली जमुआरी नदी कभी हजारों एकड़ जमीन की सिंचाई का जरिया थी. आज नदी नाले में तब्दील हो गई है. करीब 60 किलोमीटर लंबी और 150 मीटर चौड़ी नदी में जगह-जगह गाद जमा हो गया है. गंडक के तट पर बने स्लुइस गेट को बंद कर इसके जलप्रवाह को भी रोक दिया गया है. किसानों के अनुसार कुछ दशक पहले तक यह नदी सिंचाई के साधन के रूप में वरदान थी. अब इसमें बहुत कम पानी रहता है. नदी की हालत नाले जैसी हो गई है.

देखें रिपोर्ट

"पहले नदी का पानी इतना साफ था कि उसमें लोग स्नान करते थे और किसान अपने खेतों की सिंचाई करते थे. अब इसका पानी नाले के पानी की तरह गंदा है. इस खराब पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए नहीं हो सकता."- सोनेलाल पंडित, किसान

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लघु सिंचाई विभाग भेजी गई है योजना
वैसे इस नदी को फिर से जिंदा करने को लेकर करीब दो साल पहले जिला परिषद प्रशासन ने पहल किया था. नदी में जमे गाद की सफाई और जलस्रोत की बाधाओं को दूर करने के लिए लघु सिंचाई विभाग को योजना बनाकर भेजी गई थी.

"15वें वित्त आयोग के तहत जल संचय के क्षेत्र में काम हो रहा है. जमुआरी नदी को लेकर माइनर इरीगेशन की योजना भेजी गई है."- प्रेमलता, अध्यक्ष, जिला परिषद, समस्तीपुर

बहरहाल अगर जमुआरी नदी फिर से जिंदा हुई तो लाखों किसानों के लिए यह वरदान से कम नहीं होगा. वहीं, अगर सरकारी तंत्र की उदासीनता का यही हाल रहा तो जमुआरी नदी का अस्तित्व खत्म हो सकता है.

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