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45 वर्षों बाद भी जिला अस्पताल में नहीं हैं बुनियादी सुविधाएं, मरीज त्रस्त

चिकित्सक के अभाव में बीते चार वर्षों से अस्पताल का अल्ट्रासाउंड विभाग बंद पड़ा है. आईसीयू के अभाव में गंभीर मरीजों का इलाज यहां संभव नहीं है.

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Published : Apr 25, 2019, 7:29 PM IST

सदर अस्पताल

समस्तीपुर: जिला मुख्यालय के पास स्थित सदर अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा दिया गया है. यानी इस अस्पताल को जिले का सबसे बड़ा व बेहतर अस्पताल होना चाहिए. लेकिन, इस हॉस्पिटल की कहानी बिल्कुल विपरीत है.
दरअसल, सदर अस्पताल में मरीज को लिए सुविधा के नाम पर छोटी-छोटी जरूरतें नदारद हैं. हर चुनाव से पहले जिला वासियों को यह आस जरूर जगती है कि शायद अब यहां के दिन बहुरेंगे. लेकिन, यहां के हालात बदलने का नाम ही नहीं ले रहे हैं.

जिला अस्पताल की दशा

बद से बदत्तर हैं हालात
समस्तीपुर को जिला बने लगभग 47 वर्ष बीतने को हैं. लेकिन, जिले के सबसे बड़े अस्पताल का वनवास खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इस अस्पताल का हाल यह है कि यहां एक भी अत्याधुनिक जांच की व्यवस्था नहीं है. आईसीयू जैसी सुविधा के अभाव में इमरजेंसी मरीजों को दूसरे जगह रेफर करना विकल्प हो गया है. हर चुनाव में इस बीमार अस्पताल को पूरी तरह स्वस्थ करने के दावें हुए. लेकिन, इस अस्पताल की बीमारी दूर नहीं हुई.

नहीं है डॉक्टर
सुविधा के नाम पर यहां सिर्फ एक्स-रे व पैथोलॉजी जांच मशीन है. मुख्य समस्याओं पर नजर डालें तो जिले के इस सबसे बड़े अस्पताल में डॉक्टरों की काफी कमी है. यही नहीं कई गंभीर बीमारियों से जुड़े डॉक्टरों की तो यहां आज तक बहाल भी नहीं हुई है. चिकित्सक के अभाव में बीते चार वर्षों से अल्ट्रासाउंड विभाग बंद पड़ा है. आईसीयू के अभाव में गंभीर मरीजों का इलाज यहां संभव नहीं है. साथ ही कई बार आश्वासन मिलने के बावजूद भी यहां बर्न वार्ड नहीं बन पाया है.

जवाब से बचते दिखे अधिकारी
बहरहाल, इन समस्याओं का जवाब राजनेताओं के साथ-साथ स्वास्थ्य से जुड़े अधिकारियों के पास भी नहीं है. वे इन समस्याओं पर खुलकर बोलने के बजाये, अपने सिस्टम की इन खामियों पर पर्दा डालते हुए जल्द सुविधाएं बहाल करने का भरोसा दे रहे हैं.

समस्तीपुर: जिला मुख्यालय के पास स्थित सदर अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा दिया गया है. यानी इस अस्पताल को जिले का सबसे बड़ा व बेहतर अस्पताल होना चाहिए. लेकिन, इस हॉस्पिटल की कहानी बिल्कुल विपरीत है.
दरअसल, सदर अस्पताल में मरीज को लिए सुविधा के नाम पर छोटी-छोटी जरूरतें नदारद हैं. हर चुनाव से पहले जिला वासियों को यह आस जरूर जगती है कि शायद अब यहां के दिन बहुरेंगे. लेकिन, यहां के हालात बदलने का नाम ही नहीं ले रहे हैं.

जिला अस्पताल की दशा

बद से बदत्तर हैं हालात
समस्तीपुर को जिला बने लगभग 47 वर्ष बीतने को हैं. लेकिन, जिले के सबसे बड़े अस्पताल का वनवास खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इस अस्पताल का हाल यह है कि यहां एक भी अत्याधुनिक जांच की व्यवस्था नहीं है. आईसीयू जैसी सुविधा के अभाव में इमरजेंसी मरीजों को दूसरे जगह रेफर करना विकल्प हो गया है. हर चुनाव में इस बीमार अस्पताल को पूरी तरह स्वस्थ करने के दावें हुए. लेकिन, इस अस्पताल की बीमारी दूर नहीं हुई.

नहीं है डॉक्टर
सुविधा के नाम पर यहां सिर्फ एक्स-रे व पैथोलॉजी जांच मशीन है. मुख्य समस्याओं पर नजर डालें तो जिले के इस सबसे बड़े अस्पताल में डॉक्टरों की काफी कमी है. यही नहीं कई गंभीर बीमारियों से जुड़े डॉक्टरों की तो यहां आज तक बहाल भी नहीं हुई है. चिकित्सक के अभाव में बीते चार वर्षों से अल्ट्रासाउंड विभाग बंद पड़ा है. आईसीयू के अभाव में गंभीर मरीजों का इलाज यहां संभव नहीं है. साथ ही कई बार आश्वासन मिलने के बावजूद भी यहां बर्न वार्ड नहीं बन पाया है.

जवाब से बचते दिखे अधिकारी
बहरहाल, इन समस्याओं का जवाब राजनेताओं के साथ-साथ स्वास्थ्य से जुड़े अधिकारियों के पास भी नहीं है. वे इन समस्याओं पर खुलकर बोलने के बजाये, अपने सिस्टम की इन खामियों पर पर्दा डालते हुए जल्द सुविधाएं बहाल करने का भरोसा दे रहे हैं.

Intro:जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल , जिसे जिला अस्पताल का दर्जा दिया गया है । यानी जिले का सबसे बड़ा व बेहतर अस्पताल । लेकिन यह सिर्फ नाम बड़े और दर्शन छोटे का यह बेहतरीन उदाहरण है । मरीज सुविधा के नाम पर यंहा छोटी से छोटी जरूरतें नदारद है । हर चुनाव से पहले यह आस जरूर जगता है की , शायद अब यंहा के दिन बहुरेंगे । लेकिन यंहा के हालात है की बदलने का नाम नही ले रहा ।


Body:जिला स्थापना का लगभग 47 वर्ष बीतने को है , लेकिन जिला के सबसे बड़े अस्पताल का वनवास है की खत्म होने का नाम नही ले रहा । वैसे जिला मुख्यालय के इस सदर अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा दिया गया है । लेकिन इस अस्पताल का हाल यह है की , यंहा एक भी अत्याधुनिक जांच की व्यवस्था नही । आईसीयू जैसी सुविधा के आभाव में इमरजेंसी मरीजों को रेफर करना ही यंहा एक विकल्प है । वैसे बीते कई चुनावों के दौरान इस बीमार अस्पताल को पूरी तरह स्वस्थ करने के कई दावे जरूर हुए । लेकिन इस अस्पताल की बीमारी दूर नही हुई । सुविधा के नाम पर सिर्फ एक्सरे व पैथोलॉजी जांच की व्यवस्था । वंही अगर मुख्य समस्याओं पर नजर डाले तो , जिले के इस सबसे बड़े अस्पताल में डॉक्टरों की काफी कमी । यही नही कई गंभीर बीमारियों से जुड़े डॉक्टर तो यंहा आज तक बहाल भी नही हुए । यही नही चिकित्सक के आभाव में बीते चार वर्षों से बंद है अल्ट्रासाउंड जैसी सुविधा । आईसीयू के आभाव में गंभीर मरीजों का इलाज यंहा संभव नही । साथ ही कई बार मिले आस्वासन के बाद भी यंहा नही बन पाया बर्न वार्ड । बहरहाल यैसे मरीजों का इलाज के लिए दरभंगा या पटना रेफर करना मजबूरी । वैसे इसका जबाब राजनेताओं के पास कुछ नही । वैसे जिले में स्वास्थ्य से जुड़े सबसे बड़े अधिकारी इन समस्याओं पर खुल कर बोलने के बजाये , अपने सिस्टम के इन खामियों पर पर्दा डालते हुए जल्द कई जरूरी सुविधा यंहा बहाल होने का भरोसा दे रहे ।

बाईट - सियाराम मिश्र , सिविल सर्जन , समस्तीपुर ।

वीओ - वैसे सवाल यह जरूर है की , आखिर सिर्फ नाम जिला अस्पताल का देने से क्या फायदा , जब वँहा मरीजों से जुड़ी सुविधा ही न हो । वैसे इस उदासीनता के पीछे जानकर लचर इच्छाशक्ति का हवाला दे रहे । उनका मानना है की , सरकार को इसको लेकर गंभीर होने की जरूरत है ।

बाईट - डॉ आर एन चौरसिया , विशेषज्ञ ।


Conclusion:गौरतलब है की जिले के इस सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का हाल किसी से छुपा नही। वैसे जिले के सरायरंजन प्रखंड में मेडिकल कॉलेज खोलने की मंजूरी जरूर मिली है । लेकिन इसके निर्माण की प्रक्रिया भी बीते कई वर्षों से अधर में अटकी है । सवाल क्या इस अस्पताल के दिन अब बहुरेंगे , या फिर जरूरतमंद गरीब मरीजों का भगवान ही मालिक होगा ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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