समस्तीपुर: रामचंद्र पासवान के निधन के कारण समस्तीपुर में 6 महीने के भीतर दूसरी बार सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है. 21 अक्टूबर को वोटिंग है, लिहाजा एनडीए और महागठबंधन की ओर से चुनाव प्रचार आखिरी दौर में है. एलजेपी ने रामचंद्र के बेटे प्रिंस राज को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर अशोक राम पर ही दांव खेला है.
1972 में ही अस्तित्व में आई लोकसभा सीट
समस्तीपुर लोकसभा सीट जिला बनने के साथ ही 1972 में अस्तित्व में आई. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की कुल आबादी 42 लाख 54 हजार 782 है. यहां 16 लाख 77 हजार 662 पंजीकृत मतदाता हैं. इसके तहत कुशेश्वर स्थान, वारिसनगर, हायाघाट, समस्तीपुर, कल्याणपुर और रोसड़ा विधानसभा क्षेत्र आते हैं.
लगातार 2 बार एलजेपी की जीत
2019 लोकसभा चुनाव में एलजेपी के उम्मीदवार रामचंद्र पासवान ने कांग्रेस प्रत्याशी अशोक कुमार को लगभग ढाई लाख वोटों से हराया था. 2014 में भी रामचंद्र पासवान की ही जीत हुई थी. वहीं, 2009 में जेडीयू के महेश्वर हजारी सांसद बने थे.
उपचुनाव में बदलता राजनीतिक समीकरण
इस बार उपचुनाव में बिहार का राजनीतिक समीकरण बदलता दिख रहा है. इन दिनों एक तरफ बीजेपी और जेडीयू के बीच दूरियां बढ़ी है, तो दूसरी तरफ महागठबंधन भी पूरी तरह से अलग-थलग दिख रहा है. दोनों पक्ष की ओर से जीत के दावे किए जा रहे हैं.
समस्तीपुर में रोमांचक उपचुनाव
एलजेपी ने रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज को इस बार उपचुनाव में उतारा है. पासवान परिवार से प्रिंस को अपने पिता के निधन से उपजी सहानुभूति और मोदी सरकार के कामकाज पर पूरा भरोसा है. अशोक राम को भी आरजेडी और महागठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग पर बड़ी उम्मीद है. अब देखना यह है कि इस बार के उपचुनाव में प्रिंस अपनी सियासी विरासत बचाते हैं या अशोक अपनी लगातार हार के सिलसिले को तोड़ते हैं.