समस्तीपुर : वर्ष 2008 के बाद बेहतर मानसून ने किसानों के उम्मीदों को बढ़ा दिया था. वहीं उत्साहित किसानों का भ्रम इसी मानसून ने ही तोड़कर भी रख दिया है. जिले में हो रही लगातार भारी बारिश के साथ ही जिले के कई हिस्सों में बाढ़ के पानी के कारण धान के खेत पूरी तरह से डूब चुके हैं. जिसे देखते हुए किसान चिंता में हैं कि अगर कुछ दिनों तक यही हाल रहा तो धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे.
बता दें कि वर्ष 2008 के बाद इस वर्ष बेहतर मानसून ने किसानों के अंदर धान की अच्छी उत्पादन की उम्मीद जगा दी. हालांकि इसका अच्छा परिणाम भी रहा कि जिले के किसानों ने इस बार सरकारी लक्ष्य लगभग 67000 हेक्टेयर से ज्यादा धान की रोपनी की. यही नहीं मानसून की मेहरबानी का नतीजा यह रहा कि कुछ ही दिनों के अंदर खेतों में फसल लहलहाने लगे.
सताने लगा फसल बर्बादी का डर
वहीं इसके कुछ ही दिनों के बाद उत्साहित किसानों का भ्रम इसी मानसून ने तोड़ दिया. जिले में हो रही लगातार भारी बारिश और जिले के कई हिस्सों में बाढ़ के फैले पानी के कारण धान के खेत अब पूरी तरह डूब चुके हैं. जिसे देखते हुए किसान चिंता में हैं. किसानों के मुताबिक अगर कुछ दिनों तक यही हाल रहा तो धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो जायेंगे.
नुकसान का आंकलन करने में जुटा विभाग
गौरतलब है कि धान के खेतों का हाल जिले के सभी हिस्सों में एक जैसा ही है. ऊंचे स्थानों पर तो अभी कुछ राहत है, लेकिन निचले हिस्सों के खेत और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एकड़ के एकड़ फसल पूरी तरह से डूबे हुए हैं. वहीं जिले में लक्ष्य से ज्यादा धान के रोपनी से उत्साहित कृषि विभाग भी अब नुकसान का आंकलन करने में जुट गया है.