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Samastipur News : बिहार में एवोकैडो की खेती की संभावना तलाशेगा पूसा केंद्रीय विवि, होगा अनुसंधान - पूसा कृषि विश्वविद्यालय

बिहार में खेती जीने का प्रमुख जरिया है. यहां के किसानों को कैसे फायदा पहुंचाया जाए इसको लेकर लगातार काम किया जाता है. ऐसे में पूसा कृषि विश्वविद्यालय ने एवोकैडो की खेती की संभावना तलाशने की बात की है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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avocado cultivation in Bihar Etv Bharat
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Published : Jun 6, 2023, 10:50 PM IST

समस्तीपुर : बिहार में डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (पूसा) समस्तीपुर में जल्द ही एवोकैडो की खेती और इस पर अनुसंधान का कार्य शुरू होगा. अनुसंधान का यह कार्य जुलाई से अगस्त माह के दौरान शुरू होने की संभावना है. विश्वविद्यालय के सह निदेशक अनुसंधान और प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल) प्रोफेसर एस के सिंह ने बताया कि बिहार की कृषि जलवायु में इस फल की खेती से संबंधित पैकेज एंड प्रैक्टिसेज दे पाना संभव होगा.

ये भी पढ़ें - Gaya News: अब काली हल्दी उपजा रहे गया के किसान.. इसमें है एंटी कैंसर गुण, कई बीमारियों का है रामबाण

प्रोफेसर एस के सिंह ने बताया कि अनुसंधान का यह कार्य जुलाई से अगस्त माह के दौरान शुरू होगा. एवोकैडो का फल स्वास्थ्य के लिए अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है. दक्षिण अमेरिका और लैटिन देश से जुड़े बहुत से व्यंजनों जैसे चिपोतले चिलीस, गुयाकमोल, चोरीजो, ब्रेकफास्टस और टोमेटिल्लो सूप आदि में एवोकैडो फल का उपयोग अधिक किया जाता है.

avocado cultivation in Bihar
पेड़ में लगा एवोकैडो फल.

एवोकैडो फल क्या है? : उन्होंने कहा कि, इसका प्रचलन आजकल भारत में भी अधिक देखने को मिल रहा है. एवोकैडो अधिक पौष्टिक फल है जिसमें पोटेशियम केले से भी अधिक पाया जाता है. इसके फलों में स्वास्थ संबंधित पोषक तत्व मौजूद होते है जो हमें तनाव से लड़ने में सहायता प्रदान करते हैं.

महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में इसकी खेती : दक्षिण मध्य मैक्सिको में इसकी खेती मुख्य रूप से की जाती है, लेकिन अब भारत के महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के कुछ भागों में भी इसकी खेती काफी जोरशोर से की जाने लगी है. हिमाचल एवं सिक्किम में तकरीबन 800 से 1600 मीटर की ऊंचाई पर एवोकैडो की खेती सफलतापूर्वक की जा रही है.

avocado cultivation in Bihar
अंदर से ऐसा रहता है एवोकैडो.

''इस वर्ष जुलाई, अगस्त से अखिल भारतीय समन्वित फल परियोजना के अंतर्गत इसके कुछ पेड़ पूसा में लगा कर इसकी खेती की संभावना को परखने का प्रयास किया है. इसमें फल आने में 5 से 6 वर्ष लगते हैं, उसके बाद ही बिहार की कृषि जलवायु में इस फल की खेती से संबंधित पैकेज एंड प्रैक्टिसेज दे पाना संभव होगा.'' - प्रोफेसर एस के सिंह, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा

एवोकैडो के एक फल की कीमत 350 से 500 रुपए : एवोकैडो की पैदावार उन्नत किस्म, खेत प्रबंधन और पेड़ की उम्र पर निर्भर करती है. सामान्य तौर पर एक पेड़ से 250 से 500 फल प्राप्त किए जा सकते हैं जबकि 10 से 12 वर्ष पुराने पेड़ से 350 से 550 फल प्राप्त हो सकते हैं. इस समय महानगरों में एवोकैडो का बाजार मूल्य गुणवत्ता के अनुसार 350 से लेकर 550 रूपए प्रति किलो है.

avocado cultivation in Bihar
पकने पर ऐसा हो जाता है एवोकैडो.

एवोकैडो फल पर अनुसंधान शुरू : इधर, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने डॉ एस के सिंह, प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल) एवं इस परियोजना से जुड़े वैज्ञानिक डॉ एके पांडा के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने सही समय पर सही शुरूआत की है. उन्होंने कहा कि इस फल पर शुरू किया गया अनुसंधान आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगा.

समस्तीपुर : बिहार में डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (पूसा) समस्तीपुर में जल्द ही एवोकैडो की खेती और इस पर अनुसंधान का कार्य शुरू होगा. अनुसंधान का यह कार्य जुलाई से अगस्त माह के दौरान शुरू होने की संभावना है. विश्वविद्यालय के सह निदेशक अनुसंधान और प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल) प्रोफेसर एस के सिंह ने बताया कि बिहार की कृषि जलवायु में इस फल की खेती से संबंधित पैकेज एंड प्रैक्टिसेज दे पाना संभव होगा.

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प्रोफेसर एस के सिंह ने बताया कि अनुसंधान का यह कार्य जुलाई से अगस्त माह के दौरान शुरू होगा. एवोकैडो का फल स्वास्थ्य के लिए अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है. दक्षिण अमेरिका और लैटिन देश से जुड़े बहुत से व्यंजनों जैसे चिपोतले चिलीस, गुयाकमोल, चोरीजो, ब्रेकफास्टस और टोमेटिल्लो सूप आदि में एवोकैडो फल का उपयोग अधिक किया जाता है.

avocado cultivation in Bihar
पेड़ में लगा एवोकैडो फल.

एवोकैडो फल क्या है? : उन्होंने कहा कि, इसका प्रचलन आजकल भारत में भी अधिक देखने को मिल रहा है. एवोकैडो अधिक पौष्टिक फल है जिसमें पोटेशियम केले से भी अधिक पाया जाता है. इसके फलों में स्वास्थ संबंधित पोषक तत्व मौजूद होते है जो हमें तनाव से लड़ने में सहायता प्रदान करते हैं.

महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में इसकी खेती : दक्षिण मध्य मैक्सिको में इसकी खेती मुख्य रूप से की जाती है, लेकिन अब भारत के महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के कुछ भागों में भी इसकी खेती काफी जोरशोर से की जाने लगी है. हिमाचल एवं सिक्किम में तकरीबन 800 से 1600 मीटर की ऊंचाई पर एवोकैडो की खेती सफलतापूर्वक की जा रही है.

avocado cultivation in Bihar
अंदर से ऐसा रहता है एवोकैडो.

''इस वर्ष जुलाई, अगस्त से अखिल भारतीय समन्वित फल परियोजना के अंतर्गत इसके कुछ पेड़ पूसा में लगा कर इसकी खेती की संभावना को परखने का प्रयास किया है. इसमें फल आने में 5 से 6 वर्ष लगते हैं, उसके बाद ही बिहार की कृषि जलवायु में इस फल की खेती से संबंधित पैकेज एंड प्रैक्टिसेज दे पाना संभव होगा.'' - प्रोफेसर एस के सिंह, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा

एवोकैडो के एक फल की कीमत 350 से 500 रुपए : एवोकैडो की पैदावार उन्नत किस्म, खेत प्रबंधन और पेड़ की उम्र पर निर्भर करती है. सामान्य तौर पर एक पेड़ से 250 से 500 फल प्राप्त किए जा सकते हैं जबकि 10 से 12 वर्ष पुराने पेड़ से 350 से 550 फल प्राप्त हो सकते हैं. इस समय महानगरों में एवोकैडो का बाजार मूल्य गुणवत्ता के अनुसार 350 से लेकर 550 रूपए प्रति किलो है.

avocado cultivation in Bihar
पकने पर ऐसा हो जाता है एवोकैडो.

एवोकैडो फल पर अनुसंधान शुरू : इधर, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने डॉ एस के सिंह, प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल) एवं इस परियोजना से जुड़े वैज्ञानिक डॉ एके पांडा के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने सही समय पर सही शुरूआत की है. उन्होंने कहा कि इस फल पर शुरू किया गया अनुसंधान आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगा.

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