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समस्तीपुर: तपती गर्मी और पानी की किल्लत से आम जन के अलावा जानवरों का भी बुरा हाल

पूरा जिला सूखे की चपेट में है. जल स्तर नीचे चले जाने के कारण जहां पहली बार पानी की एक-एक बूंद को लेकर आमजन परेशान है. वहीं जानवर भी इस भीषण गर्मी में प्यासे तड़प रहे हैं.

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Published : May 13, 2019, 7:06 PM IST

समस्तीपुर: जिले में पहली बार गर्मी में पानी को लेकर मचे त्राहिमाम के बीच आमजन का जीना मुहाल है. अब इस गर्मी का असर बेजुबान जानवरों के ऊपर भी दिखने लगा है. पालतु पशुओं को तो किसी तरह बचाने की जद्दोजहद में पशुपालक लगे हैं. लेकिन खुले में रहने वाले पशु-पक्षी पानी-पानी को तरस रहे हैं. समस्या इस कारण और विकट है कि, नदी-तालाब में पानी की जगह धूल उड़ रहे हैं. जिसके कारण ये बेजुबान दम तोड़ने के कगार पर पहुंच गए हैं.

पूरा जिला सूखे की चपेट में है. जल स्तर नीचे चले जाने के कारण पहली बार जिले में पानी की एक-एक बूंद को लेकर आमजन हलकान हैं. इस विकट हालात में बेजुबान अपनी प्यास कैसे बुझाये ये सबसे बड़ी चिंता की बात है. जिले के लगभग सभी तालाब पूरी तरह सूख चुके हैं. ऐसे में बेजुबान पशु-पक्षियों का सबसे बुरा हाल है.
प्यासे तड़प रहे हैं जानवर

सड़कों पर जानवर प्यासे तड़प रहे हैं. कुछ जगहों पर तो नालों के गंदे पानी ही उनके जीवन का सहारा बना हुआ है. अगर कुछ दिनों तक यही हाल रहा तो, पानी के बिना इन बेजुबानों की मौत भी हो सकती है. पालतु पशुओं को भी अधिक दिनों तक कैसे बचाएं, इसको लेकर पशुपालक चिंतित हैं.

समस्तीपुर से खास रिपोर्ट

पशुओं को दो वक्त नहलाना है जरूरी
जानकारों का कहना है कि ऐसी गर्मी में बड़े पशुओं को 70 से 80 लीटर पानी एक दिन में चाहिए. वहीं छोटे जानवरों को भी कम से कम10 से 20 लीटर पानी की जरूरत होती है. यही नहीं कई पालतु पशुओं को अगर ऐसी भीषण गर्मी में दो वक्त नहीं नहलाया जाए तो उसकी तबीयत खराब हो सकती है.

अपने घरों के बाहर रखें पानी

बहरहाल, इन बेजुबानों की रक्षा कैसे हो इसे लेकर लोगों को गंभीर और सजग होने की जरूरत है. ऐसे में अगर घरों के बाहर पानी का इंतजाम किया जाए तो कुछ हद तक पशु-पक्षियों को इस मौसम में थोड़ी राहत मिल सकती है.

समस्तीपुर: जिले में पहली बार गर्मी में पानी को लेकर मचे त्राहिमाम के बीच आमजन का जीना मुहाल है. अब इस गर्मी का असर बेजुबान जानवरों के ऊपर भी दिखने लगा है. पालतु पशुओं को तो किसी तरह बचाने की जद्दोजहद में पशुपालक लगे हैं. लेकिन खुले में रहने वाले पशु-पक्षी पानी-पानी को तरस रहे हैं. समस्या इस कारण और विकट है कि, नदी-तालाब में पानी की जगह धूल उड़ रहे हैं. जिसके कारण ये बेजुबान दम तोड़ने के कगार पर पहुंच गए हैं.

पूरा जिला सूखे की चपेट में है. जल स्तर नीचे चले जाने के कारण पहली बार जिले में पानी की एक-एक बूंद को लेकर आमजन हलकान हैं. इस विकट हालात में बेजुबान अपनी प्यास कैसे बुझाये ये सबसे बड़ी चिंता की बात है. जिले के लगभग सभी तालाब पूरी तरह सूख चुके हैं. ऐसे में बेजुबान पशु-पक्षियों का सबसे बुरा हाल है.
प्यासे तड़प रहे हैं जानवर

सड़कों पर जानवर प्यासे तड़प रहे हैं. कुछ जगहों पर तो नालों के गंदे पानी ही उनके जीवन का सहारा बना हुआ है. अगर कुछ दिनों तक यही हाल रहा तो, पानी के बिना इन बेजुबानों की मौत भी हो सकती है. पालतु पशुओं को भी अधिक दिनों तक कैसे बचाएं, इसको लेकर पशुपालक चिंतित हैं.

समस्तीपुर से खास रिपोर्ट

पशुओं को दो वक्त नहलाना है जरूरी
जानकारों का कहना है कि ऐसी गर्मी में बड़े पशुओं को 70 से 80 लीटर पानी एक दिन में चाहिए. वहीं छोटे जानवरों को भी कम से कम10 से 20 लीटर पानी की जरूरत होती है. यही नहीं कई पालतु पशुओं को अगर ऐसी भीषण गर्मी में दो वक्त नहीं नहलाया जाए तो उसकी तबीयत खराब हो सकती है.

अपने घरों के बाहर रखें पानी

बहरहाल, इन बेजुबानों की रक्षा कैसे हो इसे लेकर लोगों को गंभीर और सजग होने की जरूरत है. ऐसे में अगर घरों के बाहर पानी का इंतजाम किया जाए तो कुछ हद तक पशु-पक्षियों को इस मौसम में थोड़ी राहत मिल सकती है.

Intro:जिले में पहली बार इस गर्मी पानी को लेकर मचे त्राहिमाम के बीच आमजन का जीना जहां मुहाल है। वहीं अब बेजुबान जानवर के जान पर यह मौसम कहर बरपाने लगा है। पालतू पशुओं को तो किसी तरह बचाने की जद्दोजहद में पशुपालक लगे हैं। लेकिन अन्य खुले में रहने वाले पशु पक्षी पानी पानी को तरस रहे। समस्या इस कारण और विकट है कि, नदी तालाब में पानी की जगह धूल उड़ रहे। अब तो हाल यह है कि, पानी के अभाव में दम तोड़ने लगेंगे ये बेजुबान।


Body:पूरा जिला सूखे की चपेट में है। जल स्तर नीचे चले जाने के कारण जहां पहली बार जिले में पानी के एक एक बूंद को लेकर आमजन हलकान है। वहीं इस हालात में बेजुबान जानवर कैसे प्यास बुझाये लोग। समस्या यह है कि जिले के लगभग सभी तालाब पोखर पूरी तरह सूख चुके हैं। पालतू पशुओं को तो किसी तरह पशुपालक प्यास बुझा रहे। लेकिन अन्य बेजुबान इन पशु पक्षियों का तो अब भगवान ही मालिक है। सड़कों पर जानवर प्याज से हलकान है। कुछ जगहों पर तो नालों के गंदे पानी ही उनके जीवन का सहारा बना हुआ है। लेकिन बहुतेरे जगहों पर तो वह भी इन बेजुबानों को प्यास बुझाने को नहीं मिल रहा। अगर कुछ दिनों तक यही हाल रहा तो, सड़कों पर पानी के बिना इन बेजुबान जानवरों का मौत संभव है। यही नहीं पालतू पशुओं का भी अधिक दिनों तक कैसे बचायें इस बात को लेकर भी पशुपालक चिंतित हैं।

बाईट- पशुपालक।


वीओ- प्रकृति का प्रकोप बताने को काफी है कि, अगर गर्मी का हाल यही रहा तो, सड़कों पर दम तोड़ने लगेंगे यह बेजुबान। जानकारों के अनुसार यैसी गर्मी में बड़े पशुओं को70से80 लीटर पानी एक दिन में चाहिए। वहीं छोटे जानवरों को भी कम से कम10से20 लीटर पानी की जरूरत होती है। यही नहीं कई पालतू पशुओं को अगर यैसी भीषण गर्मी में दो वक्त पानी से नहीं नहाया जाए तो, वॉइस मौसम को नहीं बर्दाश्त कर सकते।


बाईट- विजय कुमार, पशु चिकित्सक।


Conclusion:बाहरहाल अब इन बेजुबानों का रक्षा कैसे हो इसको लेकर सभी को गंभीर होना होगा। खास तौर पर ऐसे पशु पक्षियों को इस मौसम में बचाने को लेकर हम सबों को अपने घरों के बाहर पानी का कुछ व्यवस्था इन बेजुबान ओं के लिए करने की जरूरत है। नहीं तो शायद इस गर्मी अब दम तोड़ने लगेंगे यह बेजुबान।


अमित कुमार की रिपोर्ट।
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