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मौसम के करवट बदलते से 'चमकी' की पकड़ हुई कमजोर, डॉक्टर और परिजनों ने ली राहत की सांस

इंसेफेलाइटिस वार्ड में तैनात डॉक्टर और नर्स जो कल तक इस जानलेवा बीमारी को लेकर काफी तनाव में दिख रहे थे, वहीं आज वो काफी निश्चिंत हैं. इनका बताना है कि चमकी की बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या कम हो गई है.

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Published : Jul 1, 2019, 9:37 AM IST

चमकी का कहर कम

समस्तीपुरः जिले में बारिश होने के बाद इंसेफेलाइटिस का प्रकोप शांत होता दिख रहा है, जिसके बाद डॉक्टर और परिजनों के माथे से चिंता की लकीरें हट गई हैं. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी काफी राहत महसूस कर रहे हैं. जिन्होंने तकरीबन एक महीने से अस्पताल में काफी मुस्तैदी से बच्चों का इलाज किया. यहां से तकरीबन 100 में से 70-75 बच्चे को चमकी बीमारी से ठीक कर घर भेजा गया. जबकि 22 बच्चों को बाहर रेफर किया गया.

अस्पताल में कम हुई भीड़

जिले में चमकी बीमारी को लेकर जहां सदर अस्पताल के इंसेफेलाइटिस वार्ड में कल तक आपाधापी मची थी और पीड़ित बच्चों की कतारें लगी हुई थी. वहीं, आज इंसेफेलाइटिस वार्ड में महज एक दो बच्चे ही रह गए हैं. यहां कुछ दिनों पहले तक एक बेड पर दो-दो तीन-तीन बच्चों का इलाज हुआ करता था. लेकिन अब बदलते मौसम के कारण चमकी बुखार का कहर थमता दिख रहा है. इसको लेकर डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों ने राहत की सांस ली है.

doctor
अस्पताल में डॉक्टर

डाक्टरों को मिली राहत

वहीं, ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर नागमणि राज ने बताया कि 12 जून से इंसेफेलाइटिस और चमकी बुखार का कहर इस कदर फैला हुआ था कि रोजाना दस से पंद्रह बच्चे वार्ड में आया करते थे. उस समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. बच्चों के इलाज में काफी परेशानियां हो रही थी. लेकिन मौसम के करवट बदलते ही चमकी बुखार का कहर जिले में कम होता दिख रहा है. यहां तकरीबन 100 से ज्यादा बच्चे भर्ती किए गए थे, जिनमें 70-75 बच्चों को अच्छा करके घर भेजा गया.

जानकारी देते संवाददाता

दहशत में थे परिजन और बच्चे

इंसेफेलाइटिस वार्ड में तैनात डॉक्टर और नर्स जो कल तक इस जानलेवा बीमारी को लेकर काफी तनाव में दिख रहे थे, वहीं आज वो काफी निश्चिंत हैं. इनका बताना है कि चमकी की बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या कम हो गई है. वैसे नॉर्मल बुखार से पीड़ित जो भी बच्चे आते हैं उसका फिलहाल इसी वार्ड में इलाज किया जाता है. लेकिन अब चमकी बुखार का कहर जिले में देखने को नहीं मिल रहा है. मालूम हो कि पूरे उत्तर बिहार में जानलेवा बीमारी चमकी बुखार ने 200 से ज्यादा बच्चों को मौत की नींद सुला दिया. बिहार समेत पूरे देश में चमकी को लेकर लोगों में दहशत थी. इस दौरान सरकारी व्यवस्थाएं भी संतोषजनक नहीं रहीं, जिससे सरकार को भी काफी फजीहत झेलनी पड़ी.

समस्तीपुरः जिले में बारिश होने के बाद इंसेफेलाइटिस का प्रकोप शांत होता दिख रहा है, जिसके बाद डॉक्टर और परिजनों के माथे से चिंता की लकीरें हट गई हैं. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी काफी राहत महसूस कर रहे हैं. जिन्होंने तकरीबन एक महीने से अस्पताल में काफी मुस्तैदी से बच्चों का इलाज किया. यहां से तकरीबन 100 में से 70-75 बच्चे को चमकी बीमारी से ठीक कर घर भेजा गया. जबकि 22 बच्चों को बाहर रेफर किया गया.

अस्पताल में कम हुई भीड़

जिले में चमकी बीमारी को लेकर जहां सदर अस्पताल के इंसेफेलाइटिस वार्ड में कल तक आपाधापी मची थी और पीड़ित बच्चों की कतारें लगी हुई थी. वहीं, आज इंसेफेलाइटिस वार्ड में महज एक दो बच्चे ही रह गए हैं. यहां कुछ दिनों पहले तक एक बेड पर दो-दो तीन-तीन बच्चों का इलाज हुआ करता था. लेकिन अब बदलते मौसम के कारण चमकी बुखार का कहर थमता दिख रहा है. इसको लेकर डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों ने राहत की सांस ली है.

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अस्पताल में डॉक्टर

डाक्टरों को मिली राहत

वहीं, ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर नागमणि राज ने बताया कि 12 जून से इंसेफेलाइटिस और चमकी बुखार का कहर इस कदर फैला हुआ था कि रोजाना दस से पंद्रह बच्चे वार्ड में आया करते थे. उस समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. बच्चों के इलाज में काफी परेशानियां हो रही थी. लेकिन मौसम के करवट बदलते ही चमकी बुखार का कहर जिले में कम होता दिख रहा है. यहां तकरीबन 100 से ज्यादा बच्चे भर्ती किए गए थे, जिनमें 70-75 बच्चों को अच्छा करके घर भेजा गया.

जानकारी देते संवाददाता

दहशत में थे परिजन और बच्चे

इंसेफेलाइटिस वार्ड में तैनात डॉक्टर और नर्स जो कल तक इस जानलेवा बीमारी को लेकर काफी तनाव में दिख रहे थे, वहीं आज वो काफी निश्चिंत हैं. इनका बताना है कि चमकी की बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या कम हो गई है. वैसे नॉर्मल बुखार से पीड़ित जो भी बच्चे आते हैं उसका फिलहाल इसी वार्ड में इलाज किया जाता है. लेकिन अब चमकी बुखार का कहर जिले में देखने को नहीं मिल रहा है. मालूम हो कि पूरे उत्तर बिहार में जानलेवा बीमारी चमकी बुखार ने 200 से ज्यादा बच्चों को मौत की नींद सुला दिया. बिहार समेत पूरे देश में चमकी को लेकर लोगों में दहशत थी. इस दौरान सरकारी व्यवस्थाएं भी संतोषजनक नहीं रहीं, जिससे सरकार को भी काफी फजीहत झेलनी पड़ी.

Intro:समस्तीपुर मौसम का करवट बदलते ही थमा इंसेफेलाइटिस का कहर ।राहत का सांस लिए ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी।


Body:चमकी बीमारी को लेकर जहां सदर अस्पताल के इंसेफेलाइटिस वार्ड में आपाधापी मची रहती थी ।पीड़ित बच्चों की कतारें लगी रहती थी। एक बेड पर दो दो तीन तीन बच्चे की इलाज हुआ करता था ।आज वही इंसेफेलाइटिस वार्ड में महज एक दो बच्चे ही रह गए हैं ।चमकी बुखार का कहर जिले में थमता दिख रहा है इसको लेकर डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी ने राहत का सांस लिया है। वही ड्यूटी पर तैनात डाक्टर नागमणि राज का बताना है कि 12 जून से इंसेफेलाइटिस और चमकी बुखार का कहर इस कदर फैला हुआ था की प्रतिदिन दस से पंद्रह बच्चे वार्ड में आया करते थे ।और उस समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था ।बच्चों के इलाज में काफी परेशानियां हो रही थी लेकिन मौसम के करवट बदलते ही चमकी बुखार का कहर जिले में कम होता दिख रहा है ।


Conclusion:इंसेफेलाइटिस वार्ड में तैनात डॉक्टर और नर्स ने राहत की सांस ली है ।इनका बताना है चमकी की बुखार से पीड़ित बच्चे की संख्या कम हो गई है। वैसे नॉर्मल बुखार से पीड़ित जो भी बच्चे आते हैं उसका फिलहाल इसी वार्ड में इलाज किया जाता है। लेकिन अब चमकी बुखार का कहर जिले में नही देखने को मिल रहा है ।
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