समस्तीपुरः भारत की पहचान ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए है. यहां पर कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जो देश-विदेश के पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींच लाते हैं. हालांकि सरकारी बाबुओं की लाल फीताशाही के कारण ये ऐतिहासिक स्थल या तो अपनी पहचान बचाने की जद्दोजेहद में है या फिर बीतते समय के साथ अपने अस्तित्व को बचाने में जुटे हुए हैं.
कुछ ऐसा ही हाल है जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर के दूरी पर दलसिंहसराय का पांडव स्थान का. यह स्थल महाभारतकालीन बताया जाता है. इस जगह से पुरातत्व विभाग को पांडवों से जुड़े कई अहम जानकारियां मिली थी. लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के वजह से यह ऐतिहासिक पर्यटन स्थल आज गुमनामी के अंधेरे गुम है.
'बना हुआ है पांडव कृष्णधाम मंदिर'
22 एकड़ में फैले इस स्थान को लेकर पुरातत्व विभाग कर्मी रामचंद्र महतो बताते हैं कि महाभारत काल के समय पंडवों को अज्ञातवास मिला था. इस दौरान पाडंवों ने छिपने के लिए लाख का महल 'लाक्षागृह' बनाया था. पांडवों ने महल में एक सुरंग बनाई थी, जिसका रास्ता यहां पर निकालता है. वर्तमान समय में यहां पर पांडव कृष्णधाम मंदिर बना हुआ है. जिसमें भगवान श्री कृष्ण के अलावे पांडवों की प्रतिमा भी लगी हुई है.
'2002 में हुई थी खुदाई'
रामचंद्र महतो बताते हैं कि यह स्थान काफी ऐतिहासिक है. यहां पर 2002 में पुरातत्व विभाग की ओर से खुदाई की गई थी. खुदाई के दौरान यहां से कई मूर्तियां, औजार, हाथी दांत ,गोमेद पत्थर समेत कई दुर्लभ वस्तुएं प्राप्त हुई थी.
नीतीश कुमार ने लिया था जायजा
पांडव स्थान से जुड़े सदस्य धर्मेश कुमार बताते हैं कि नीतीश कुमार ने सेवा यात्रा के दौरान खुद से इस स्थल का जायजा लिया था. उस समय उन्होंने इस जगह को एक बड़े पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का वादा किया था. लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी वादा धरातल पर नहीं उतर सका. जिस वजह से यह ऐतिहासिक स्थल आज भी अपनी पहचान बनाने को लेकर सरकारी तंत्र से जुझ रहा है. हालांकि स्थानीय नेताओं के प्रयासों के कारण मुख्यमंत्री सचिवालय ने इस मामले पर संज्ञान लिया है.
बेगूसराय में रखे गए हैं अवशेष
गौरतलब है की मुख्यमंत्री के निर्देश पर यहां लगभग साढ़े चार बीघा जमीन की नापी की गई थी. जिसके बाद सालों बीतने के बाद भी यहां पर कुछ नया नहीं हुआ. वहीं, 2002 की खुदाई के दौरान मिले अवशेषों को पटना और बेगूसराय संग्रहालय में रखे गए हैं.