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गुमनामी के अंधेरे में गुम है यह महाभारतकालीन स्थल, CM नीतीश ने किया था विकसित करने का दावा - नीतीश कुमार

पांडव स्थान से जुड़े सदस्य बताते हैं कि नीतीश कुमार ने सेवा यात्रा के दौरान खुद से इस स्थल का जायजा लिया था. उस समय उन्होंने इस जगह को एक बड़े पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का वादा किया था. लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी वादा धरातल पर नहीं उतर सका.

महाभारतकालीन स्थल
महाभारतकालीन स्थल
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Published : Jan 6, 2020, 2:57 PM IST

समस्तीपुरः भारत की पहचान ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए है. यहां पर कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जो देश-विदेश के पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींच लाते हैं. हालांकि सरकारी बाबुओं की लाल फीताशाही के कारण ये ऐतिहासिक स्थल या तो अपनी पहचान बचाने की जद्दोजेहद में है या फिर बीतते समय के साथ अपने अस्तित्व को बचाने में जुटे हुए हैं.
कुछ ऐसा ही हाल है जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर के दूरी पर दलसिंहसराय का पांडव स्थान का. यह स्थल महाभारतकालीन बताया जाता है. इस जगह से पुरातत्व विभाग को पांडवों से जुड़े कई अहम जानकारियां मिली थी. लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के वजह से यह ऐतिहासिक पर्यटन स्थल आज गुमनामी के अंधेरे गुम है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

'बना हुआ है पांडव कृष्णधाम मंदिर'
22 एकड़ में फैले इस स्थान को लेकर पुरातत्व विभाग कर्मी रामचंद्र महतो बताते हैं कि महाभारत काल के समय पंडवों को अज्ञातवास मिला था. इस दौरान पाडंवों ने छिपने के लिए लाख का महल 'लाक्षागृह' बनाया था. पांडवों ने महल में एक सुरंग बनाई थी, जिसका रास्ता यहां पर निकालता है. वर्तमान समय में यहां पर पांडव कृष्णधाम मंदिर बना हुआ है. जिसमें भगवान श्री कृष्ण के अलावे पांडवों की प्रतिमा भी लगी हुई है.

पांडव कृष्णधाम मंदिर परिसर
पांडव कृष्णधाम मंदिर परिसर

'2002 में हुई थी खुदाई'
रामचंद्र महतो बताते हैं कि यह स्थान काफी ऐतिहासिक है. यहां पर 2002 में पुरातत्व विभाग की ओर से खुदाई की गई थी. खुदाई के दौरान यहां से कई मूर्तियां, औजार, हाथी दांत ,गोमेद पत्थर समेत कई दुर्लभ वस्तुएं प्राप्त हुई थी.

आवेदन दिखात हुआ पांडव स्थान के सदस्य
आवेदन दिखात हुआ पांडव स्थान के सदस्य

नीतीश कुमार ने लिया था जायजा
पांडव स्थान से जुड़े सदस्य धर्मेश कुमार बताते हैं कि नीतीश कुमार ने सेवा यात्रा के दौरान खुद से इस स्थल का जायजा लिया था. उस समय उन्होंने इस जगह को एक बड़े पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का वादा किया था. लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी वादा धरातल पर नहीं उतर सका. जिस वजह से यह ऐतिहासिक स्थल आज भी अपनी पहचान बनाने को लेकर सरकारी तंत्र से जुझ रहा है. हालांकि स्थानीय नेताओं के प्रयासों के कारण मुख्यमंत्री सचिवालय ने इस मामले पर संज्ञान लिया है.

बेगूसराय में रखे गए हैं अवशेष
गौरतलब है की मुख्यमंत्री के निर्देश पर यहां लगभग साढ़े चार बीघा जमीन की नापी की गई थी. जिसके बाद सालों बीतने के बाद भी यहां पर कुछ नया नहीं हुआ. वहीं, 2002 की खुदाई के दौरान मिले अवशेषों को पटना और बेगूसराय संग्रहालय में रखे गए हैं.

समस्तीपुरः भारत की पहचान ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए है. यहां पर कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जो देश-विदेश के पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींच लाते हैं. हालांकि सरकारी बाबुओं की लाल फीताशाही के कारण ये ऐतिहासिक स्थल या तो अपनी पहचान बचाने की जद्दोजेहद में है या फिर बीतते समय के साथ अपने अस्तित्व को बचाने में जुटे हुए हैं.
कुछ ऐसा ही हाल है जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर के दूरी पर दलसिंहसराय का पांडव स्थान का. यह स्थल महाभारतकालीन बताया जाता है. इस जगह से पुरातत्व विभाग को पांडवों से जुड़े कई अहम जानकारियां मिली थी. लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के वजह से यह ऐतिहासिक पर्यटन स्थल आज गुमनामी के अंधेरे गुम है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

'बना हुआ है पांडव कृष्णधाम मंदिर'
22 एकड़ में फैले इस स्थान को लेकर पुरातत्व विभाग कर्मी रामचंद्र महतो बताते हैं कि महाभारत काल के समय पंडवों को अज्ञातवास मिला था. इस दौरान पाडंवों ने छिपने के लिए लाख का महल 'लाक्षागृह' बनाया था. पांडवों ने महल में एक सुरंग बनाई थी, जिसका रास्ता यहां पर निकालता है. वर्तमान समय में यहां पर पांडव कृष्णधाम मंदिर बना हुआ है. जिसमें भगवान श्री कृष्ण के अलावे पांडवों की प्रतिमा भी लगी हुई है.

पांडव कृष्णधाम मंदिर परिसर
पांडव कृष्णधाम मंदिर परिसर

'2002 में हुई थी खुदाई'
रामचंद्र महतो बताते हैं कि यह स्थान काफी ऐतिहासिक है. यहां पर 2002 में पुरातत्व विभाग की ओर से खुदाई की गई थी. खुदाई के दौरान यहां से कई मूर्तियां, औजार, हाथी दांत ,गोमेद पत्थर समेत कई दुर्लभ वस्तुएं प्राप्त हुई थी.

आवेदन दिखात हुआ पांडव स्थान के सदस्य
आवेदन दिखात हुआ पांडव स्थान के सदस्य

नीतीश कुमार ने लिया था जायजा
पांडव स्थान से जुड़े सदस्य धर्मेश कुमार बताते हैं कि नीतीश कुमार ने सेवा यात्रा के दौरान खुद से इस स्थल का जायजा लिया था. उस समय उन्होंने इस जगह को एक बड़े पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का वादा किया था. लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी वादा धरातल पर नहीं उतर सका. जिस वजह से यह ऐतिहासिक स्थल आज भी अपनी पहचान बनाने को लेकर सरकारी तंत्र से जुझ रहा है. हालांकि स्थानीय नेताओं के प्रयासों के कारण मुख्यमंत्री सचिवालय ने इस मामले पर संज्ञान लिया है.

बेगूसराय में रखे गए हैं अवशेष
गौरतलब है की मुख्यमंत्री के निर्देश पर यहां लगभग साढ़े चार बीघा जमीन की नापी की गई थी. जिसके बाद सालों बीतने के बाद भी यहां पर कुछ नया नहीं हुआ. वहीं, 2002 की खुदाई के दौरान मिले अवशेषों को पटना और बेगूसराय संग्रहालय में रखे गए हैं.

Intro:महाभारतकालीन पांडवों से जुड़े स्थान का देखिये हाल , जिस जगह को एक बड़े पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित होना चाहिए था , आज वह गुमनामी के अंधेरे में है । यही नही पांडवों से जुड़े इस स्थान पर पुरातत्व को भी हजारों वर्ष पुराने कई अहम अवशेष भी मिले है ।


Body:जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर के दूरी पर दलसिंहसराय का पांडव स्थान । करीब 22 एकड़ में फैले इस स्थान को लेकर मान्यता है की , महाभारतकालीन में अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव यंहा आये थे । वर्तमान में यंहा पांडव कृष्णधाम मंदिर बना है , साथ ही पांडवों का प्रतिमा भी लगा है ।यही नही इस पांडव स्थान के आसपास 2002 में पुरातत्व विभाग के खुदाई के दौरान , मूर्तियां , औजार , हाथी दांत , गोमेद पत्थर , कीमती मोती समेत कई दुर्लभ चीजे प्राप्त हुई । यही नही इस खुदाई में शामिल स्थानीय लोगों की माने तो , कई यैसी वस्तु मिली जो सिद्ध करता है की , यह स्थान पांडवों से जुड़ा है ।

बाईट - रामचंद्र महतो , पुरातत्व कर्मचारी व स्थानीय लोग ।

वीओ - इस पांडव स्थान से जुड़े सदस्यों के अनुसार , मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने सेवा यात्रा के दौरान खुद इस स्थान का जायजा लिया था , वह इसे एक बड़े पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित करने का वादा भी किया था । लेकिन वर्षो बीत गए पांडव स्थान को लेकर कुछ भी नया नही हुआ । वैसे स्थानीय स्तर पर हुए प्रयास के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय ने संज्ञान जरूर लिया , लेकिन धरातल पर अबतक कोई असर नही ।

बाईट - धर्मेश कुमार , आवेदक व स्थानीय लोग ।


Conclusion:गौरतलब है की , मुख्यमंत्री के निर्देश पर यंहा करीब साढ़े चार बीघा जमीन की नापी पर्यटक स्थल को लेकर जरूर किया गया था , लेकिन कई वर्ष बीत गए इसको लेकर कुछ भी नया नही हुआ । वंही 2002 में हुए पुरातत्व के खुदाई के बाद अन्य कई एकड़ जमीन खुदाई की योजना भी धरातल पर पूरा नही हुआ । वैसे पूर्व में मिले अवशेष पटना व बेगूसराय संग्रहालय में रखे गए है ।

क्लोजिंग पीटीसी ।
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