समस्तीपुर: राजनीति में परिवारवाद और वंशवाद एक कड़वी सच्चाई है. समस्तीपुर (सुरक्षित) लोकसभा सीट इसका उदाहरण है. 1977 से अब तक यहां तीन सियासी घरानों का कब्जा रहा है.
लोकसभा क्षेत्र में तीन सुरक्षित विधानसभा
समस्तीपुर (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र में तीन सुरक्षित विधानसभा आते हैं. इसमें समस्तीपुर जिले का रोसड़ा एंव कल्याणपुर विधानसभा सीट और दरभंगा जिले का कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट शामिल है. समस्तीपुर जिले में पहले रोसड़ा लोकसभा सुरक्षित संसदीय क्षेत्र था. यंहा से दलित नेता रामविलास पासवान, रामचंद्र पासवान, रामसेवक हजारी, बालेश्वर राम और पीतांबर पासवान जैसे दिगज्ज संसद के दहलीज पंहुचे हैं. हालांकि 2004 के बाद नए परिसीमन में रोसड़ा को हटा कर समस्तीपुर को (सुरक्षित) सीट बना दिया गया.
पहला सियासी घराना
अगर बात करें इन सुरक्षित सीटों पर तीन दलित सियासी घरानों की तो 1977 में जनता दल के टिकट पर रामसेवक हजारी रोसड़ा सुरक्षित सीट से संसद पंहुचे थे.इसके बाद 2009 में उनके पुत्र महेश्वर हजारी समस्तीपुर सीट से सांसद चुने गए थें. वर्तमान में वे कल्याणपुर सुरक्षित सीट से विधायक हैं. यही नहीं उनके चाचा भी कुशेश्वरस्थान सुरक्षित विधानसभा सीट से विधायक हैं.
दूसरा सियासी घराना
दूसरे दलित सियासी घराने में रोसड़ा से 1991 में रामविलास पासवान सांसद बने. इसके बाद 1999 और 2004 में उनके भाई रामचंद्र पासवान यंहा से सांसद चुने गए. यही नहीं समस्तीपुर सुरक्षित सीट से 2009 में वे चुनाव हार गए, लेकिन 2014 में फिर सीट पर जीत हासिल की. इस बार भी वे इसी सीट से चुनावी मैदान में हैं.
तीसरा सियासी घराना
तीसरे सियासी घराने में 1980 में रोसड़ा सुरक्षित सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए बालेश्वर राम केंद्र में मंत्री भी रहे हैं. उनके बाद अब उनके पुत्र डॉ अशोक कुमार पांच बार से रोसड़ा विधानसभा सीट पर जीत हासिल कर रहे हैं. अशोक कुमार इस बार 2019 के इस लोकसभा चुनाव के जंग में महागठबंधन के उम्मीदवार भी है.
गौरतलब है कि रामविलास पासवान और महेश्वर हजारी के परिवारों के बीच हमेशा से सियासी टक्कर होती रही है. मगर इस बार ये दोनों एक साथ हैं. वहीं, कल्याणपुर निवासी डॉ. अशोक कुमार के परिवारों का रोसड़ा में बेहद मजबूत पकड़ रहा है. इन तीन सियासी घरानों ने इसी क्षेत्र के बलबूते पर केंद्र के सियासत में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाये रखा है.