समस्तीपुर: नेपाल में हो रही बारिश के कारण बिहार के कई जिले बुरी तरह प्रभावित हैं. बूढ़ी गंडक नदी भी खतरे के निशान को पार कर चुकी है. तटवर्ती इलाके में रहने वाले लोग तबाह हैं. हजारों परिवारों के घर नदी में डूब गए हैं. लोग किसी तरह सुरक्षित निकलकर बांध पर शरण लिए हुए हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें सरकारी मदद नहीं मिल रही है. वह जिंदगी और मौत के बीच बेबस खड़े हैं. प्रशासन की ओर से उन्हें अभी तक राहत सामाग्री नहीं दी गई है. जिससे लोगों में आक्रोश दिख रहा है.
किसी तरह कर रहे गुजर बसर
मालूम हो कि गंडक नदी की किनारे हजारों परिवार विगत कई सालों से झोपड़ी बनाकर रहते आ रहे हैं. हर साल गंडक नदी इन सभी परिवारों के लिए तबाही और काल साबित होती है. इस बार भी गंडक नदी ने विकराल रुप धारण कर निचले इलाके में रहने वाले लोगों के सिर से छत छीन ली. बाढ़ पीड़ित किसी तरह बचे सामान को निकाल कर बांध पर शरण लिए हुए हैं.
हफ्तों से भूखे पड़े हैं बच्चे
बाढ़ से पीड़ित परिवार किसी तरह ऊंची जगह तलाश कर बांस-बल्ले और पन्नी के सहारे सिर ढ़क रहे हैं. स्थानीय लोगों का बताना है कि हर साल यही दुर्दशा होती है और प्रशासन इंतजाम में फेल होती है. स्थानीय लोगों का बताना है कि वह मजदूरी करने वाले लोग हैं. बाढ़ के कारण सब ठप है. जिस कारण वे मजदूरी करने नहीं जा सके. नतीजतन परिवार भूखा है.
अभी भी तैयारी में लगा है प्रशासन
इस बाबत जिलाधिकारी ने बताया अनुमंडल पदाधिकारी को निर्देशित कर दिया गया है. वह प्रतिदिन निरीक्षण कर शाम में प्रतिवेदन करें ताकि लोगों को स्टेंडर्ड ऑपरेशन प्रोसिड्यौर के तहत राहत बितरण का कार्य कराया जा सके.