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समस्तीपुर: बाढ़ का दंश झेल रहे धर्मपुर पंचायत के लोग, सरकारी मदद को मोहताज

बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि रहने के लिए सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है. अगर जलस्तर और बढ़ा तो जान को खतरा हो सकता है.

बाढ़ का कहर
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Published : Aug 1, 2019, 8:27 AM IST

समस्तीपुर: बिहार के कई जिलों में बाढ़ से हाहाकार मचा है. मैदान से लेकर पहाड़ तक हर तरफ सैलाब बर्बादी बनकर बह रहा है. कहीं गाड़ियां लहरों की भेंट चढ़ रही है, तो कहीं घर पानी में डूब रहा है. समस्तीपुर के शिवाजी नगर प्रखंड की स्थिति भी ऐसी ही है. जिले से 50 किलोमीटर दूर जाकर धर्मपुर पंचायत के वार्ड नंबर-1 के निवासी बाढ़ का दंश झेल रहे हैं.

बाढ़ का कहर जारी
जिले से होकर बहने वाली बागमती, गंडक, कमला और कोसी उफान पर है. शिवाजी नगर प्रखंड में करेह नदी भी अपने उफान पर है. चारों ओर तबाही का मंजर है. लोगों के घरों में पानी घुस गया है. कई पंचायत के लोग अपने घरों को छोड़कर ऊंचे स्थान पर शरण लिए हुए हैं. वहीं, धर्मपुर पंचायत के वार्ड नंबर-1 के तकरीबन 1500 लोग सरकारी व्यवस्था के मोहताज हैं.

पेश है रिपोर्ट

सरकारी सुविधाओं से हैं महरूम
सभी लोग बाढ़ से घिरे हुए हैं. इस कारण ये घर खाली नहीं कर पा रहे हैं. नाव के सहारे लोग अपनी जिंदगी चला रहे हैं. प्रतिदिन 20 रूपये देकर प्राइवेट नाव के सहारे बाढ़ पीड़ित आवागमन कर रहे हैं. सरकार की तरफ से इन्हें नाव की सुविधा नहीं दी गई है. वहीं, यदि रात में किसी की तबीयत खराब हो जाए तो उसे सुरक्षित अस्पताल भी नहीं पहुंचाया जा सकता है. सुविधा के अभाव में मरीज की जान जा सकती है.

प्रशासन से कोई मदद नहीं
बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि रहने के लिए सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है. इस कारण हम घर खाली नहीं कर पा रहे हैं. यदि प्रशासन की ओर से बांध पर रहने के लिए व्यवस्था कर दी जाती है तो हम घर को खाली कर सुरक्षित स्थान पर रह सकते हैं. लेकिन अभी तक कोई व्यवस्था ही नहीं की गई है. अगर जलस्तर और बढ़ा तो जान को खतरा हो सकता है.

समस्तीपुर: बिहार के कई जिलों में बाढ़ से हाहाकार मचा है. मैदान से लेकर पहाड़ तक हर तरफ सैलाब बर्बादी बनकर बह रहा है. कहीं गाड़ियां लहरों की भेंट चढ़ रही है, तो कहीं घर पानी में डूब रहा है. समस्तीपुर के शिवाजी नगर प्रखंड की स्थिति भी ऐसी ही है. जिले से 50 किलोमीटर दूर जाकर धर्मपुर पंचायत के वार्ड नंबर-1 के निवासी बाढ़ का दंश झेल रहे हैं.

बाढ़ का कहर जारी
जिले से होकर बहने वाली बागमती, गंडक, कमला और कोसी उफान पर है. शिवाजी नगर प्रखंड में करेह नदी भी अपने उफान पर है. चारों ओर तबाही का मंजर है. लोगों के घरों में पानी घुस गया है. कई पंचायत के लोग अपने घरों को छोड़कर ऊंचे स्थान पर शरण लिए हुए हैं. वहीं, धर्मपुर पंचायत के वार्ड नंबर-1 के तकरीबन 1500 लोग सरकारी व्यवस्था के मोहताज हैं.

पेश है रिपोर्ट

सरकारी सुविधाओं से हैं महरूम
सभी लोग बाढ़ से घिरे हुए हैं. इस कारण ये घर खाली नहीं कर पा रहे हैं. नाव के सहारे लोग अपनी जिंदगी चला रहे हैं. प्रतिदिन 20 रूपये देकर प्राइवेट नाव के सहारे बाढ़ पीड़ित आवागमन कर रहे हैं. सरकार की तरफ से इन्हें नाव की सुविधा नहीं दी गई है. वहीं, यदि रात में किसी की तबीयत खराब हो जाए तो उसे सुरक्षित अस्पताल भी नहीं पहुंचाया जा सकता है. सुविधा के अभाव में मरीज की जान जा सकती है.

प्रशासन से कोई मदद नहीं
बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि रहने के लिए सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है. इस कारण हम घर खाली नहीं कर पा रहे हैं. यदि प्रशासन की ओर से बांध पर रहने के लिए व्यवस्था कर दी जाती है तो हम घर को खाली कर सुरक्षित स्थान पर रह सकते हैं. लेकिन अभी तक कोई व्यवस्था ही नहीं की गई है. अगर जलस्तर और बढ़ा तो जान को खतरा हो सकता है.

Intro:स्पेशल रिपोर्ट
समस्तीपुर बिहार कई जिलों में बाढ़ ने हाहाकार मचा रखा है ।मैदान से लेकर पहाड़ तक हर तरफ सैलाब बर्बादी बन कर बह रहा है।कही गाड़िया लहरे की भेंट चढ़ रही है तो कहीं घर बार पानी मे डुब रहा है ।
वही जिले से 50 किलोमीटर दूर शिवाजी नगर प्रखंड के जाकर धर्मपुर पंचायत के वार्ड एक के पंद्रह सौ परिवार करेह नदी के पानी के बीच रहने को मजबूर हैं ।इन लोगों की जिंदगी नाव एवं ऊपर वाले की दया से चल रही है।


Body:जिले से बहने वाली बागमती गंडक के कमला कोशी अपने उफान पर है ।सब अपने बिकराल रूप आकर तबाही मचा रखा है। लोगों के घरों को डूबा कर उन्हें तबाह और बर्बाद कर दिया है ।वहीं शिवाजी नगर प्रखंड में करेंह नदी भी अपने उफान में आकर तबाही और बर्बादी हालात में ला दिया है ।कई पंचायत के लोग अपने घरों को छोड़कर उचे स्थान पर अपने शरण लिए हुए हैं ।वहीं जाकर धर्मपुर पंचायत के वार्ड नंबर 1 के पंद्रह सौ आवादी वाला परिवार आज सरकारी व्यवस्था के मोहताज है। जिसके कारण करेह नदी के चारों तरफ पानी से घिरा होने के बाद वह लोग अपने घर को खाली नहीं कर पा रहे है। जिसका नतीजा है कि ये सभी लोग नाव के सहारे अपने जिंदगी को चला रहे हैं ।और प्रतिदिन ₹20 देकर प्राइवेट नाव के सहारे आबा जाहि करते है।सबसे हैरत की बात यह है कि रात में किसी की तबीयत खराब हो जाए तो उसे सुरक्षित अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सकता है। जिससे कि उसका समुचित इलाज होकर उसकी जान बचाया जा सके। क्योंकि इन परिवारों का सिर्फ नाव ही एक सहारा है और रात के अंधेरे में उफनती नदी में नाव कैसे चलेगी।


Conclusion:करेह नदी के गोद में रहने वाले ग्रामीणों का बताना है कि सरकारी स्तर पर रहने का कोई व्यवस्था नहीं किया गया है ।जिसके कारण हम लोग अपने घर को खाली नहीं कर पा रहे हैं। अगर प्रशासन के द्वारा बांध पर रहने का व्यवस्था कर दिया जाए तो हम लोग अपने घर को खाली करके सुरक्षित स्थान पर रह सकते हैं ।लेकिन अभी तक कोई व्यवस्था नहीं किया गया है ।जिसके कारण पानी से घिरे अपने घरो में रहते है ।अगर थोड़ा सा जलस्तर। बढ़ता है तो हम लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है । ऐसे मैं देखना लाजमी है कि कब तक सभी परिवारों को सुरक्षित निकाल कर बांध पर लाया जाता है।
बाईट : राहुल कुमार ग्रामीण।
बाईट सुजीत कुमार समिति
पीटीसी
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