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किसानों को नहीं मिल रहा सरकारी अनुदान का फायदा, वैकल्पिक खेती पर हो रहा विचार

एक तरफ सरकार खरीफ फसल के बीज और पटवन को लेकर मोटी रकम खर्च कर रही है. लेकिन पानी की कमी के कारण इस पूरे अनुदान राशि का फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा है.

खरीफ फसल
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Published : Jun 9, 2019, 5:17 PM IST

समस्तीपुर: जिले में खरीफ फसल को लेकर किसानों को मिलने वाले करोड़ों रुपये के अनुदान का कोई फायदा नहीं मिल रहा है. पानी की कमी के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं. किसान अपनी फसल के पीछे सरकारी अनुदान के साथ-साथ अपनी पूंजी भी लगा रहे हैं, मगर उनके हाथ केवल निराशा ही लग रही है.

नहीं मिल रहा सरकारी अनुदान का फायदा
सरकार खरीफ फसल के बीज और पटवन को लेकर मोटी रकम खर्च कर रही है. यही नहीं फसल की पैदावार बढ़ाने को लेकर किसानों के लिए जिले से पंचायत तक खरीफ महोत्सव और बड़े-बड़े कार्यशाला भी आयोजित किए जा रहे हैं. लेकिन पानी की कमी के कारण इस पूरे अनुदान राशि का फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा है.

खरीफ फसल

वैकल्पिक खेती पर विचार
बारिश के अभाव में किसानों की फसलें खराब हो रही हैं. आलम ऐसा है कि अपनी पूंजी लगाने के बाद भी किसानों को उचित लाभ नहीं मिल रहा है. इस कारण किसानों को दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. ऐसी स्थिति में किसान अब वैकल्पिक खेती पर विचार कर रहे हैं.

पूसा एग्रीकल्चर कर रहा प्रयास
जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार, अब जरूरी हो गया है कि किसानों को वैकल्पिक खेती का रास्ता सुझाया जाए ताकि उनकी फसलें बर्बाद न हो. उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था को अपनाने के लिए पूसा एग्रीकल्चर अपने प्रयासों में जुट गया है. जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिल सके.

समस्तीपुर: जिले में खरीफ फसल को लेकर किसानों को मिलने वाले करोड़ों रुपये के अनुदान का कोई फायदा नहीं मिल रहा है. पानी की कमी के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं. किसान अपनी फसल के पीछे सरकारी अनुदान के साथ-साथ अपनी पूंजी भी लगा रहे हैं, मगर उनके हाथ केवल निराशा ही लग रही है.

नहीं मिल रहा सरकारी अनुदान का फायदा
सरकार खरीफ फसल के बीज और पटवन को लेकर मोटी रकम खर्च कर रही है. यही नहीं फसल की पैदावार बढ़ाने को लेकर किसानों के लिए जिले से पंचायत तक खरीफ महोत्सव और बड़े-बड़े कार्यशाला भी आयोजित किए जा रहे हैं. लेकिन पानी की कमी के कारण इस पूरे अनुदान राशि का फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा है.

खरीफ फसल

वैकल्पिक खेती पर विचार
बारिश के अभाव में किसानों की फसलें खराब हो रही हैं. आलम ऐसा है कि अपनी पूंजी लगाने के बाद भी किसानों को उचित लाभ नहीं मिल रहा है. इस कारण किसानों को दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. ऐसी स्थिति में किसान अब वैकल्पिक खेती पर विचार कर रहे हैं.

पूसा एग्रीकल्चर कर रहा प्रयास
जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार, अब जरूरी हो गया है कि किसानों को वैकल्पिक खेती का रास्ता सुझाया जाए ताकि उनकी फसलें बर्बाद न हो. उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था को अपनाने के लिए पूसा एग्रीकल्चर अपने प्रयासों में जुट गया है. जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिल सके.

Intro:जिले में खरीफ फसल को लेकर किसानों को मिलने वाले करोड़ों रुपए के अनुदान का कोई फायदा नहीं मिल रहा किसानों को। दरअसल बीते कुछ वर्षों में खरीफ फसल के आच्छादित, बीज व पटवन को लेकर सरकारी अनुदान के पीछे तो मोटी रकम खर्च कर रहे। लेकिन पानी के अभाव में इस पूरे अनुदान राशि पर पानी फिर रहा। वैसे अब हालात को देखते हुए वैकल्पिक खेती पर विचार हो रहा है।


Body:जिले में खरीफ फसल को लेकर, जिले से पंचायत तक खरीफ महोत्सव से लेकर बड़े-बड़े कार्यशाला के आयोजन किया जा रहा। खरीफ फसल के बेहतर पैदावार को लेकर, किसानों को बीज, पटवन व खाद पर करोड़ों रुपए अनुदान बांटे जा रहे। यही नहीं इन सरकारी अनुदान के साथ साथ किसान भी अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं। लेकिन इस अनुदान पर जिले में पूरी तरह पानी फिर जा रहा। दरअसल इतनी कोशिश के बावजूद पानी के अभाव में 50 से 60 फ़ीसदी जहां फसलों का आच्छादन हो पाता है वही वह भी बारिश के अभाव में खराब हो जाता है। जाहिर सी बात है सरकारी अनुदान के पीछे पैसा तो काफी खर्च हो रहे, लेकिन मौसम के मार के सामने सब बेकार है। बेचारे किसान जिसने सरकारी अनुदान से लेकर अपनी जमा पूंजी तक लगा देते हैं, लेकिन फिर भी उनकी झोली खाली की खाली होती है।

बाईट- किसान।


वीओ- खरीफ में मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के अंतर्गत धान को लेकर आधा एकड़ में 6 किलो आधार बीज वही 2 किलो अरहर के बीज 90 फीसदी अनुदान पर दिए जाते हैं। यही नहीं पटवन को लेकर 50 फ़ीसदी अनुदान पर डीजल तक किसानों को दिए जा रहा है। वैसे पानी बिन सब सुना है, वैसे इस हालात पर अब कृषि विभाग भी चिंतित है। जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार, अब जरूरी हो गया है कि, किसानों को वैकल्पिक खेती का रास्ता सुझाया जाए। वैसे इसको लेकर पूसा एग्रीकल्चर अपने प्रयास में जुट गया है।

बाईट- जिला कृषि पदाधिकारी, समस्तीपुर।


Conclusion:बाहरहाल एक तरफ जहां सरकारी कोष से करोड़ो रुपए बतौर अनुदान खर्च हो रहा है, लेकिन किसानों का हाल इस पानी के अभाव में पूरी तरह हलकान है।


अमित कुमार की रिपोर्ट।
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