समस्तीपुर: जिले में बेजुबान पशुओं के अस्पताल की हालत दयनीय है. जिले में पशु अस्पताल और उसके संचालन को लेकर लंबे-चौड़े बजट जरूर खर्च किये जा रहे हैं. लेकिन धरातल पर इस अस्पताल की हालत कुछ और ही है.
महज 31 डॉक्टर हैं मौजूद
जिले में सरकार ने पशुओं के बेहतर इलाज के मकसद से 39 पशु अस्पताल खोले हैं. बड़ी-बड़ी बिल्डिंग और जरूरी संसाधनों से लैस यह अस्पताल जिले के लगभग सभी ब्लॉक में खुले हैं. मकसद साफ है पशुओं के बेहतर इलाज को लेकर सरकार ने अपने खजाने खोल रखे हैं. लेकिन धरातल पर इसका हाल यह है कि, इन अस्पतालों को इसी सिस्टम ने तबेला बना दिया है. इन अस्पतालों में आधे से भी कम वेटनरी मेडिकल स्टॉफ हैं. वहीं जहां जरूरत 200 के करीब वेटनरी डॉक्टरों की है वहां जिले में महज 31 डॉक्टर मौजूद हैं.
पशुपालकों में काफी रोष
हाल यह है कि एक डॉक्टर कई अस्पतालों के प्रभार में है. वैसे इस हाल से पशु अस्पतालों में प्रभावित हो रहे कामों को जिला पशुपालन पदाधिकारी मान रहे हैं, लेकिन इस समस्या का कोई इलाज इनके पास नहीं है. जाहिर सी बात है राज्य सरकार के स्तर पर ही इस समस्या का समाधान संभव है. लेकिन यहां सवाल यह है कि, एक तरफ सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के मकसद से करोड़ों रूपये अनुदान बांट रही है. वहीं, इन पशुओं की देखरेख को लेकर उनका अस्पताल ही बीमार है. बहरहाल इस उदासीनता पर पशुपालकों में काफी रोष है. वैसे इस बदहाली को लेकर पशुपालकों ने कई बार बड़ा आंदोलन भी किया है. लेकिन जंग लग चुके इस सिस्टम को इससे अबतक कोई फर्क पड़ता नहीं दिखाई दे रहा.