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समस्तीपुर: देश मना रहा राष्ट्रीय पोषण अभियान, जागरुकता के अभाव में बच्चे खा रहे जंक फूड

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Published : Sep 11, 2019, 8:09 PM IST

सरकार की सोच हमारे देश के भविष्य को सेहतमंद करने की है. लेकिन धरातल पर इसको लेकर गंभीरता नहीं दिख रही है.

स्कूलों में राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन

समस्तीपुर: एक तरफ देश 1 से 30 सिंतबर तक राष्ट्रीय पोषण माह मना रहा है. वहीं दूसरी तरफ सही जानकारी और जागरूकता के आभाव में बच्चों के टिफिन में सही पोषण की जगह जंक फूड बढ़ता ही जा रहा है. वर्तमान समय में देखा जाय तो स्कूली बच्चों में इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है. सवाल इस बात का है कि अगर यही हाल रहा तो फिर इस पोषण माह के क्या मायने?

स्कूलों में राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन

संचालित होती है मिड-डे मिल योजना
कुपोषण से हमारे बच्चे बचे रहें इसी मकसद से सरकारी स्कूलों में मिड-डे मिल योजना संचालित की जा रही है. यही नहीं बच्चों को पौष्टिक आहार सही तरीके से मिले इसको लेकर प्रतिदिन अलग-अलग डायट चार्ट बनाए गए हैं. जाहिर सी बात है सरकार की सोच हमारे देश के भविष्य को सेहतमंद करने की है. यही नहीं हर साल पोषण माह जैसे आयोजनों के जरिये बड़े स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाये जाते हैं.

Samastipur
स्कूली बच्चे

नहीं चलाया जाता जागरूकता अभियान
गौरतलब है कि पोषण से जुड़ी एक अच्छी खबर यह है कि इस बार राज्य सरकार ने सभी स्कूलों में होने वाले चेतना सत्र में पोषण से जुड़ी जागरूकता कार्यक्रम चलाने का एलान किया है. लेकिन अगर धरातल पर इसका असर देखें तो तस्वीर कुछ और ही नजर आती है. जिले के स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ सेहत का ख्याल कैसे रखें और खान-पान कैसा हो इससे जुड़ी जानकारी को लेकर कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया जाता है.

Samastipur
श्वेता कुमारी समाजिक कार्यकर्ता

'बच्चों को देंगे पोषण से जुड़ी जानकारी'
शिक्षकों से सवाल पूछे जाने पर स्कूल के शिक्षकों ने यह वादा किया की पोषण से जुड़ी जानकारी बच्चों को दी जाएगी. वैसे धरातल पर यह गंभीरता से अमल हो इसको लेकर कुपोषण और जंक फूड के खिलाफ आवाज उठाने वालों का मानना है कि बच्चे स्कूलों से बहुत कुछ सीखते हैं. स्कूलों में बच्चों को पोषण के प्रति भी जागरूक करना होगा.

Samastipur
मिड-डे मिल के तहत भोजन करते बच्चे

समस्तीपुर: एक तरफ देश 1 से 30 सिंतबर तक राष्ट्रीय पोषण माह मना रहा है. वहीं दूसरी तरफ सही जानकारी और जागरूकता के आभाव में बच्चों के टिफिन में सही पोषण की जगह जंक फूड बढ़ता ही जा रहा है. वर्तमान समय में देखा जाय तो स्कूली बच्चों में इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है. सवाल इस बात का है कि अगर यही हाल रहा तो फिर इस पोषण माह के क्या मायने?

स्कूलों में राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन

संचालित होती है मिड-डे मिल योजना
कुपोषण से हमारे बच्चे बचे रहें इसी मकसद से सरकारी स्कूलों में मिड-डे मिल योजना संचालित की जा रही है. यही नहीं बच्चों को पौष्टिक आहार सही तरीके से मिले इसको लेकर प्रतिदिन अलग-अलग डायट चार्ट बनाए गए हैं. जाहिर सी बात है सरकार की सोच हमारे देश के भविष्य को सेहतमंद करने की है. यही नहीं हर साल पोषण माह जैसे आयोजनों के जरिये बड़े स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाये जाते हैं.

Samastipur
स्कूली बच्चे

नहीं चलाया जाता जागरूकता अभियान
गौरतलब है कि पोषण से जुड़ी एक अच्छी खबर यह है कि इस बार राज्य सरकार ने सभी स्कूलों में होने वाले चेतना सत्र में पोषण से जुड़ी जागरूकता कार्यक्रम चलाने का एलान किया है. लेकिन अगर धरातल पर इसका असर देखें तो तस्वीर कुछ और ही नजर आती है. जिले के स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ सेहत का ख्याल कैसे रखें और खान-पान कैसा हो इससे जुड़ी जानकारी को लेकर कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया जाता है.

Samastipur
श्वेता कुमारी समाजिक कार्यकर्ता

'बच्चों को देंगे पोषण से जुड़ी जानकारी'
शिक्षकों से सवाल पूछे जाने पर स्कूल के शिक्षकों ने यह वादा किया की पोषण से जुड़ी जानकारी बच्चों को दी जाएगी. वैसे धरातल पर यह गंभीरता से अमल हो इसको लेकर कुपोषण और जंक फूड के खिलाफ आवाज उठाने वालों का मानना है कि बच्चे स्कूलों से बहुत कुछ सीखते हैं. स्कूलों में बच्चों को पोषण के प्रति भी जागरूक करना होगा.

Samastipur
मिड-डे मिल के तहत भोजन करते बच्चे
Intro:एक तरफ देश 1 से 30 सिंतबर तक राष्ट्रीय पोषण माह मना रहा । वंही दूसरी तरफ सही जानकारी व जागरूकता के आभाव में हमारे बच्चों के टिफिन में , सही पोषण के चीजों के जगह पर जंक फूड बढ़ता जा रहा । जिले की बात की जाए तो , स्कूली बच्चों में इसका चलन तेजी से बढ़ा है । तो सवाल अगर यही हाल है तो , क्या मायने है इस पोषण माह का ।


Body:कुपोषण से हमारे बच्चे लड़े इसी मकसद से सरकारी स्कूलों में मिड डे मिल योजना संचालित किया जाता है । यही नही बच्चों को पोष्टिक आहार सही तरीके से मिले इसको लेकर , प्रतिदिन अलग अलग डायट चार्ट बनाये गए है । जाहिर सी बात है , सरकार की सोच हमारे देश के भविष्य को सेहतमंद करने की है । यही नही प्रत्येक वर्ष पोषण माह जैसे आयोजनों के जरिये , बड़े स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाये जाते है । लेकिन अगर धरातल पर इसका असर देखे तो , जिले के स्कूलों में पढ़ाई के साथ साथ सेहत का ख्याल कैसे रखे । साथ ही खाने पीने से जुड़ी जानकारी को लेकर , किसी भी तरह का कोई जागरूकता कार्यक्रम नही चलते । बच्चें तो आखिर बच्चें है , जो जुबान पर भाया वह इनका लत बन गया । वैसे सवाल पूछे जाने पर , स्कूलों के शिक्षकों ने यह वादा किया की , पोषण से जुड़ी जानकारी इन बच्चें को अब देंगी , वैसे धरातल पर यह गंभीरता से अमल हो , इसको लेकर कुपोषण व जंक फूड के खिलाफ आवाज उठाने वालों का मानना है की , बच्चे स्कूलों से बहुत कुछ सीखते है , इन्हें इसको लेकर जागरूक करना होगा ।

बाईट - स्कूली बच्चें ।
बाईट - संगीता कुमारी , शिक्षिका ।
बाईट - स्वेता कुमारी , समाजिक कार्यकर्ता ।


Conclusion:गौरतलब है की , पोषण से जुड़ी एक अच्छी खबर यह है की , इस बार राज्य सरकार ने , सभी स्कूलों में होने वाले चेतना सत्र में , पोषण से जुड़ी जागरूकता कार्यक्रम चलाने का एलान किया है । लेकिन देखना होगा , धरातल पर इसका कितना असर दिखता है ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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