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समस्तीपुर में बनाया गया चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट, पेशी के दौरान तनावमुक्त रहेंगे बच्चे

समाज कल्याण विभाग के बाल संरक्षण इकाई ने इस कोर्ट को खासतौर पर बच्चों के बालमन के अनुरूप बनाया है. कमरे के अंदर जरूरी सुविधाओं के साथ-साथ बच्चों के मनपसंद कार्टून भी लगाए गए हैं.

कार्टून
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Published : Aug 31, 2019, 3:41 PM IST

समस्तीपुर: किसी भी न्यायायिक प्रक्रिया में पेशी के दौरान बच्चों को तनाव या किसी भी प्रकार के खौफ से दूर रखने के लिए जिले में चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट बनाया गया है. इस कोर्ट की खासियत यह है की यह बच्चों के बालमन के अनुरूप बनाया गया है. यहां बच्चे सहज तरीके से न्यायालय के कार्यवाही में अपनी बात रख सकेंगे.

पेशी के दौरान सहम जाते हैं बच्चे
किसी भी मामले के पीड़ित हो या आरोपी, बच्चे आखिर बच्चे ही होते हैं. कोर्ट परिसर में पेशी के दैरान तनाव या दबाव में वे अपनी बातों को रखने में सहम से जाते हैं. जिले में बनने वाला बाल मित्र न्यायालय अब इस समस्या का समाधान करेगा.

समस्तीपुर
कोर्ट में बच्चों के मनपसंद कार्टून लगाए गए

बच्चों के बालमन के अनुरूप बनाया कोर्ट
समाज कल्याण विभाग के बाल संरक्षण इकाई ने इस कोर्ट को खासतौर पर बच्चों के बालमन के अनुरूप बनाया है. कमरे के अंदर जरूरी सुविधाओं के साथ-साथ बच्चों के मनपसंद कार्टून भी लगाए गए हैं. टीवी, लाइब्रेरी समेत खेलने का सामान तक यहां उपलब्ध होगा.

विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यवाही
किसी भी पेशी के दौरान जज विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बच्चों से सवाल पूछेंगे. बाल संरक्षण इकाई का मानना है कि इस चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट से बच्चों पर न्यायिक प्रक्रिया के दौरान कोई दबाव नहीं होगा. वहीं कोर्ट से जुड़े वकीलों का मानना है कि न्यायालय के काम में यह बेहतर प्रयास है.

पेश है रिपोर्ट

गौरतलब है कि यह कोर्ट खासतौर पर पॉक्सो एक्ट के मामले में पीड़ित बच्चों के लिए बनाया गया है. इससे बच्चों को आरोपी के सामने लाए बगैर पूरी प्रक्रिया चलाई जा सकेगी.

समस्तीपुर: किसी भी न्यायायिक प्रक्रिया में पेशी के दौरान बच्चों को तनाव या किसी भी प्रकार के खौफ से दूर रखने के लिए जिले में चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट बनाया गया है. इस कोर्ट की खासियत यह है की यह बच्चों के बालमन के अनुरूप बनाया गया है. यहां बच्चे सहज तरीके से न्यायालय के कार्यवाही में अपनी बात रख सकेंगे.

पेशी के दौरान सहम जाते हैं बच्चे
किसी भी मामले के पीड़ित हो या आरोपी, बच्चे आखिर बच्चे ही होते हैं. कोर्ट परिसर में पेशी के दैरान तनाव या दबाव में वे अपनी बातों को रखने में सहम से जाते हैं. जिले में बनने वाला बाल मित्र न्यायालय अब इस समस्या का समाधान करेगा.

समस्तीपुर
कोर्ट में बच्चों के मनपसंद कार्टून लगाए गए

बच्चों के बालमन के अनुरूप बनाया कोर्ट
समाज कल्याण विभाग के बाल संरक्षण इकाई ने इस कोर्ट को खासतौर पर बच्चों के बालमन के अनुरूप बनाया है. कमरे के अंदर जरूरी सुविधाओं के साथ-साथ बच्चों के मनपसंद कार्टून भी लगाए गए हैं. टीवी, लाइब्रेरी समेत खेलने का सामान तक यहां उपलब्ध होगा.

विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यवाही
किसी भी पेशी के दौरान जज विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बच्चों से सवाल पूछेंगे. बाल संरक्षण इकाई का मानना है कि इस चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट से बच्चों पर न्यायिक प्रक्रिया के दौरान कोई दबाव नहीं होगा. वहीं कोर्ट से जुड़े वकीलों का मानना है कि न्यायालय के काम में यह बेहतर प्रयास है.

पेश है रिपोर्ट

गौरतलब है कि यह कोर्ट खासतौर पर पॉक्सो एक्ट के मामले में पीड़ित बच्चों के लिए बनाया गया है. इससे बच्चों को आरोपी के सामने लाए बगैर पूरी प्रक्रिया चलाई जा सकेगी.

Intro:किसी भी न्यायायिक प्रक्रिया में पेशी के दौरान बच्चों को तनाव व कोर्ट कचहरी से जुड़े किसी भी प्रकार के खौफ से दूर रखने को लेकर , जिले में बनाया गया है चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट । इस कोर्ट की खासियत यह है की , यह बच्चों के बालमन के अनुरूप बनाया गया है । जंहा बच्चें सहज तरीके से न्यायालय के कार्यवाही में अपनी बात रख सकेंगे ।


Body:किसी भी मामले के पीड़ित हो या फिर आरोपी , बच्चे आखिर बच्चे ही होते है । कोर्ट परिसर में पेशी के दैरान उनके ऊपर होने वाले तनाव व दबाव में वे अपनी बातों को रखने में सहम से जाते है । इसी समस्या को अब राहत देगा जिले में बनने वाला बाल मित्र न्यायालय । समाज कल्याण विभाग के बाल संरक्षण इकाई ने इस कोर्ट को खास बच्चों के बालमन के अनुरूप बनाया है । कमरे के अंदर जरूरी सुविधाओं के साथ साथ बच्चों के मनपसंद कार्टून इसमें लगाये गए है । यंही नही टीवी , लाइब्रेरी समेत खेलने का सामान तक यंहा उपलब्ध होगा। किसी भी पेशी के दौरान बच्चों से जज इसी कमरे से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सवाल पूछेंगे । बाल संरक्षण इकाई का मानना है की , इस चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट से बच्चों पर इन न्यायिक प्रक्रिया के दौरान कोई दबाव नही होगा । वंही कोर्ट से जुड़े वकीलों का मानना है की , न्यायालय के काम मे यह बेहतर प्रयास है ।

बाईट - गायत्री कुमार , सहायक निदेशक , जन सुरक्षा कोषांग ।
बाईट - अमित कुमार , वकील , समस्तीपुर व्यवहार न्यायालय ।


Conclusion:गौरतलब है की यह कोर्ट खासतौर पर पॉक्सो एक्ट के मामले में पीड़ित बच्चों के लिए बनाया गया है । जिससे बच्चों को आरोपी के सामने लाये वगैर पूरी प्रक्रिया चलाया जा सके ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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