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महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की मुहिम हो रही फेल, केंद्र पर अनदेखी का आरोप

खादी ग्रामोद्योग के इस स्वरोजगार की टीम कॉर्डिनेटर की माने तो यहां सूत के गठ्ठर निर्माण के लिए 19 मशीन उपलब्ध कराए गए हैं. लेकिन अब न तो गठ्ठर लिया जा रहा है और न ही केंद्र के तरफ से इसे बनाने के लिए रॉ मेटेरियल ही दिया जा रहा है. जिसकी वजह से यहां की महिलाएं काफी निराश और परेशान हैं.

महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की मुहिम हो रही फेल
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की मुहिम हो रही फेल
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Published : Feb 20, 2020, 11:50 PM IST

समस्तीपुर: जिले के शिवाजीनगर प्रखंड के रहटौली गांव में खादी ग्रामोद्योग विकास मंडल ने यहां की कई महिलाओं को रोजगार से जोड़ा है. महिलाओं को डेढ़ दर्जन चरखा उपलब्ध कराया गया है. इतना ही नहीं अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए ट्रेनिंग की भी व्यवस्था शुरू की गई. लेकिन उचित देख-रेख के आभाव में यह कुछ ही दिनों में दम तोड़ने लगी है.

सूत की नहीं हो रही बिक्री
महिलाओं के मुताबिक शुरुआती कुछ महीनों में इनकी ओर से बनाए गए सूत का गठ्ठर केंद्र के जरिये लिया जा रहा था. जिससे स्वरोजगार से जुड़ी इन महिलाओं को बेहतर मुनाफा भी हो रहा था. करीब तीन महीने से ज्यादा वक्त बीतने के बाद कई किलो सूत का गठ्ठर बनकर तैयार है. लेकिन, उसे खरीदने को लेकर सबंधित संस्थान दिलचस्पी नहीं ले रहा है. बहरहाल इस रोजगार से जुड़ी महिलाओं को समझ नहीं आ रहा कि वह अब वह करें तो क्या करें.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

निराश और परेशान हैं महिलाएं
खादी ग्रामोद्योग के इस स्वरोजगार की टीम कॉर्डिनेटर की मानें तो यहां सूत के गठ्ठर निर्माण के लिए 19 मशीन उपलब्ध कराई गई हैं. लेकिन अब न तो गठ्ठर लिया जा रहा है और न ही केंद्र की तरफ से इसे बनाने के लिए रॉ मेटेरियल दिया जा रहा है. जिस वजह से यहां की महिलाएं काफी निराश और परेशान हैं.

समस्तीपुर: जिले के शिवाजीनगर प्रखंड के रहटौली गांव में खादी ग्रामोद्योग विकास मंडल ने यहां की कई महिलाओं को रोजगार से जोड़ा है. महिलाओं को डेढ़ दर्जन चरखा उपलब्ध कराया गया है. इतना ही नहीं अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए ट्रेनिंग की भी व्यवस्था शुरू की गई. लेकिन उचित देख-रेख के आभाव में यह कुछ ही दिनों में दम तोड़ने लगी है.

सूत की नहीं हो रही बिक्री
महिलाओं के मुताबिक शुरुआती कुछ महीनों में इनकी ओर से बनाए गए सूत का गठ्ठर केंद्र के जरिये लिया जा रहा था. जिससे स्वरोजगार से जुड़ी इन महिलाओं को बेहतर मुनाफा भी हो रहा था. करीब तीन महीने से ज्यादा वक्त बीतने के बाद कई किलो सूत का गठ्ठर बनकर तैयार है. लेकिन, उसे खरीदने को लेकर सबंधित संस्थान दिलचस्पी नहीं ले रहा है. बहरहाल इस रोजगार से जुड़ी महिलाओं को समझ नहीं आ रहा कि वह अब वह करें तो क्या करें.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

निराश और परेशान हैं महिलाएं
खादी ग्रामोद्योग के इस स्वरोजगार की टीम कॉर्डिनेटर की मानें तो यहां सूत के गठ्ठर निर्माण के लिए 19 मशीन उपलब्ध कराई गई हैं. लेकिन अब न तो गठ्ठर लिया जा रहा है और न ही केंद्र की तरफ से इसे बनाने के लिए रॉ मेटेरियल दिया जा रहा है. जिस वजह से यहां की महिलाएं काफी निराश और परेशान हैं.

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