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जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे, सिर पर मंडराती है मौत

विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने ईटीवी भारत से गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत की माध्यम से वह अपनी समस्या को सरकार की नजरों में लाना चाहता हैं, ताकि सरकार की नींद खुले और इस विद्यालय को एक नया भवन मिल सके.

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Published : Feb 12, 2020, 6:40 PM IST

Updated : Feb 12, 2020, 7:21 PM IST

समस्तीपुर: बिहार सरकार एक तरफ सरकारी स्कूलों में सर्व शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन कई स्कूलों की स्थिती अभी भी बद से बदतर है. इसका सटीक उदाहरण है जिले के खानपुर प्रखंड में स्थित राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय.

बच्चों और शिक्षकों के सिर पर मंडराती है मौत
इस विद्यालय का निर्माण 1956 में कराया गया था. यहां 1 से लेकर 8 तक की कक्षाएं चलती हैं. इस विद्यालय में कुल 756 बच्चों का भविष्य संवारा जाता है. लेकिन इस विद्यालय का हाल बहुत खराब है. इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के सिर पर मौत हमेशा मंडराता रहता है. यही नहीं कक्षा के अंदर बच्चों के बैठने के लिए भी कोई सुविधा नहीं है. बच्चे यहां जैसे-तैसे पढ़ाई कर शिक्षा ग्रहण करते हैं.

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राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय

टूट-टूटकर गिर रही है भवन की छत
इस विद्यालय का भवन काफी जर्जर हो चुका है. भवन की छत टूट-टूट कर गिर रही है. दीवारों में दरार आ गई है. इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के साथ कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. बावजूद इसके किसी का ध्यान इस तरफ नहीं गया है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक का बताना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इस समस्या से बार-बार अवगत कराया गया है. लेकिन किसी का ध्यान नहीं गया है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

ETV भारत से लगाई गुहार
शिक्षा विभाग की लापरवाही का नतीजा है कि यहां बच्चे और शिक्षक सभी दहशत में रहते हैं. सभी जगहों से थक हार चुके प्रधानाध्यापक ने ईटीवी भारत से गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत की माध्यम से वह अपनी समस्या को सरकार की नजरों में लाना चाहता है, ताकि सरकार की नींद खुले और इस विद्यालय को एक नया भवन मिल सके.

समस्तीपुर: बिहार सरकार एक तरफ सरकारी स्कूलों में सर्व शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन कई स्कूलों की स्थिती अभी भी बद से बदतर है. इसका सटीक उदाहरण है जिले के खानपुर प्रखंड में स्थित राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय.

बच्चों और शिक्षकों के सिर पर मंडराती है मौत
इस विद्यालय का निर्माण 1956 में कराया गया था. यहां 1 से लेकर 8 तक की कक्षाएं चलती हैं. इस विद्यालय में कुल 756 बच्चों का भविष्य संवारा जाता है. लेकिन इस विद्यालय का हाल बहुत खराब है. इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के सिर पर मौत हमेशा मंडराता रहता है. यही नहीं कक्षा के अंदर बच्चों के बैठने के लिए भी कोई सुविधा नहीं है. बच्चे यहां जैसे-तैसे पढ़ाई कर शिक्षा ग्रहण करते हैं.

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राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय

टूट-टूटकर गिर रही है भवन की छत
इस विद्यालय का भवन काफी जर्जर हो चुका है. भवन की छत टूट-टूट कर गिर रही है. दीवारों में दरार आ गई है. इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के साथ कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. बावजूद इसके किसी का ध्यान इस तरफ नहीं गया है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक का बताना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इस समस्या से बार-बार अवगत कराया गया है. लेकिन किसी का ध्यान नहीं गया है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

ETV भारत से लगाई गुहार
शिक्षा विभाग की लापरवाही का नतीजा है कि यहां बच्चे और शिक्षक सभी दहशत में रहते हैं. सभी जगहों से थक हार चुके प्रधानाध्यापक ने ईटीवी भारत से गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत की माध्यम से वह अपनी समस्या को सरकार की नजरों में लाना चाहता है, ताकि सरकार की नींद खुले और इस विद्यालय को एक नया भवन मिल सके.

Last Updated : Feb 12, 2020, 7:21 PM IST
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