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सहरसा: जर्जर भवन में खौफ के साये में पढ़ रही बच्चियां, अधिकारियों की नहीं खुल रही नींद

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Published : Jul 19, 2019, 8:45 AM IST

स्कूल भेजने से घर वाले डरे-सहमें रहते हैं. कहीं कोई बड़ा हादसा न हो जाए. स्कूल में कई बार छत गिरने की घटना हो चुकी है. शिकायत के बाद भी अधिकारियों के कान में जू तक नहीं रेंगी. ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या अधिकारी किसी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं?

खौफ के साये में पढ़ रही बच्चियां

सहरसा: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर संसाधन का दावा सरकार की तरफ से खूब होती है. लेकिन जमीनी हकीकत कहीं इसके उलट दिखती है. सहरसा जिला मुख्यालय में स्कूल की जर्जर हालत है. जिसकी वजह से छात्राएं खौफ के साये में पढ़ाई कर रही हैं.

जर्जर स्कूल में जान हथेली पर रख कर पढ़ रही बच्चियां

एक तरफ सरकार लड़कियों को बढ़ावा देने की बात करती है. दूसरी तरफ जान खतरे में डालती है. जी हां, जिला मुख्यालय सहरसा के राजकीय कन्या मध्य विद्यालय का कुछ ऐसा ही हाल है. भवन जर्जर हो चुके हैं. लड़कियां पढ़ने भी आ रही हैं लेकिन जान हथेली पर रखकर. कब हादसा हो जाए, कहा नहीं जा सकता. 1955 में स्थापित इस विद्यालय में करीब 400 लड़कियां पढ़ती हैं. छात्राओं और शिक्षकों को पठन-पाठन से ज्यादा खुद को सुरक्षित रखने पर ध्यान लगा रहता है.

saharsa
स्कूल का जर्जर भवन

स्कूल भेजने में परिजनों को सता रहा डर
स्कूली छात्रा ने ईटीवी भारत को बताया, हमलोगों को डर लगा रहता है. इस स्कूल में कई बार चट्टान भी गिरा है. पता नहीं कब क्या हो जाए. वहीं दूसरी बच्ची ने बताया कि यहां पढ़ने से परिजन, शिक्षिका और हम बच्चियां सब डरे रहते हैं. कहीं किस के उपर छत का चट्टान न गिर जाए. कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी है. भवन पुराना होने के कारण घर वाले डरे रहते हैं. कहीं स्कूल में कोई बड़ा हादसा न हो जाए.

saharsa
स्कूली छात्रा

कई छात्रा और शिक्षिका हो चुकी हैं घायल
शिक्षिका सुधा कुमारी ने ईटीवी भारत को बताया भवन जर्जर हो चुका है. डर लगता है, कब हादसा हो जाए. कई बार शिक्षिका,और बच्चियां घायल हो चुकी हैं. इस बारे में विभाग को पत्र लिखा. इस संदर्भ में जिलाधिकारी से मुलाकात भी की. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. समस्या जस की तस बनी हुई है.

saharsa
स्कूल की शिक्षिका

शिकायत के बाद भी नहीं सुनते अधिकारी
स्कूल की प्रिंसिपल बेबी कुमारी कहती हैं, यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. छत से चट्टान गिरता है. कई बार वरीय अधिकारी को लिख कर दिए. लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. छात्राओं और टीचरों का डर लाजमी है. जर्जर हो गए इस भवन को देख किसी की भी सांसे अटक सकती है. ऐसे में क्या जिम्मेदार किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं?

सहरसा: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर संसाधन का दावा सरकार की तरफ से खूब होती है. लेकिन जमीनी हकीकत कहीं इसके उलट दिखती है. सहरसा जिला मुख्यालय में स्कूल की जर्जर हालत है. जिसकी वजह से छात्राएं खौफ के साये में पढ़ाई कर रही हैं.

जर्जर स्कूल में जान हथेली पर रख कर पढ़ रही बच्चियां

एक तरफ सरकार लड़कियों को बढ़ावा देने की बात करती है. दूसरी तरफ जान खतरे में डालती है. जी हां, जिला मुख्यालय सहरसा के राजकीय कन्या मध्य विद्यालय का कुछ ऐसा ही हाल है. भवन जर्जर हो चुके हैं. लड़कियां पढ़ने भी आ रही हैं लेकिन जान हथेली पर रखकर. कब हादसा हो जाए, कहा नहीं जा सकता. 1955 में स्थापित इस विद्यालय में करीब 400 लड़कियां पढ़ती हैं. छात्राओं और शिक्षकों को पठन-पाठन से ज्यादा खुद को सुरक्षित रखने पर ध्यान लगा रहता है.

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स्कूल का जर्जर भवन

स्कूल भेजने में परिजनों को सता रहा डर
स्कूली छात्रा ने ईटीवी भारत को बताया, हमलोगों को डर लगा रहता है. इस स्कूल में कई बार चट्टान भी गिरा है. पता नहीं कब क्या हो जाए. वहीं दूसरी बच्ची ने बताया कि यहां पढ़ने से परिजन, शिक्षिका और हम बच्चियां सब डरे रहते हैं. कहीं किस के उपर छत का चट्टान न गिर जाए. कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी है. भवन पुराना होने के कारण घर वाले डरे रहते हैं. कहीं स्कूल में कोई बड़ा हादसा न हो जाए.

saharsa
स्कूली छात्रा

कई छात्रा और शिक्षिका हो चुकी हैं घायल
शिक्षिका सुधा कुमारी ने ईटीवी भारत को बताया भवन जर्जर हो चुका है. डर लगता है, कब हादसा हो जाए. कई बार शिक्षिका,और बच्चियां घायल हो चुकी हैं. इस बारे में विभाग को पत्र लिखा. इस संदर्भ में जिलाधिकारी से मुलाकात भी की. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. समस्या जस की तस बनी हुई है.

saharsa
स्कूल की शिक्षिका

शिकायत के बाद भी नहीं सुनते अधिकारी
स्कूल की प्रिंसिपल बेबी कुमारी कहती हैं, यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. छत से चट्टान गिरता है. कई बार वरीय अधिकारी को लिख कर दिए. लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. छात्राओं और टीचरों का डर लाजमी है. जर्जर हो गए इस भवन को देख किसी की भी सांसे अटक सकती है. ऐसे में क्या जिम्मेदार किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं?

Intro:सहरसा...लड़कियों को समाज मे बराबर का दर्जा देने एवं उनके आगे बढ़ने के लिए तो सरकार योजना दर योजना बनाती है,लेकिन जिला मुख्यालय स्थित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय की की जर्जर भवन को देख कर आप सहज अनुमान लगा सकते है,की कैसे इस जर्जर भवन में खौफ के साये में बच्चियाँ पढ़ने के लिए मजबूर है।


Body:दरअसल राजकीय कन्या मध्य विद्यालय की स्थापना 1955 में हुई थी।वर्तमान में यहाँ करीब 400 बालिका नामांकित है इस विद्यालय की स्थिति यह है कि कई बार यहाँ पढ़ाई करने आई बच्ची और क्लास में पढ़ाते हुए शिक्षिका भी घायल हो चुकी है।अक्सर पढ़ने और पढ़ाने के दौरान जर्जर हो चुके भवन से छत का चट्टान गिरते रहता है।इस बाबत स्कूल की बच्चियाँ बताती है कि कई बार पढ़ाई के दौरान छत से चट्टान गिरा है,स्कूल में पढ़ाई करते समय हमेशा खौफ बना रहता है,कई बार यहाँ पढ़ाई कर रही बच्ची और मैडम घायल हो चुकी है।वही इस बाबत शिक्षिका सुधा कुमारी बताती है की हमेशा डर बना हुआ रहता है,हमेशा छत से चट्टान गिरता है कई बार बच्ची घायल भी हुई है कि बार विभाग को लिख कर दिए है लेकिन कोई सुनने वाला नही है।वही इस बाबत स्कूल की प्रिंसिपल बेबी कुमारी ने बताया कि यहाँ कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।यहां हमेशा छत से चट्टान गिरता है कि बार शिक्षिका,और बच्ची घयल हो चुकी है।कई बार वरीय अधिकारी को लिख के दिये है कोई सुनने वाला नही है।


Conclusion:सच मायने में स्कूल में पढ़ रही बच्ची और शिक्षिका की नज़र हमेशा छत पर ही अटकी रहती है,की कब कहाँ से छत के चट्टे किसके सिर पर गिरेगा,कहना मुश्किल है सभी अनहोनी की आशंका से हर समय डरी सहमी रहती है।
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