सहरसाः बिहार के सहरसा की लक्ष्मी झा ने तुर्की की सबसे ऊंची चोटी माउंट अरारत को फतह किया. लक्ष्मी झा मूल रूप से सहरसा के वनगांव की रहने वाली है. शुक्रवार को लक्ष्मी झा को आजाद युवा मंच की ओर से सम्मानित किया गया. वहीं लक्ष्मी ने भी संस्थान के सभी सदस्य को रक्षाबंधन के मौके पर रक्षासूत्र बांध कर लंबी आयु की कामना की.
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काला पत्थर की चुकी है चढ़ाईः सहरसा की पर्वतारोही लक्ष्मी ने 2022 में नेपाल की काला पत्थर चोटी और अफ्रीका का सबसे ऊंचा पर्वत किलिमंजारो की चोटी पर तिरंगा फहराकर बिहार का नाम रोशन किया था. 22 अगस्त को तुर्की की सबसे ऊंची चोटी माउंट अरारत तिरंगा लहरा कर देश का नाम रोशन किया है. कामयाबी हासिल करने के बाद पहली बार सहरसा पहुंचने पर आज़ाद युवा मंच के द्वारा सम्मानित किया गया.
माउंट एवरेस्ट को फतह लक्ष्यः मीडिया से बात करते हुए लक्ष्मी झा ने इसका श्रेय अपनी मां और सहरसा के लोगों को दी. उन्होंने कहा कि इन लोगों के हौसला की वजह से आज कामयाबी मिली है. लक्ष्मी का अगला लक्ष्य माउंट एवरेस्ट को फतह करना है. बता दें कि अगर लक्ष्मी एवरेस्ट फतह करती है तो वह बिहार की पहली एवरेस्ट फतह करने वाली महिला पर्वतारोही है बन जाएगी. हालांकि उन्होंने इस बात का दुख जताया कि बिहार सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली.
"मेरी कामयाबी का श्रेय मेरी मां और सहरसा वासियों को जाता है. मेरा लक्ष्य एवरेस्ट को फतह करना है. चूंकि अभीतक बिहार से किसी महिला को कामयाबी नहीं मिली है. मैं चाहती हूं बिहार की पहली महिला के रूप में कामयाबी हासिल करूं. सरकार और आपका सपोर्ट मिला तो चांद पर भी जा सकते हैं." - लक्ष्मी, पर्वतारोही
बिहार सरकार से नहीं मिली मददः एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि अभी तक बिहार सरकार द्वारा किसी भी तरह की मदद नहीं मिली है. बिहार में खेल और शिक्षा में सुधार हो जाय तो यहां से अपराध ही खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रकृति से प्रेम ने उन्हें इस प्रतिस्पर्धा में खींच लाया. उन्होंने तुर्की की सबसे ऊंची चोटी माउंट अरारत का अनुभव साझा किया. कहा कि वहां इतनी तेज हवा थी कि सभी का झंडा उड़ गया, लेकिन मैं अपने तिरंगे को थामे रखी. लक्ष्मी की इस सफलता से गांव के लोगों में खुशी का माहौल है.