सहरसा: कोरोना काल में केंद्र व राज्य सरकार गरीबों को मुफ्त चावल देने का दावा कर रही है, लेकिन गरीबों के बीच कैसे चावल का वितरण किया जा रहा है इसकी बानगी सहरसा में देखी जा सकती है. यहां जन वितरण प्रणाली द्वारा गरीबों के बीच बांटने के लिए सड़ा हुआ चावल भेज दिया गया. चावल इंसान क्या जानवर के खाने लायक भी नहीं है.
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मामला जिले के कहरा खाद्य गोदाम का है. यहां सहरसा के परिवहन अभिकर्ता और जिला प्रबंधक की मिलीभगत से सड़े चावल का ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण के लिए स्टॉक किया गया है. इस सड़े हुए चावल को लेने से डीलर इनकार कर रहे हैं. डीलर प्रबंधकों पर मनमानी करने का आरोप लगा रहे हैं.
जबरन दिया जाता है खराब चावल
जनवितरण प्रणाली दुकानदार संघ के जिलाध्यक्ष मो. सलीम ने कहा "गोदाम में इस बार इतना खराब और सड़ा चावल आया जो पीडीएस दुकानदारों के लेने लायक नहीं है. ऐसा चावल दुकानदारों को जबरन दिया जाता है. खराब चावल बांटने पर लोग हमलोगों को गालियां देते हैं. हमलोग इस संबंध में प्रबंधक से शिकायत भी करते हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है.
दुकानों में खपाना था सड़ा चावल
बरियाही के डीलर कलीमुद्दीन ने कहा "खराब चावल लदा ट्रक लौटाने की बात जिला प्रबंधक द्वारा कही गई थी पर किस मजबूरी बस चावल को गोदाम में रखा गया यह तो प्रबंधक ही बता पाएंगे. यहां सड़ा चावल रखने का मतलब है कि इसे पीडीएस दुकानों में खपाना का है. मजदूरों के मेठ गनौरी शर्मा ने कहा "हमलोग तो मजदूर हैं. प्रबंधक के निर्देश का पालन करते हैं. सड़ा और बदबूदार चावल रखने का क्या उद्देश्य है यह प्रबंधक ही बता पाएंगे.
डाटा ऑपरेटर संभाल रहा गोदाम
खाद्य निगम की मनमानी का आलम क्या है इसका अनुमान गोदाम के प्रबंधन को देखकर लगाया जा सकता है. गोदाम को प्रबंधक के बजाय यहां कार्यरत 4जी डाटा ऑपरेटर संभाल रहा है. यही वजह है कि यहां अनियमितता चरम पर है. गोदाम का प्रबंधन संभाल रहे डाटा ऑपरेटर महादेव कुमार ने कहा "इस चावल को कुछ समय के लिए गोदाम में रखा गया है. बारिश से ट्रक में लोड चावल के कुछ बोरे भींग गए थे. खराब चावल को लौटा दिया जाएगा."
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