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सहरसा जेल अधीक्षक निकला करोड़पति, सालों से बैंक से नहीं निकाला है वेतन

बिहार के सहरसा जेल अधीक्षक के घर पर छापा (Raid on house of Saharsa Jail Superintendent) पड़ा है. तकरीबन 5 से 7 घंटे तक चली छापेमारी में कई सामान बरामद किए गए. आय से अधिक संपत्ति मामले में विशेष निगरानी विभाग के द्वारा जेल अधीक्षक कारागार और सुधार सेवा सहरसा सुरेश चौधरी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में छापेमारी के दौरान उनकी आवास से 100000 नगद और कार्यालय से 10,00000 रुपए नकद बरामद किये गये हैं.

करोड़पति निकले जेल अधीक्षक
करोड़पति निकले जेल अधीक्षक
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Published : May 6, 2022, 9:12 PM IST

सहरसा: बिहार के सहरसा में भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी विभाग और उसकी स्पेशल विजलेंस यूनिट (Special Vigilance Unit) की तरफ से ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई है. निगरानी विभाग की स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने सहरसा जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी (Saharsa Jail Superintendent Suresh Choudhary) के ठिकानों पर छापेमारी की. तकरीबन 5 से 6 घंटे तक चली छापेमारी में कई सामान बरामद किए गए. निगरानी की स्पेशल यूनिट ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करते हुए, छापेमारी की है. जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी के सहरसा और मुजफ्फरपुर स्थित आवास पर छापेमारी की है. उनके ऊपर आय से अधिक लाखों से ज्यादा की संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा है.

ये भी पढ़ें- रिश्वत लेते चकबंदी विभाग का क्लर्क गिरफ्तार, निगरानी विभाग के DSP ने रंगे हाथों दबोचा

जेल अधीक्षक के यहां निगरानी विभाग का छापा: मिली जानकारी के अनुसार, उनके सहरसा स्थित सरकारी आवास पर सुबह-सुबह विजिलेंस की टीम पहुंच गई, जहां दो अलग-अलग टीमों ने उनके आय और संपत्ति की जांच की. इस दौरान टीम के अधिकारी ने एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा है कि जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी के सरकारी आवास और सरकारी कार्यालय पर छापेमारी की गई, जिसमें तकरीबन 10 लाख रुपए की बरामदगी की गई है. साथ-साथ कई महत्वपूर्ण कागजात भी बरामद की गई है. 5 से 6 घंटे तक चली छापेमारी के बाद जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी ने एक बड़ा खुलासा किया है.

'उनलोगों का था कि इनको रिटायर नहीं होने देना है. ये बात बार-बार बोलता था लोग इसी के साजिश के तहत मुझे फंसाया गया है. इसी महीने में 31 तारीख को मेरा सेवानिवृत है. विजिलेंस टीम द्वारा की गई छापेमारी में गलत जानकारी दी जा रही है. उनके पास से बरामद की गई राशि सरकारी पैसे हैं. इसी महीने में वे रिटायर होने वाले हैं और साजिश के तहत मुझे फंसाया जा रहा है. मेरा सबकुछ अपडेट है. सबकुछ ठीक है. इसलिए निगारीनी में आवेदन देकर जानबुझकर मुझे फंसाया गया है.' - सुरेश चौधरी, सहरसा जेल अधीक्षक

जेल अधीक्षक पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप: सहरसा जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी पर आरोप है कि सरकारी सेवा में रहते हुए उन्होंने गलत तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित की है. जो कि उनके द्वारा प्राप्त वेतन एवं अन्य अज्ञात स्रोतों की तुलना में बहुत अधिक है. उनको चार संतान हैं. प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एक बेटी का नामांकन 15,00000 रुपए खर्च कर करवाया गया है. एक बेटा बेंगलुरु में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. दूसरा बेटा मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहा है. इनके बच्चों के पढ़ाई-लिखाई में लाखों रुपए का खर्च है. एक बच्चा मुजफ्फरपुर ही इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा है. पढ़ाई-लिखाई और हवाई यात्रा पर कई लाख रुपए का खर्च है.

करोड़पति निकले जेल अधीक्षक': विशेष निगरानी इकाई की माने तो प्रथम दृष्टया में तलाशी के दौरान मिलने वाली उनकी आय लगभग 4 गुनी से अधिक है. उनकी बहाली सहायक जेलर के रूप में 1994 में हुई थी. अभियुक्त जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी के खिलाफ मुजफ्फरपुर के आवास और सहरसा के कार्यालय और आवास में छापेमारी 7 घंटे तक चली है. तलाशी में अभियुक्त के पास जो अचल संपत्ति मिला है अब तक यह पता चला है कि आरोपी के पास दो तीन मंजिला इमारत है जो कई लाख रुपए खर्च करके अच्छे से सजाया गया है और सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है. इनके द्वारा निर्मित भवनों के निर्माण की तलाशी के दौरान पता चला कि इमारत के अनुमानित लागत लगभग चार करोड़ और उससे अधिक होने की संभावना है.

जेल अधीक्षक पिछले 1 साल से नहीं निकाले हैं वेतन: 10 वर्ष के दौरान 17,00000 रुपए एसबीआई बैंक मुजफ्फरपुर में पाए गए हैं और लगभग 3,00000 पंजाब नेशनल बैंक मुजफ्फरपुर में पाए गए हैं. पैसे का काफी ज्यादा निवेश जमीन की खरीदारी एवं फ्लैट में किया गया है, जिसका लगभग 15 डीड प्राप्त हुआ है जो मुख्यतः मुजफ्फरपुर, मोतीपुर, हाजीपुर का है. इनमें लगभग तीन करोड़ के ऊपर राशि निवेश होने के साक्ष्य मिले हैं. इसके अलावा आरोपी और उनके आश्रितों के पास से लगभग 38 से अधिक बैंक के खाते में डिपॉजिट है. इसके अलावा लाखों के जेवरात भी मिले हैं. इन्होंने अपने वेतन का पैसा पिछले 1 साल से नहीं निकाला है. ऐसा अनुमान है कि पूर्व वर्षों में वेतन की निकासी नहीं हुई है.

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सहरसा: बिहार के सहरसा में भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी विभाग और उसकी स्पेशल विजलेंस यूनिट (Special Vigilance Unit) की तरफ से ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई है. निगरानी विभाग की स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने सहरसा जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी (Saharsa Jail Superintendent Suresh Choudhary) के ठिकानों पर छापेमारी की. तकरीबन 5 से 6 घंटे तक चली छापेमारी में कई सामान बरामद किए गए. निगरानी की स्पेशल यूनिट ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करते हुए, छापेमारी की है. जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी के सहरसा और मुजफ्फरपुर स्थित आवास पर छापेमारी की है. उनके ऊपर आय से अधिक लाखों से ज्यादा की संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा है.

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जेल अधीक्षक के यहां निगरानी विभाग का छापा: मिली जानकारी के अनुसार, उनके सहरसा स्थित सरकारी आवास पर सुबह-सुबह विजिलेंस की टीम पहुंच गई, जहां दो अलग-अलग टीमों ने उनके आय और संपत्ति की जांच की. इस दौरान टीम के अधिकारी ने एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा है कि जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी के सरकारी आवास और सरकारी कार्यालय पर छापेमारी की गई, जिसमें तकरीबन 10 लाख रुपए की बरामदगी की गई है. साथ-साथ कई महत्वपूर्ण कागजात भी बरामद की गई है. 5 से 6 घंटे तक चली छापेमारी के बाद जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी ने एक बड़ा खुलासा किया है.

'उनलोगों का था कि इनको रिटायर नहीं होने देना है. ये बात बार-बार बोलता था लोग इसी के साजिश के तहत मुझे फंसाया गया है. इसी महीने में 31 तारीख को मेरा सेवानिवृत है. विजिलेंस टीम द्वारा की गई छापेमारी में गलत जानकारी दी जा रही है. उनके पास से बरामद की गई राशि सरकारी पैसे हैं. इसी महीने में वे रिटायर होने वाले हैं और साजिश के तहत मुझे फंसाया जा रहा है. मेरा सबकुछ अपडेट है. सबकुछ ठीक है. इसलिए निगारीनी में आवेदन देकर जानबुझकर मुझे फंसाया गया है.' - सुरेश चौधरी, सहरसा जेल अधीक्षक

जेल अधीक्षक पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप: सहरसा जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी पर आरोप है कि सरकारी सेवा में रहते हुए उन्होंने गलत तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित की है. जो कि उनके द्वारा प्राप्त वेतन एवं अन्य अज्ञात स्रोतों की तुलना में बहुत अधिक है. उनको चार संतान हैं. प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एक बेटी का नामांकन 15,00000 रुपए खर्च कर करवाया गया है. एक बेटा बेंगलुरु में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. दूसरा बेटा मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहा है. इनके बच्चों के पढ़ाई-लिखाई में लाखों रुपए का खर्च है. एक बच्चा मुजफ्फरपुर ही इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा है. पढ़ाई-लिखाई और हवाई यात्रा पर कई लाख रुपए का खर्च है.

करोड़पति निकले जेल अधीक्षक': विशेष निगरानी इकाई की माने तो प्रथम दृष्टया में तलाशी के दौरान मिलने वाली उनकी आय लगभग 4 गुनी से अधिक है. उनकी बहाली सहायक जेलर के रूप में 1994 में हुई थी. अभियुक्त जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी के खिलाफ मुजफ्फरपुर के आवास और सहरसा के कार्यालय और आवास में छापेमारी 7 घंटे तक चली है. तलाशी में अभियुक्त के पास जो अचल संपत्ति मिला है अब तक यह पता चला है कि आरोपी के पास दो तीन मंजिला इमारत है जो कई लाख रुपए खर्च करके अच्छे से सजाया गया है और सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है. इनके द्वारा निर्मित भवनों के निर्माण की तलाशी के दौरान पता चला कि इमारत के अनुमानित लागत लगभग चार करोड़ और उससे अधिक होने की संभावना है.

जेल अधीक्षक पिछले 1 साल से नहीं निकाले हैं वेतन: 10 वर्ष के दौरान 17,00000 रुपए एसबीआई बैंक मुजफ्फरपुर में पाए गए हैं और लगभग 3,00000 पंजाब नेशनल बैंक मुजफ्फरपुर में पाए गए हैं. पैसे का काफी ज्यादा निवेश जमीन की खरीदारी एवं फ्लैट में किया गया है, जिसका लगभग 15 डीड प्राप्त हुआ है जो मुख्यतः मुजफ्फरपुर, मोतीपुर, हाजीपुर का है. इनमें लगभग तीन करोड़ के ऊपर राशि निवेश होने के साक्ष्य मिले हैं. इसके अलावा आरोपी और उनके आश्रितों के पास से लगभग 38 से अधिक बैंक के खाते में डिपॉजिट है. इसके अलावा लाखों के जेवरात भी मिले हैं. इन्होंने अपने वेतन का पैसा पिछले 1 साल से नहीं निकाला है. ऐसा अनुमान है कि पूर्व वर्षों में वेतन की निकासी नहीं हुई है.

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