सहरसा: बिहार के सहरसा (Saharsa) में नगर परिषद परिसर में दैनिक सफाई कर्मचारियों ने वेतन वृद्धि और स्थायीकरण सहित 12 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठकर सरकार और नगर परिषद प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. सफाई कर्मचारियों का कहना है कि जब तक मांगें मानी नहीं जाएगी, तब तक हड़ताल जारी रखेंगे.
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''लगातार 20 से 25 वर्षों से हम लोग काम करते आ रहे हैं. इस बीच ना तो हम लोगों के वेतन में वृद्धि की गई है और ना ही नौकरी स्थाई हुई है. जिससे हम लोगों की माली स्थिति लगातार खराब हो रही है, जिसका सीधा असर हमारी आने वाली पीढ़ियों पर पड़ रहा है. इसलिए सरकार से अनुरोध है कि हमारी मेहनत को देखते हुए, हमारी मांगों को मानते हुये महादलितों को आगे बढ़ाने का कार्य करें.''- जितेंद्र मल्लिक, नेता, सफाई कर्मचारी संघ
वहीं, आरती देवी की माने लगातार कई वर्षों से काम करने के बावजूद हम लोगों के काम को महत्व नहीं दिया जा रहा है. 30 दिन में रविवार का पैसा नहीं मिलता है, इसके अलावा बीमार हो गये तो उसकी छुट्टी में एडजस्ट नहीं किया जाता है. साथ ही कोरोना काल में काम करने पर उसका पैसा भी हम लोगों को नहीं मिला है.
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पूरे महीने काम करने के बावजूद मात्र 6000 रुपए ही दिया जाता है, इसलिए काम के दाम सहित अन्य मांगों को लेकर अनशन पर बैठे हैं. जबकि इस बाबत कार्यपालक पदाधिकारी आदित्य कुमार से पूछा तो उन्होंने कहा कि अनिश्चितकालीन हड़ताल पर सभी दैनिक सफाई कर्मी चले गये हैं. हम लोग वार्ता कर रहे हैं, वैसे सभी 40 वार्डों में सफाई कार्य प्रभावित हुआ है. इसके लिये हम लोगों की तरफ से वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है.
फिलहाल, सभी दैनिक सफाई कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से नगर परिषद क्षेत्र के 40 वार्डों की सफाई व्यवस्था चौपट हो गई है. एक तरफ शहर का अधिकांश भाग जहां जलजमाव से त्राहिमाम कर रहा है, वहीं इन कर्मियों की हड़ताल पर जाने से शहर की डेढ़ लाख की आबादी कचरे के ढेर में रहने को मजबूर हो रहे हैं.