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सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से करने पर विवाद, सहरसा में नाटककार दया प्रकाश सिन्हा का पुतला फूंका

महत्मा फूले समता परिषद के कार्यकर्ताओं ने सहरसा में नाटककार दया प्रकाश सिन्हा का पुतला फूंका ( Mahatma Phule Samta Parishad Protest in Saharsa ) है. सम्राट अशोक की औरंगजेब से तुलना करने पर दया प्रकाश सिन्हा का विरोध किया जा रहा है. पढ़िए पूरी खबर..

सहरसा में नाटककार दया प्रकाश सिन्हा का पुतला फूंका
सहरसा में नाटककार दया प्रकाश सिन्हा का पुतला फूंका
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Published : Jan 13, 2022, 5:18 PM IST

सहसा : बिहार के सहरसा जिले में भी महात्मा फूले समता परिषद के कार्यकर्ताओं ने पद्मश्री नाटककार दया प्रकाश सिन्हा का पुतला दहन ( Burnt Effigy Of Writer Daya Prakash Sinha) कर विरोध प्रदर्शन किया है. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार से दया प्रकाश सिन्हा को दिए गए पद्मश्री सम्मान सहित अन्य सम्मानों को वापस लेने की मांग की है.

ये भी पढ़ेंः NDA में सम्राट अशोक Vs औरंगजेब: BJP बोली- लेखक दया प्रकाश सिन्हा का BJP से कोई संबंध नहीं

महात्मा फुले समता परिषद ने आज अपने राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत शहर के वीर कुंवर सिंह चौक पर साहित्यकार दया प्रकाश सिन्हा का पुतला दहन किया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने दया प्रकाश सिन्हा के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते हुए राष्ट्रपति और भारत सरकार से दिया गया सभी सम्मान और पुरस्कार वापस लिये जाने की मांग की. महात्मा फुले समता परिषद के प्रदेश महासचिव चंदन बागची ने कहा कि, भारत के स्वाभिमान गौरवशाली भारत के निर्माता चक्रवर्ती सम्राट अशोक के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी को भारत की जनता कभी स्वीकार नहीं कर सकती है.

देखें वीडियो

'समाज सुधार के कार्यों से भारत को अशोक पूरी दुनिया में गौरव दिलाया. उन्होंने दुनियाभर में शान्ति का संदेश फैलाया है. उनके उपर नाटककार दया प्रकाश सिन्हा ने अपनी रचनाओं में और इस संदर्भ में दिए गए साक्षात्कार में उन महान शख्सियत के खिलाफ अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी एवं उनके विरुद्ध आधारहीन तर्क बर्दाश्त योग्य नहीं हैं. अफसोस की बात है कि उसी पुस्तक के लेखक को साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मश्री का सम्मान दिया गया है. सरकार अविलंब सभी सम्मान वापस लें नहीं तो हमारा आंदोलन जारी रहेगा.' :- चंदन बागची, महात्मा फुले समता परिषद के प्रदेश महासचिव

बता दें कि दया प्रकाश सिन्हा को अशोक के जीवन पर आधारित उनके नाटक के लिए सम्मानित किया गया था. अशोक ने कलिंग के साथ हुए बेहद हिंसक युद्ध में मिली जीत के बाद अहिंसा का रास्ता अपनाया लिया था. नाटककार ने एक प्रकाशन को दिए साक्षात्कार में अशोक के बारे में कई अभद्र टिप्पणी की थी और दावा किया था कि ये ऐतिहासिक शोध पर आधारित हैं. दया प्रकाश सिन्हा ने अशोक की तुलना मुगल शासक औरंगजेब से करते हुए यह भी आरोप लगाया था कि अशोक ने अपने जीवन की शुरुआत में ‘कई पाप किए’ और बाद में उन्हें धर्मपरायणता के लबादे में छिपाने की कोशिश की.

दरअसल हिंदी साहित्य के इतिहास में पहली बार किसी नाटक को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है. वरिष्ठ लेखक और नाटककार दया प्रकाश सिन्हा को यह पुरस्कार उनके नाटक ‘सम्राट अशोक’ के लिए दिया गया है. दया प्रकाश सिन्हा सिर्फ नाटक लिखते ही नहीं, वह मंच पर अपने अभिनय से उन नाटकों को प्रदर्शित भी करते हैं. दया प्रकाश को संगीत नाटक अकादमी सम्मान, हिंदी सम्मान और पद्मश्री सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

ये भी पढ़ें- सम्राट अशोक पर BJP नेता के विवादित बयान पर बोले ललन सिंह- 'ऐसे व्यक्ति का वापस लें पद्मश्री'

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सहसा : बिहार के सहरसा जिले में भी महात्मा फूले समता परिषद के कार्यकर्ताओं ने पद्मश्री नाटककार दया प्रकाश सिन्हा का पुतला दहन ( Burnt Effigy Of Writer Daya Prakash Sinha) कर विरोध प्रदर्शन किया है. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार से दया प्रकाश सिन्हा को दिए गए पद्मश्री सम्मान सहित अन्य सम्मानों को वापस लेने की मांग की है.

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महात्मा फुले समता परिषद ने आज अपने राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत शहर के वीर कुंवर सिंह चौक पर साहित्यकार दया प्रकाश सिन्हा का पुतला दहन किया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने दया प्रकाश सिन्हा के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते हुए राष्ट्रपति और भारत सरकार से दिया गया सभी सम्मान और पुरस्कार वापस लिये जाने की मांग की. महात्मा फुले समता परिषद के प्रदेश महासचिव चंदन बागची ने कहा कि, भारत के स्वाभिमान गौरवशाली भारत के निर्माता चक्रवर्ती सम्राट अशोक के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी को भारत की जनता कभी स्वीकार नहीं कर सकती है.

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'समाज सुधार के कार्यों से भारत को अशोक पूरी दुनिया में गौरव दिलाया. उन्होंने दुनियाभर में शान्ति का संदेश फैलाया है. उनके उपर नाटककार दया प्रकाश सिन्हा ने अपनी रचनाओं में और इस संदर्भ में दिए गए साक्षात्कार में उन महान शख्सियत के खिलाफ अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी एवं उनके विरुद्ध आधारहीन तर्क बर्दाश्त योग्य नहीं हैं. अफसोस की बात है कि उसी पुस्तक के लेखक को साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मश्री का सम्मान दिया गया है. सरकार अविलंब सभी सम्मान वापस लें नहीं तो हमारा आंदोलन जारी रहेगा.' :- चंदन बागची, महात्मा फुले समता परिषद के प्रदेश महासचिव

बता दें कि दया प्रकाश सिन्हा को अशोक के जीवन पर आधारित उनके नाटक के लिए सम्मानित किया गया था. अशोक ने कलिंग के साथ हुए बेहद हिंसक युद्ध में मिली जीत के बाद अहिंसा का रास्ता अपनाया लिया था. नाटककार ने एक प्रकाशन को दिए साक्षात्कार में अशोक के बारे में कई अभद्र टिप्पणी की थी और दावा किया था कि ये ऐतिहासिक शोध पर आधारित हैं. दया प्रकाश सिन्हा ने अशोक की तुलना मुगल शासक औरंगजेब से करते हुए यह भी आरोप लगाया था कि अशोक ने अपने जीवन की शुरुआत में ‘कई पाप किए’ और बाद में उन्हें धर्मपरायणता के लबादे में छिपाने की कोशिश की.

दरअसल हिंदी साहित्य के इतिहास में पहली बार किसी नाटक को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है. वरिष्ठ लेखक और नाटककार दया प्रकाश सिन्हा को यह पुरस्कार उनके नाटक ‘सम्राट अशोक’ के लिए दिया गया है. दया प्रकाश सिन्हा सिर्फ नाटक लिखते ही नहीं, वह मंच पर अपने अभिनय से उन नाटकों को प्रदर्शित भी करते हैं. दया प्रकाश को संगीत नाटक अकादमी सम्मान, हिंदी सम्मान और पद्मश्री सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

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