सहरसा: सत्ता विकेंद्रीकरण के उद्देश्य से लागू किए गए पंचायती राज्य अधिनियम (Bihar Panchayat Election) में आधी आबादी के प्रतिनिधित्व का जलवा अब पुरुष के समकक्ष दिखने लगा है. प्रारंभ में सरकार ने कानून में संशोधन कर महिलाओं को पुरुष के बराबर प्रतिनिधित्व देने का प्रयास था जिसका असर प्रदेश के साथ ही सहरसा (Saharsa News) में भी अब दिखने लगा है.
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हालांकि महिलाओं को पंचायत चुनाव में भागीदारी निभाने के लिए आरक्षण का लाभ दिया गया था लेकिन फिर भी महिलाएं कहीं न कहीं पिछड़ रही थीं. अधिकांश मामले में पुरुषों को ही लाभ मिल रहा था. लेकिन अब समय बदलने लगा है. महिलाएं जागरुक हो चुकी हैं.
इसमें बड़े शहरों से गांव में आकर चुनाव लड़ने वाली महिलाओं का भी योगदान माना जा सकता है. क्योंकि इन्हें देखकर गांवों की महिलाओं ने भी घर की दहलीज से बाहर निकलने की हिम्मत की. यही कारण है कि चुनाव अधिसूचना से लेकर चुनाव प्रचार के अंतिम क्षण तक महिलाएं अपने क्षेत्र में पूरे आत्मविश्वास के साथ ग्रामीणों को भरोसा दिलाती नजर आईं.
पंचायत चुनाव में महिलाएं अपना भाग्य आजमा रही हैं, गांव को बदलने की बात कर रही हैं. वहीं, पुरुषों से ज्यादा महिलाएं वोट डालते नजर आईं. चुनावी अखाड़े में महिला और पुरुष प्रत्याशी दोनों में कांटे की टक्कर है. विपक्ष में खड़े प्रत्याशी के खिलाफ भी महिलाएं मोर्चा खोल रही हैं. साथ ही पूरे जोश जुनून के साथ अपने अधिकारों के साथ नाचते गाते प्रचार कर रही हैं.
सुलिन्दाबाद पंचायत से पंचायत समिति सदस्य पद से चुनाव लड़ रही रूबी रतन, चैनपुर पंचायत से मुखिया प्रत्याशी रूपम झा लोगों के बीच जाकर आधी आबादी की आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का परिचय दे रही हैं.
बता दें कि सहरसा के कहरा प्रखंड के 12 पंचायतों में द्वितीय चरण का मतदान 29 सितम्बर को होना है. 84185 वोटर 155 मतदान केंद्रों पर अपना मताधिकार का प्रयोग कर 1176 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. बायोमैट्रिक से वोटरों की उपस्थिति दर्ज होगी. एक अक्टूबर को मतों की गिनती होगी.
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