सहरसाः कभी जिन्न निकालने के नाम से मशहूर बैलेट बॉक्स अब इतिहास के पन्नो में सिमटने के कगार पर है. समाहरणालय परिसर में जंग खा रहे बैलेट बॉक्स अब कबाड़खाने पहुंचने के दिन ही गिन रहे हैं. आजादी के बाद से लगातार कई सूरमाओं के भाग्य का फैसला करने वाला बैलेट बॉक्स अब धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर है.
सहरसा जिला मुख्यालय स्थित परिसर जहां हजारों बैलेट बॉक्स जंग की भेंट चढ़ रहे हैं. वजह है कि अब अधिकांश चुनाव ईवीएम के द्वारा सम्पन्न होते है, इसलीए अब इसकी देख-रेख में गंभीरता नहीं बरती जाती. तस्वीर में आप देख सकते हैं इस बॉक्स की हालत. किस तरह हजारों बैलेट बॉक्स बर्बाद हो चुके हैं. दरअसल, चुनाव आयोग अब लगभग सारे चुनाव इलेक्ट्रॉनिक मशीन के द्वारा ही करवाने का मन बना चुका है. जो आम लोगों का विश्वाश व चुनाव में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए जरूरी भी था. अब तो पंचायत चुनाव हो या नगर परिषद चुनाव पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक मशीन के प्रयोग पर विचार चल
लोगों का क्या है कहना
यह बैलेट बॉक्स अब इतिहास के पन्नो में ही सिमट कर रह जायेगा. हालांकि इस बाबत हमने कुछ लोगों से इस बात की तो उन्होंने बताया कि पहले एक बैलेट मिलता था फिर उसपे मुहर लगा कर बैलेट बॉक्स में डालते थे. अब तो ईवीएम मशीन आ गया है, जिसमें बटन दबा कर वोट दिया जाता है. अगर मशीन में जरा भी गड़बड़ी हुई तो वोट कहीं और चला जाता है. वैसे विश्वशनीय यह बैलेट बॉक्स ही था. जो अब विलुप्त होने की कगार पर है. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि ईवीएम से मतदान और मतगणना जल्दी हो जाती है और यह विश्वशनीय भी है.
विलुप्त होने के कगार पर
बहरहाल, जिन्न निकालने के नाम से मशहूर बैलेट बॉक्स की उपयोगिता अब समाप्त हो चुकी है. आजादी के बाद से लगातार करिश्माई परिणाम देने वाले, आम लोगों की भावनाओं को व्यक्त करने वाले और जिन्न निकलने के लिए मशहूर ये बैलेट बॉक्स अब विलुप्त होने के कगार पर हैं. शायद वो दिन दूर नहीं जब आम लोग इस बैलेट बॉक्स को भूल जाएंगे.