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बदहाली के आंसू बहा रहा है ये गांव, सांसद पप्पू यादव ने लिया था गोद

सांसद पप्पू यादव ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत जिस गांव को गोद लिया था वह आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

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Published : Apr 4, 2019, 9:29 AM IST

गांव की बदहाल तस्वीर

सहरसाः देश का आम चुनाव एक तरफ जहांबहुत सारी उम्मीदें लेकर आता है, तो वहीं दूसरी तरफ उम्मीदें टूटने का एहसास भी इसी वक्त होताहै. ऐसा ही अहसास जागा है सहरसा जिला स्थित बनमा इटहरी पंचायत के सहुरिया गांव के लोगों में. यहां केलोग न सिर्फनिराश व हताश है बल्कि आक्रोशित भी हैं. वजह ये है किविकासके नाम पर बीते पांच वर्षों में यहां एक टोकरीमिट्टी भी नहीं डाली गई.

दरअसल,सांसद पप्पू यादव ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इस गांव को गोद लिया था. लेकिनविकास के नाम पर यहां कोई काम नहीं किया गया.सांसद आदर्श ग्राम योजना विकासकी एक महत्वाकांक्षीयोजना है.इस योजना के तहत जब सहुरिया जैसे पिछड़े गांव का चयन जब सांसद द्वारा किया गया तो इलाके के लोगों ने एक साथ होली व दीवाली मनाई थी. उस दिन लोगों कीखुशी का ठिकाना नहीं था.

incomplete bridge
अधूरा पड़ा पुल

गांव वालों को थीं बड़ी उम्मीदें
यहां के लोगों कोलगने लगा किअब सड़क, बिजली,पेयजल और समुचित शिक्षा एवं स्वास्थ्य सब कीसब उम्मीदें पूरी हो जाएंगी. लेकिन गांव को गोद लेकर सांसदजैसे भूल ही गए. उसी तरह गांव के लोग भी इसे अपनीनियति समझ भूल गए. अब जब नेताओं की दौरा शुरू हुआ तो लोगों की दबी हुई उम्मीदें एक बार फिर से करवट लेने लगी. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि हमलोग काफी खुश हुए थे जब गांव को गोद लिया गया था. लेकिन पांच साल बीतने को है सांसद ने विकासके नाम पर यहांकुछ भी नहीं किया.

जानकारी देते स्थानीय लोग

ठगा महसूस कर रही जनता
इस गांव की स्थिति ऐसी है कि लोग यहां शादी विवाह भी करने में कतराते हैं. लोग रिशता करने आते ही नहीं क्योंकिन सड़क है, न शिक्षा और न ही स्वास्थ्य की व्यवस्था. बरसातके मौसम में इस गांव की स्थिति और भी बदतर हो जाती है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि प्रधानमंत्री का विकासका सपना शायद मजाक ही था. इस गांव की जनता अपने आप कोठगा महसूस कर रहीहै.

सहरसाः देश का आम चुनाव एक तरफ जहांबहुत सारी उम्मीदें लेकर आता है, तो वहीं दूसरी तरफ उम्मीदें टूटने का एहसास भी इसी वक्त होताहै. ऐसा ही अहसास जागा है सहरसा जिला स्थित बनमा इटहरी पंचायत के सहुरिया गांव के लोगों में. यहां केलोग न सिर्फनिराश व हताश है बल्कि आक्रोशित भी हैं. वजह ये है किविकासके नाम पर बीते पांच वर्षों में यहां एक टोकरीमिट्टी भी नहीं डाली गई.

दरअसल,सांसद पप्पू यादव ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इस गांव को गोद लिया था. लेकिनविकास के नाम पर यहां कोई काम नहीं किया गया.सांसद आदर्श ग्राम योजना विकासकी एक महत्वाकांक्षीयोजना है.इस योजना के तहत जब सहुरिया जैसे पिछड़े गांव का चयन जब सांसद द्वारा किया गया तो इलाके के लोगों ने एक साथ होली व दीवाली मनाई थी. उस दिन लोगों कीखुशी का ठिकाना नहीं था.

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अधूरा पड़ा पुल

गांव वालों को थीं बड़ी उम्मीदें
यहां के लोगों कोलगने लगा किअब सड़क, बिजली,पेयजल और समुचित शिक्षा एवं स्वास्थ्य सब कीसब उम्मीदें पूरी हो जाएंगी. लेकिन गांव को गोद लेकर सांसदजैसे भूल ही गए. उसी तरह गांव के लोग भी इसे अपनीनियति समझ भूल गए. अब जब नेताओं की दौरा शुरू हुआ तो लोगों की दबी हुई उम्मीदें एक बार फिर से करवट लेने लगी. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि हमलोग काफी खुश हुए थे जब गांव को गोद लिया गया था. लेकिन पांच साल बीतने को है सांसद ने विकासके नाम पर यहांकुछ भी नहीं किया.

जानकारी देते स्थानीय लोग

ठगा महसूस कर रही जनता
इस गांव की स्थिति ऐसी है कि लोग यहां शादी विवाह भी करने में कतराते हैं. लोग रिशता करने आते ही नहीं क्योंकिन सड़क है, न शिक्षा और न ही स्वास्थ्य की व्यवस्था. बरसातके मौसम में इस गांव की स्थिति और भी बदतर हो जाती है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि प्रधानमंत्री का विकासका सपना शायद मजाक ही था. इस गांव की जनता अपने आप कोठगा महसूस कर रहीहै.

Intro:सहरसा..देश का आम चुनाव एक और जहां उम्मीद जताने के वक़्त होता है,वहीं उम्मीद टूटने का भी एहसास कराता है।जी हाँ मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत सहरसा जिला स्थित बनमा इटहरी पंचायत के सहुरिया गांव की बात करुँगा, जिसे सांसद पप्पू यादव ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद तो ले लिया लेकिन विकाश के नाम पर बीते पांच वर्षों में एक टोकड़ी मिट्टी भी नही डाली गई।आज इस इलाके के लोग न केवल निराश व हताश है बल्कि आक्रोशित भी है।


Body:दरअसल सांसद आदर्श ग्राम योजना विकाश की एक महत्वाकांशी योजना है,और इस योजना के तहत जब सहुरिया जैसे पिछड़े गाँव का चयन सांसद महोदय के द्वारा किया गया तो इलाके के लोग एक साथ होली व दीवाली मनाई थी,उस दिन लोगो के खुशी का ठिकाना नही था,ऐसा लगता था अब क्या सड़क,क्या बिजली क्या पेयजल और समुचित शिक्षा एवं स्वास्थ्य ,सब के सब उम्मीदे पूरी हो जाएगी।लेकिन गोद लेकर सांसद महोदय जैसे भूल ही गये,उसी तरह गांव के लोग भी अपना नियति समझ भूल गए।अब जब नेताओ की दौर धूप शुरू हुआ तो लोगो की दबी हुई उम्मीदे एक बार फिर से करवट लेने लगी।स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि हमलोग काफी खुश हुए थे जब गाँव को गोद लिया गया लेकिन पाँच साल बीतने को है सांसद ने विकाश के नाम पर यहाँ कुछ भी नही किया है।अब स्थिति ऐसी है कि इस गाँव मे लोग शादी विवाह भी नही करते है,न ही सड़क है,न शिक्षा और न ही स्वास्थ्य की व्यवस्था।इस गाँव मे अगर भूल से कोई रिश्ता लेकर आता भी है तो वापस जाने के बाद नही आता है।वर्षात के मौसम में इस गाँव की स्थिति नरकीय हो जाती है। स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि प्रधानमंत्री का विकाश का सपना शायद मजाक ही था और इस गाँव की जनता अपने आप का ठगा सा महसूस कर रहे है।


Conclusion:बहरहाल इस प्रस्तावित सांसद आदर्श ग्राम की न तो कोई मूल्य स्थापित हो पाया है,और न ही नियति में कोई बदलाव दिख रही है।बाबजूद जिस तरह से ग्रामीण प्रतिक्रिया दे रहे है,वो आने वाले आमचुनाव को प्रभावित करने से पीछे नही रहेंगे।
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