ETV Bharat / state

बारिश ने फीका किया सरस्वती पूजा का रंग, पंडालों में नहीं दिखी भीड़ - सरस्वती पूजा,

साल भर से सरस्वती पूजा की तैयारी कर रहे पंडाल मालिकों और कारीगरों के चेहरे मुरझा गए. बारिश के चलते इस बार पंडालों में श्रध्दालुओं की संख्या बेहद कम रही.

पिछली बार के मुकाबले कम रही मूर्तियों की संख्या
author img

By

Published : Feb 11, 2019, 2:15 AM IST

Updated : Feb 11, 2019, 5:14 AM IST

सहरसाः बिहार में इंटर की परीक्षा के चलते इस बार सरस्वती पूजा का रंग फीका पड़ता नजर आ रहा है. वहीं दो दिन से हो रही बारीश ने भी कारीगरों की मेहनत पर पानी फेर दिया. जिसके चलते इस बार पंडालों में श्रध्दालुओं की संख्या बेहद कम रही.

सरस्वती पूजा के मौके पर पिछली बार की तुलना में इस बार बाजार मंदा रहा. बिहार में छात्रों की इंटर परीक्षा और बारीश से कारीगरों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. साल भर से सरस्वती पूजा की तैयारी कर रहे पंडाल मालिकों और कारीगरों के चेहरे मुरझा गए.

मुरझाए कारिगरों के चेहरे
undefined

सर्दी और बारीश से भी पूजा पर काफी असर पड़ा. पंडालों मे श्रध्दालुओं की संख्या पिछली बार के मुकाबले काफी कम रही. जिसका असर मूर्ति निर्माताओं और बाजार पर पड़ा. मूर्तिकारों का कहना है कि साल भर की कमाई सरस्वती पूजा से ही होती है, इसके लिए उन्हें काफी दिनों से इंतजार रहता है. लेकिन इस बार बाजार मंदा होने से उनका जीवनयापन काफी प्रभावित होगा.

सहरसाः बिहार में इंटर की परीक्षा के चलते इस बार सरस्वती पूजा का रंग फीका पड़ता नजर आ रहा है. वहीं दो दिन से हो रही बारीश ने भी कारीगरों की मेहनत पर पानी फेर दिया. जिसके चलते इस बार पंडालों में श्रध्दालुओं की संख्या बेहद कम रही.

सरस्वती पूजा के मौके पर पिछली बार की तुलना में इस बार बाजार मंदा रहा. बिहार में छात्रों की इंटर परीक्षा और बारीश से कारीगरों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. साल भर से सरस्वती पूजा की तैयारी कर रहे पंडाल मालिकों और कारीगरों के चेहरे मुरझा गए.

मुरझाए कारिगरों के चेहरे
undefined

सर्दी और बारीश से भी पूजा पर काफी असर पड़ा. पंडालों मे श्रध्दालुओं की संख्या पिछली बार के मुकाबले काफी कम रही. जिसका असर मूर्ति निर्माताओं और बाजार पर पड़ा. मूर्तिकारों का कहना है कि साल भर की कमाई सरस्वती पूजा से ही होती है, इसके लिए उन्हें काफी दिनों से इंतजार रहता है. लेकिन इस बार बाजार मंदा होने से उनका जीवनयापन काफी प्रभावित होगा.

Intro:इंटर की परीक्षा ने जहां सरस्वती पूजा का रंग किया फीका।वहीं प्रकृति ने भी रंग में भंग डाल कर श्रद्धालुओं के उत्साह पर फेरा पानी।दूसरी ओर प्रशासन की बंदिशें ने भी पूजा क्लबों की गतिविधि में भी खलल डाला ।जिसका सीधा प्रभाव मूर्ति निर्माताओं के न सिर्फ कारोबार को प्रभावित किया बल्कि तैयार मूर्ति के नहीं बिकने से उसे भीषण आर्थिक क्षति पहुंचा कर उसके परिवार के जीवनयापन पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया।


Body:दरअसल वर्तमान समय मे चल रहे इंटर की परीक्षा में किशोर वय युवाओं की एक बड़ी टोली परीक्षा में व्यस्त है।जिसका सीधा प्रभाव बसंत पंचमी के पावन अवसर पर आयोजित सरस्वती पूजा में दिख रहा है।न सिर्फ पूजा पंडालों की संख्या में भारी कमी है बल्कि पूजा में श्रद्धालुओं की सहभागिता भी नगण्य हैं।और इसका खामियाजा सबसे ज्यादा मूर्ति निर्माताओं को भुगतना पड़ रहा है।आप खुद देखिये विभिन्न जगहों पर निर्मित मूर्ति को खरीदने वाला ही नही मिला ।तैयार मूर्ति जिसके निर्माण में इन कलाकारों का मेहनत के अलावे मिट्टी,रंग ,मजदूर की मजदूरी के अलावे मूर्ति की साजसज्जा में हुये खर्च ख़रीददार नहीं मिलने से सब पल भर में बर्बाद हो गया।और इसका सीधा प्रभाव इनके जीवन यापन पर पड़ा।इन मूर्तिकारों की माने तो तो इनके परिवार का जीवनयापन इसी के भरोसे है।सालभर परिवार की आवश्यकता भी इसी से पूरी होती है।जबकि पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं की कमी का वजह के बावत आयोजकों ने बताया कि विभिन्न प्रकार की प्रशासनिक बंदिशे व प्रकृति के कहर के अलावे इंटर की परीक्षा ने प्रभावित किया।जिससे न सिर्फ पूजा पंडालों में भीषण कमी आयी बल्कि बिन मौसम बरसात ने श्रद्धालुओं को भी प्रभावित किया।


Conclusion:सच मायने में देखा जाय तो अन्य वर्षों की भांति इस वर्ष सरस्वती पूजा फीका रहा।जिसका सीधा प्रभाव मूर्ति निर्माण करने वाले कलाकारों के जीविकोपार्जन पर स्पष्ट दिख रहा है।साल भर के पर्व के आने के पूर्व मूर्ति कलाकार काफी सपने बुनते है।पर इस बार उनके सपने ही बिखर गये।
Last Updated : Feb 11, 2019, 5:14 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.