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सिंदूर खेल बंगाली महिलाओं ने दी मां दुर्गा को अंतिम विदाई, बोलीं- 'हे मां अगले साल फिर आना'

बंगाल के साथ-साथ कई राज्यों में बंगाली महिलाएं विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला करती है. सुहागिन एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं. इसी क्रम में रोहतास में भी बंगाली आश्रम में इसका आयोजन हुआ. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Oct 15, 2021, 8:56 PM IST

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रोहतास: आज दुर्गा पूजा उत्सव का आखिरी दिन है. देशभर में विजयादशमी यानी दशहरे का त्योहार मनाया जा रहा है. ऐसे में दुर्गा पूजा (Durga Puja) के आखिरी दिन यानी विजयादशमी पर जिले के डेहरी स्थित बंगाली आश्रम में बंगाली समुदाय की महिलाओं ने सिंदूर खेला (Sindoor Khela) उत्सव में भाग लिया और एक दूसरे को सिंदूर लगाया.


ये भी पढ़ें- बिहार में बंगाल की छटा, सिंदूर खेला कर महिलाओं ने कहा- 'आसछे बछोर आबार होबे'


महिला श्रद्धालुओं की मानें तो कोरोना काल में पहली बार दुर्गा पूजा की अनुमति मिली है. बंगाली समुदाय के लिए यह त्योहार काफी अहम माना जाता है. विजयादशमी के दिन मां दुर्गा को सुहागिन महिलाएं सिंदूर अर्पण कर अंतिम विदाई देती हैं. साथ ही प्राथना करती हैं कि 'हे मां आप अगले साल आएं और खुशहाली लाएं.'

देखें वीडियो.
गौरतलब है कि नवरात्रि के अंतिम दिन दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है. इसी दिन दशहरे के अवसर पर बंगाली समुदाय की महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं, जिसे सिंदूर खेला की रस्म कहा जाता है. बंगाली महिलाओं के लिए सिंदूर खेला एक बड़ी और विशेष रस्म है. मान्यता है कि दशहरे के दिन मां दुर्गा की धरती से विदाई होती है और इस उपलक्ष्य में सुहागने महिलाएं उन्हें सिंदूर अर्पित कर आशीर्वाद लेती हैं.



बंगाली समुदाय की महिलाएं सिंदूर खेला के दिन मां दुर्गा को खुश करने के लिए वहां पारंपरिक धुनुची नृत्य करती हैं. सिंदूर खेला के पीछे एक धार्मिक महत्व यह है कि लगभग 450 साल पहले बंगाल में मां दुर्गा के विसर्जन से पहले सिंदूर खेला का उत्सव मनाया गया था. तभी से लोगों में इस रस्म को लेकर काफी मान्यता है और बिहार में भी हर साल पूरी धूमधाम से इस दिन का मनाया जाता है.

रोहतास: आज दुर्गा पूजा उत्सव का आखिरी दिन है. देशभर में विजयादशमी यानी दशहरे का त्योहार मनाया जा रहा है. ऐसे में दुर्गा पूजा (Durga Puja) के आखिरी दिन यानी विजयादशमी पर जिले के डेहरी स्थित बंगाली आश्रम में बंगाली समुदाय की महिलाओं ने सिंदूर खेला (Sindoor Khela) उत्सव में भाग लिया और एक दूसरे को सिंदूर लगाया.


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महिला श्रद्धालुओं की मानें तो कोरोना काल में पहली बार दुर्गा पूजा की अनुमति मिली है. बंगाली समुदाय के लिए यह त्योहार काफी अहम माना जाता है. विजयादशमी के दिन मां दुर्गा को सुहागिन महिलाएं सिंदूर अर्पण कर अंतिम विदाई देती हैं. साथ ही प्राथना करती हैं कि 'हे मां आप अगले साल आएं और खुशहाली लाएं.'

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गौरतलब है कि नवरात्रि के अंतिम दिन दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है. इसी दिन दशहरे के अवसर पर बंगाली समुदाय की महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं, जिसे सिंदूर खेला की रस्म कहा जाता है. बंगाली महिलाओं के लिए सिंदूर खेला एक बड़ी और विशेष रस्म है. मान्यता है कि दशहरे के दिन मां दुर्गा की धरती से विदाई होती है और इस उपलक्ष्य में सुहागने महिलाएं उन्हें सिंदूर अर्पित कर आशीर्वाद लेती हैं.



बंगाली समुदाय की महिलाएं सिंदूर खेला के दिन मां दुर्गा को खुश करने के लिए वहां पारंपरिक धुनुची नृत्य करती हैं. सिंदूर खेला के पीछे एक धार्मिक महत्व यह है कि लगभग 450 साल पहले बंगाल में मां दुर्गा के विसर्जन से पहले सिंदूर खेला का उत्सव मनाया गया था. तभी से लोगों में इस रस्म को लेकर काफी मान्यता है और बिहार में भी हर साल पूरी धूमधाम से इस दिन का मनाया जाता है.

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