रोहतास: बिहार के रोहतास से डेहरी ऑन सोन का गौरव कहे जानेवाले 150 वर्ष पुरानी धूप घड़ी का मेटल ब्लेड आखिरकार पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद बरामद कर लिया (Rohtas World Fame Sun Watch Recovered) है. ऐतिहासिक धूप घड़ी के मेटल को महज दो हजार में शातिर चोरों से खरीदने के आरोप में एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है. लेकिन शातिर चोरों तक पहुंचने में पुलिस के हाथ अभी भी खाली हैं. हालांकि रोहतास एसपी ने धूप घड़ी के मेटल बरामद करने वाले पुलिसकर्मियों की टीम को सम्मानित करने की बात कही है.
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दरअसल, 8 फरवरी की रात में डेहरी नगर थाना के एनीकट इलाके से चोरी की गई ऐतिहासिक धूप घड़ी के धातु के ब्लेड को पुलिस ने रिकवर कर लिया है. मामले में एक युवक की भी गिरफ्तारी हुई है. बता दें कि मंगलवार की रात चोरों ने एनीकट इलाके में सिंचाई विभाग के कार्यालय परिसर के पास से ऐतिहासिक धूप घड़ी का ब्लेड, जो शंकुनुमा था, उसे चुरा लिया था. जिसके बाद इलाके में सनसनी फैल गई थी.
बता दें कि धूप घड़ी की ब्लेड चोरी (150 years old sun clock in Rohtash) हो जाने से लोगों में काफी आक्रोश था. पुलिस ने इसको लेकर एक एसआईटी गठित की थी. गंभीरता से छानबीन की गई तो मोहन बिगहा से मानिक गुप्ता नामक एक युवक की गिरफ्तारी हुई, जिसके पास से धातु का ब्लेड बरामद किया गया. पूछताछ में बताया कि किसी ने मात्र दो हजार रुपये में इस ब्लेड डायल को किसी से खरीदा था. उसे ऊंचे दामों में बेचने के लिए घर में छुपा कर रखा था. एसपी ने बताया कि चोरों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास किया जा रहा है. उन्हें भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
एसपी आशीष भारती ने आज धूप घड़ी परिसर में प्रेस वार्ता किया तथा फिर से प्राचीन धूप घड़ी के धातु के ब्लेड डायल को लगवाया. एसपी ने बताया कि एसआईटी में शामिल पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को पुरस्कृत किया जा रहा है. साथ ही सोनपुर मेले में भी पुलिस के वरीय अधिकारियों के द्वारा पुरस्कृत करने की अनुशंसा की जाएगी.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, धूप घड़ी की स्थापना सन 1871 ई. में ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा की गई थी. यह धूप घड़ी ऐतिहासिक है और 150 साल पुरानी है. बताया जाता है कि सोन नहर प्रणाली को विकसित करने के दौरान डेहरी में एक यांत्रिक कार्यशाला का संचालन किया था, जिसमें काम करने वाले कामगारों के लिए धूप घड़ी बनाई गई (Sun watch installed by british for laborers) थी. यह धूप घड़ी प्रत्येक आधा घंटा के अंतराल पर सही समय दिखाती थी, सूरज की पहली किरण से लेकर सूर्यास्त के अंतिम किरण तक इस घड़ी का उपयोग किया जाता था.
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