रोहतास: रोहतास जिले को धान का कटोरा कहा जाता है. लेकिन लोगों की इस सोच को एक किसान ने बदल दिया और साबित कर दिया कि रोहतास की मिट्टी में कुछ भी पैदा किया जा सकता है.
ट्रेडिशनल खेती के बाद आधुनिक खेती
गौरतलब है कि ट्रेडिशनल खेती के बाद अब किसान मनोज कुमार ने आधुनिक खेती भी करनी शुरू कर दी है. इन्होंने एक से बढ़कर एक नकदी फसल को उगा कर वैज्ञानिकों के सारे दावों को फेल कर दिया है. वैसे तो रोहतास की सरजमी पर धान और गेहूं की ही ज्यादा पैदावार होती हैं. लेकिन मनोज कुमार ने पहले तो स्ट्रॉबेरी की खेती की और उसके बाद अब वहीं केसर की भी खेती करना शुरू कर दिया है. किसान मनोज बताते हैं कि उन्हें इन सब खेती के बारे में जानने के लिए यूट्यूब का सहारा लेना पड़ा और सारी जानकारी यूट्यूब के माध्यम से ही उन्हें प्राप्त हुई.
रोहतास केसर की खेती करने वाला बिहार का पहला जिला
धीरे-धीरे उन्होंने केसर के बीज को लाकर अपने खेतों में बोया जो काफी बड़ा हो चुका है और महज कुछ ही दिनों के बाद ऐसा माना जा रहा है कि वह केसर के फूल के रूप में विकसित हो जाएगा. जिसके बाद मनोज कुमार को बड़ी सफलता मिलेगी. जाहिर है, रोहतास बिहार का पहला ऐसा जिला होगा जहां केसर की खेती की जा रही है. इससे पहले बिहार में किसी जिलों में केसर की खेती नहीं की गई है.
जम्मू कश्मीर केसर पैदावार करने वाला अव्वल राज्य
वैसे तो केसर के पैदावार के लिए हिंदुस्तान का जम्मू कश्मीर ही सबसे अव्वल दर्जे का उत्पादन करने वाला राज्य है. लेकिन मनोज कुमार बताते हैं कि केसर की उत्पादन के बाद उन्हें काफी फायदा मिलेगा. क्योंकि अभी उनके खेती में महज 30 से ₹35 हजार की लागत आया है. लेकिन केसर के उत्पादन के बाद उसकी महंगाई को देखते हुए उनके आमदनी काफी अधिक हो जाएगी.
एक चुनौतीपूर्ण कार्य
जाहिर है मनोज कुमार के लिए ये एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. बहरहाल मनोज कुमार ने किसान वैज्ञानिकों के उस वादे को भी गलत साबित कर दिया. जिसमें कहा गया था कि रोहतास की मिट्टी में इस तरह की फसल का उत्पादन नहीं किया जा सकता है.