रोहतास: होली का मौसम है तो फगुआ का आनंद तो लेना बनता है. बिना नाच गाने के भला होली भी होली होती है क्या? माफ करिएगा कि मैने पहली लाइन में फगुआ लिखा. माफी इसलिए क्योंकि फगुआ तो पहले हुआ करता था अब तो बस डीजे बॉक्स होता है और यूट्यूब से बजते है होली के वो गाने जो भोजपुरिया स्टार गाते हैं. वैसे इन भोजपुरी गानों पर थिरकने वालों में सिर्फ आम लोग नहीं है बल्कि बिहार के नेताओं की भी लंबी कतारे हैं. इसमें भी जब होली का अवसर हो तो नेताओं की ओर से अपनी जनता के लिए होली पार्टी का आयोजन भला क्यों न हो. बात पार्टी की है तो बिहार में पार्टी का मतलब ऑर्केस्ट्रा और उसमें भी बार बालाओं का डांस होना कम्पलसरी है.
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खेसारी, पवन सिंह के संग तेज-तेजस्वी वाले गाने भी बजे
होली की पार्टी से जुड़ा एक ऐसा ही वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. जब इसके बारे में पता किया गया, तो पता चला की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के नेता और डेहरी के विधायक फतेह बहादुर ने आयोजित की थी. वायरल वीडियो में बार बालाएं कभी पवन सिंह तो कभी खेसारी लाल के होली के गानों पर थिरकती हुईं दिखाई दे रही हैं. वहीं जब खेसारी लाल का गाना 'दुई रुपया' बजता है तो स्टेज के नीचे खड़े नेताजी के सहयोगी खुद को रोक नहीं पाते और कमर लचकाते हुए हाथो से वीक्ट्री वाला साइन दिखाते हुए नाच पड़ते हैं. नाच गाने का ये शो यहीं खत्म नहीं होता, होता भी क्यों भला, राजद के नेता की होली पार्टी बिना तेजप्रताप और तेजस्वी के गानों के पूरा कैसे होती? तो गाना बजा, बार बालाएं थिरकीं और इस तरह पार्टी समापन की ओर बढ़ी.
जमकर उड़ीं प्रशासन के गाइडलाइन्स की धज्जियां
मतलब कुल मिलाकर कहें तो समाज में मर्यादा स्थापित करने की जिम्मेदारी जिन विधायक साहब की है उन्होंने अपने ही निजी होटल में होली को लेकर सारी मर्यादा ताक पर रख दी. ये वहीं मर्यादाएं हैं जो हाल में सरकार की ओर से कोरोना को लेकर जरूरी की गई हैं. कोरोना के बढ़ते खतरे से लेकर होली पर डीजे न बनाने तक के नियम बने हैं और लोगों को इनका पालन करने को कहा गया है. लेकिन विधायक साहब के लिए ये सब मायने थोड़े रखता है. वैसे भी होली है, बुरा मत मानिए, होली में एंटरटेनमेंट कई तरह के होते हैं, ये शायद राजद नेता का तरीका है. जिसमें में बार बालाओं को पार्टी और पार्टी के सुप्रीमो लालू यादव के लिए बने गानों पर भी नाचाने की परंपरा है.
पुलिस ने नहीं की है अभी तक कोई कार्रवाई
खैर जब नेता जी से होली पार्टी के आयोजन के बारे में सवाल पूछा गया तो उनको शायद सवाल विधानसभा के मुद्दे वाला सुनाई दिया. बस जवाब में नेताजी महिलाओं पर किए गए पुलिसिया वर्ताव के विरोध में अपना व्याख्यान देने लगे. लेकिन नेताजी भूल गए कि पत्रकारो से बात करने से पहले वो खुद उस महफिल में अपनी विधायकी का तेवर दिखा रहे थे, जहां बार बालाएं अश्लील गानों पर डांस कर रही थी और नेता जी बुरा न मानो होली का रट लगाए एंटरटेन हो रहे थे. बहरहाल, इतना कुछ हुआ है लेकिन विधायको व उनके समर्थकों को लेकर पुलिस और प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं दिखी है. शायद प्रशासन भी जानता है कि उसके नियम केवल आम पब्लिक के लिए है, जन प्रतिनिधि के लिए नहीं.