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यह व्यवसाय कर रोहतास का यह किसान कमा रहा लाखों, जानिए कैसे

प्रेमचंद ने ट्रेडिशनल खेती छोड़ कर मॉर्डन खेती की तरफ रुख कर लिया है. वैसे तो रोहतास को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन यहां अब यह किसान मछली उत्पादन कर लाखों रुपये महीने की कमाई कर रहा है.

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Published : Mar 30, 2019, 10:39 PM IST

मछलियों को चारा खिलाता किसान प्रेमचंद

रोहतास:कहा जाता है कि जब कोई इंसान किसी लक्ष्यको पाने की जिद पर अड़ जायेतो उसे भगवान भी देने से नहीं रोक पाते हैं.कुछ ऐसा ही नजारा रोहतास के तिलौथू में भी देखने को मिला.जहां के एक किसान ने खेती की परिभाषा ही बदल दी है.

तिलौथू के रहने वाले किसान प्रेमचंद ने ट्रेडिशनल खेती छोड़ कर मॉर्डन खेती की तरफ रुख कर लिया है.वैसे तो रोहतासको धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन यहांअब यह किसान मछली उत्पादन कर लाखों रुपये महीने कीकमाई कर रहा है. कुछ वर्णों पहलेप्रेमचंद कुमार का परिवार बेहद मुफलिसी की जिंदगी गुजारने को मजूबर था.

मछलियों को चारा खिलाता किसान प्रेमचंद

कोलकाता मेंलीमछली पालन की ट्रेनिंग

उनके पास खाने के लिए अनाज तक नहीं रहते थे.प्रेमचंद केपिता एक नौकरी करते थे जिससेउनका परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था,लेकिन प्रेमचंद की गरीबी ने उन्हें कोलकाता का रास्ता चुनने को मजबूर कर दिया.प्रेमचंद ने कोलकाता में मछली पालन की ट्रेनिंग पूरी की.बहरहाल ट्रेनिंग पूरी करने के बाद प्रेमचंद अपने गांव वपस आ गया और मछली पालन का व्यवस्या शुरू कर दिया.

साठ लाख का टर्न ओवर

प्रेमचंद आज एक एकड़ के तालाब मेंमछली पालन कर रहा है.प्रेमचंद ने बताया कि फिलहाल वो तकरीबन साठ लाख से ऊपर का मछली व्यवसायकरताहै.जिससे उसके महीने की आमदनी एक लाख से ऊपर की होती है.वहीं प्रेमचंद ने बताया कि उसके इस रोजगार से कई लोग जुड़े हुए हैं. जिनका परिवार उसी से चल रहा है.

लोग पसंद कर रहे हैं इस व्यवसाय को

प्रेमचंद के मछ्ली पालने की ऐसी तकनीक आसपास के लोगों को खूब रास आ रहीहै.उसने मछलियों को सांप और पक्षियों से बचाने के लिए समूचे तालाब को जाल से ढंक रखा है ताकि मछलियों को कोई नुकसान न पहुंचसके.प्रेमचंद को इस कामयाबी ने पूरे जिले में एक अलग पहचान दिलायी है. वहीं मछलियों की बढ़ती मांग के आगे प्रेमचंद की मछली कई अन्य राज्यों में भी जातीहैं जबकि इससे पहले यहां आंध्रप्रदेश से ही मछलियां मंगाई जाती थीं.

रोहतास:कहा जाता है कि जब कोई इंसान किसी लक्ष्यको पाने की जिद पर अड़ जायेतो उसे भगवान भी देने से नहीं रोक पाते हैं.कुछ ऐसा ही नजारा रोहतास के तिलौथू में भी देखने को मिला.जहां के एक किसान ने खेती की परिभाषा ही बदल दी है.

तिलौथू के रहने वाले किसान प्रेमचंद ने ट्रेडिशनल खेती छोड़ कर मॉर्डन खेती की तरफ रुख कर लिया है.वैसे तो रोहतासको धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन यहांअब यह किसान मछली उत्पादन कर लाखों रुपये महीने कीकमाई कर रहा है. कुछ वर्णों पहलेप्रेमचंद कुमार का परिवार बेहद मुफलिसी की जिंदगी गुजारने को मजूबर था.

मछलियों को चारा खिलाता किसान प्रेमचंद

कोलकाता मेंलीमछली पालन की ट्रेनिंग

उनके पास खाने के लिए अनाज तक नहीं रहते थे.प्रेमचंद केपिता एक नौकरी करते थे जिससेउनका परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था,लेकिन प्रेमचंद की गरीबी ने उन्हें कोलकाता का रास्ता चुनने को मजबूर कर दिया.प्रेमचंद ने कोलकाता में मछली पालन की ट्रेनिंग पूरी की.बहरहाल ट्रेनिंग पूरी करने के बाद प्रेमचंद अपने गांव वपस आ गया और मछली पालन का व्यवस्या शुरू कर दिया.

साठ लाख का टर्न ओवर

प्रेमचंद आज एक एकड़ के तालाब मेंमछली पालन कर रहा है.प्रेमचंद ने बताया कि फिलहाल वो तकरीबन साठ लाख से ऊपर का मछली व्यवसायकरताहै.जिससे उसके महीने की आमदनी एक लाख से ऊपर की होती है.वहीं प्रेमचंद ने बताया कि उसके इस रोजगार से कई लोग जुड़े हुए हैं. जिनका परिवार उसी से चल रहा है.

लोग पसंद कर रहे हैं इस व्यवसाय को

प्रेमचंद के मछ्ली पालने की ऐसी तकनीक आसपास के लोगों को खूब रास आ रहीहै.उसने मछलियों को सांप और पक्षियों से बचाने के लिए समूचे तालाब को जाल से ढंक रखा है ताकि मछलियों को कोई नुकसान न पहुंचसके.प्रेमचंद को इस कामयाबी ने पूरे जिले में एक अलग पहचान दिलायी है. वहीं मछलियों की बढ़ती मांग के आगे प्रेमचंद की मछली कई अन्य राज्यों में भी जातीहैं जबकि इससे पहले यहां आंध्रप्रदेश से ही मछलियां मंगाई जाती थीं.

Intro:रोहतास। कहा जाता है कि जब कोई इंसान किसी चीज़ को पाने की ज़िद कर ले तो उसे भगवान भी मिलाने से नहीं रोक पता है। कुछ ऐसा ही नजारा रोहतास के तिलौथू में भी देखने को मिला। जहां के एक किसान ने खेती की परिभाषा ही बदल डाली।


Body:हम बात कर रहें है तिलौथू के रहने वाले किसान प्रेमचंद की जिसने ट्रेडिशनल खेती छोड़ कर मॉर्डन खेती की तरफ रुख कर लिया। वैसे तो इस रोहतास की सरज़मी को धान का कटोरा कहा जाता है लेकिन इस धान के कटोरे से अब मछली उत्पादन कर लाखों रुपये महीने का कमाई किया जा रहा है। प्रेमचंद कुमार का परिवार बेहद मुफलिसी की ज़िंदगी गुज़ारने को मजूबर था। उनके पास खाने के लिए अनाज तक नहीं रहते थे। प्रेमचंद की पिता एक नौकरी करते थे जिसके उनका परिवार चलाना मुश्किल लग रहा था। लेकिन प्रेमचंद की गिरीबी ने उन्हें कोलकाता का रास्ता चुनने को मजबूर कर दिया। यानी प्रेमचंद के लिए कोलकाता की सपने से कम नहीं था और इसी कोलकाता ने प्रेमचंद की की पंख को नई उड़ान उस वक़्त दिया जब उसने वहां से मछली पालन की ट्रेनिग पूरी की। बहरहाल ट्रेनिंग पूरी करने के बाद प्रेमचंद आने गांव वपीस आगाया और फिर कामयाबी की एक नई इबारत लिख डाली। वही आजप्रेमचंद की एकड़ में तालाब बना कर मछली पालन कर रहा है। प्रेमचंद ने बताया कि फिलहाल वो तक़रीबन साठ लाख से ऊपर का मछली पालन कर रहा है। जिससे उसके महीने की आमदनी एक लाख से ऊपर की होती है। वहीं प्रेमचंद ने बताया कि उसके इस रोज़गार से कई लोग जुड़े हुए है जिनका परिवार उसी से चल रहा है। प्रेमचंद के मछ्ली पालने की ऐसी तकनीक आसपास के लोगों को खूब रास आरहा है। उसने मछली को सांप पंछियों से बचाने के लिए समूचे तालाब को जाल से ढक रखा है ताकि मछलियों को कोई नुकसान न पहुचं सके। प्रेमचंद को इस कामयाबी ने पूरे जिले में एक अलग पहचान दिलाया है। वहीं मछलियों की बढ़ती मांग के आगे प्रेमचंद की मछली कई अन्य राज्यों में भी जाति है जबकि इससे पहले यहां आंध्रप्रदेश से ही मछलियां मंगाई जाती थी।


Conclusion:बहरहाल प्रेमचंद कि इस कामयाबी से अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है। वहीं प्रेमचंद का सपना है कि इस तरह की खेती अन्य किसानों को भी सिखया जाए ताकि वो ट्रडिशनल खेती छोड़ मॉर्डन खेती कर लाखों रुपयों की आमदनी कर सके।

बाइट। प्रेमचंद
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