रोहतास:कहा जाता है कि जब कोई इंसान किसी लक्ष्यको पाने की जिद पर अड़ जायेतो उसे भगवान भी देने से नहीं रोक पाते हैं.कुछ ऐसा ही नजारा रोहतास के तिलौथू में भी देखने को मिला.जहां के एक किसान ने खेती की परिभाषा ही बदल दी है.
तिलौथू के रहने वाले किसान प्रेमचंद ने ट्रेडिशनल खेती छोड़ कर मॉर्डन खेती की तरफ रुख कर लिया है.वैसे तो रोहतासको धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन यहांअब यह किसान मछली उत्पादन कर लाखों रुपये महीने कीकमाई कर रहा है. कुछ वर्णों पहलेप्रेमचंद कुमार का परिवार बेहद मुफलिसी की जिंदगी गुजारने को मजूबर था.
कोलकाता मेंलीमछली पालन की ट्रेनिंग
उनके पास खाने के लिए अनाज तक नहीं रहते थे.प्रेमचंद केपिता एक नौकरी करते थे जिससेउनका परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था,लेकिन प्रेमचंद की गरीबी ने उन्हें कोलकाता का रास्ता चुनने को मजबूर कर दिया.प्रेमचंद ने कोलकाता में मछली पालन की ट्रेनिंग पूरी की.बहरहाल ट्रेनिंग पूरी करने के बाद प्रेमचंद अपने गांव वपस आ गया और मछली पालन का व्यवस्या शुरू कर दिया.
साठ लाख का टर्न ओवर
प्रेमचंद आज एक एकड़ के तालाब मेंमछली पालन कर रहा है.प्रेमचंद ने बताया कि फिलहाल वो तकरीबन साठ लाख से ऊपर का मछली व्यवसायकरताहै.जिससे उसके महीने की आमदनी एक लाख से ऊपर की होती है.वहीं प्रेमचंद ने बताया कि उसके इस रोजगार से कई लोग जुड़े हुए हैं. जिनका परिवार उसी से चल रहा है.
लोग पसंद कर रहे हैं इस व्यवसाय को
प्रेमचंद के मछ्ली पालने की ऐसी तकनीक आसपास के लोगों को खूब रास आ रहीहै.उसने मछलियों को सांप और पक्षियों से बचाने के लिए समूचे तालाब को जाल से ढंक रखा है ताकि मछलियों को कोई नुकसान न पहुंचसके.प्रेमचंद को इस कामयाबी ने पूरे जिले में एक अलग पहचान दिलायी है. वहीं मछलियों की बढ़ती मांग के आगे प्रेमचंद की मछली कई अन्य राज्यों में भी जातीहैं जबकि इससे पहले यहां आंध्रप्रदेश से ही मछलियां मंगाई जाती थीं.