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रोहतास: सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल बर्बाद, अन्नदाताओं ने सरकार से लगाई मदद की गुहार - hundreds acres crop ruined

कहतें हैं कि पानी ही जिन्दगानी है जब बरसती है तो कितनों के चेहरे पर खुशी ला देती है. वहीं जब यह जमकर कर बरसती है तो आफत का सैलाब लाती है. लोगों के चेहरे से खुशियां गायब हो जाती है. सर पर हाथ रख लोग सोचने को मजबूर हो जाते हैं. आखिर करे तो क्या करे. पढ़िए पूरी खबर

सैकड़ों एकड़ में लगी फसल बर्बाद
सैकड़ों एकड़ में लगी फसल बर्बाद
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Published : Aug 28, 2021, 1:12 AM IST

रोहतास: धान का कटोरा (Rice Bowl) कहे जाने वाले रोहतास जिले में बारिश आफत का कहर (Rain Disaster) बनकर बरस रही है. खासकर पहाड़ी से सटे गांव (Hillside Village) के लोगों के लिए यह मुसीबत से कम नहीं है. आफत की बारिश ने यहां के किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. मुसीबत बनी बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर (Lost Hard Work) कर रख दिया है. आलम यह है कि यहां के किसानों के तकरीबन 100 एकड़ (Hundreds Acre) में लगी धान की फसल (Paddy Crop) पानी में बर्बाद (Wasted In Water) हो गई.

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फसल बर्बाद होने से किसानों का लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. इलाके के किसान सर पर हाथ रख अब सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. दरअसल डेहरी प्रखंड के पाण्डेयपुर में बारिश आफत बन कर बरसी है. पहाड़ी इलाके से आ रही बारिश के पानी में सैकड़ों एकड़ खेत जलमग्न हो गए हैं. नजर जहां तक जाती है सिर्फ पानी ही पानी नजर आता है.

देखें वीडियो

अगर नजर नहीं आता है तो किसानों के चहरे पर खुशी. खुशी का गायब होना भी लाजिमी है. बड़े ही मेहनत से किसानों ने धान की फसल लगाई था. इस उम्मीद से कि धान से उपजे चावल को बेच कर परिवार के लोगों का खर्च चलाएंगे. ऐसे में बारिश ने जो सितम ढाया वो बयां करना मुश्किल है.

ये भी पढ़ें- बाढ़ राहत की मांग को लेकर भाकपा माले ने NH 57 किया जाम, छात्रों की छूटी परीक्षा
किसान संजीत कहते है कि लघु सिंचाई विभाग की लापरवाही की वजह से, पहाड़ी पानी की समुचित निकासी नहीं होने से खेतों में पानी भर गया है. पहले तीन कलवर्ट थे पर लघु सिंचाई विभाग के द्वारा नए आहर पर दो कलवर्ट बन्द कर दिया गया. जिससे पानी की निकासी रुक गई. खेतों में बारिश के बाढ़ का पानी से सारी फसल बर्बाद हो गई.

किसान रियाजुद्दीन कहते हैं कि की सम्पत्ति उनकी तबाह हो गयी है. उनके पास अब कोई चारा नहीं है. ऐसे में गावं के किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. बताते चलें कि बिहार में बाढ़ (Flood) का कहर जारी है. कई नदियां अभी भी खतरे के निशान (Danger Mark) से ऊपर है.

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केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission) के अनुसार पटना जिले के गांधी घाट में गंगा नदी का जलस्तर 32 सेंटीमीटर नीचे है. जबकि हाथीदह में भी गंगा का जलस्तर 29 सेंटीमीटर ऊपर है. इसके जलस्तर में 8 सेंटीमीटर कमी होने की संभावना है. केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक मुंगेर में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 100 सेंटीमीटर नीचे है.

इसके जलस्तर में 6 सेंटीमीटर कमी होने की संभावना है. भागलपुर में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे. भागलपुर के कहलगांव में 61 सेंटीमीटर ऊपर है और साहिबगंज में 89 सेंटीमीटर ऊपर है. फरक्का में ही गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है और सभी स्थानों पर जल स्तर में कमी होने की संभावना है.

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वहीं, पिछले 24 घंटे के दौरान बिहार के कई इलाकों में बारिश हुई है. चनपटिया में 63 मिलीमीटर, समस्तीपुर में 78 मिलीमीटर, जयनगर में 128 मिलीमीटर, रेवा घाट पर 179 मिलीमीटर, खगड़िया में 59 मिलीमीटर, लालगंज में 57 मिलीमीटर, ढेंग बृज में 71 मिलीमीटर और गलगलिया में 55 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. गुरुवार को दीघा घाट पर खतरे का निशान 49.34, गांधी घाट पर खतरे का निशान 48.28 और हाथीदह में खतरे का निशान 42.05 मीटर जलस्तर दर्ज किया गया.

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फसल बर्बाद होने से किसानों का लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. इलाके के किसान सर पर हाथ रख अब सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. दरअसल डेहरी प्रखंड के पाण्डेयपुर में बारिश आफत बन कर बरसी है. पहाड़ी इलाके से आ रही बारिश के पानी में सैकड़ों एकड़ खेत जलमग्न हो गए हैं. नजर जहां तक जाती है सिर्फ पानी ही पानी नजर आता है.

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अगर नजर नहीं आता है तो किसानों के चहरे पर खुशी. खुशी का गायब होना भी लाजिमी है. बड़े ही मेहनत से किसानों ने धान की फसल लगाई था. इस उम्मीद से कि धान से उपजे चावल को बेच कर परिवार के लोगों का खर्च चलाएंगे. ऐसे में बारिश ने जो सितम ढाया वो बयां करना मुश्किल है.

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किसान संजीत कहते है कि लघु सिंचाई विभाग की लापरवाही की वजह से, पहाड़ी पानी की समुचित निकासी नहीं होने से खेतों में पानी भर गया है. पहले तीन कलवर्ट थे पर लघु सिंचाई विभाग के द्वारा नए आहर पर दो कलवर्ट बन्द कर दिया गया. जिससे पानी की निकासी रुक गई. खेतों में बारिश के बाढ़ का पानी से सारी फसल बर्बाद हो गई.

किसान रियाजुद्दीन कहते हैं कि की सम्पत्ति उनकी तबाह हो गयी है. उनके पास अब कोई चारा नहीं है. ऐसे में गावं के किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. बताते चलें कि बिहार में बाढ़ (Flood) का कहर जारी है. कई नदियां अभी भी खतरे के निशान (Danger Mark) से ऊपर है.

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केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission) के अनुसार पटना जिले के गांधी घाट में गंगा नदी का जलस्तर 32 सेंटीमीटर नीचे है. जबकि हाथीदह में भी गंगा का जलस्तर 29 सेंटीमीटर ऊपर है. इसके जलस्तर में 8 सेंटीमीटर कमी होने की संभावना है. केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक मुंगेर में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 100 सेंटीमीटर नीचे है.

इसके जलस्तर में 6 सेंटीमीटर कमी होने की संभावना है. भागलपुर में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे. भागलपुर के कहलगांव में 61 सेंटीमीटर ऊपर है और साहिबगंज में 89 सेंटीमीटर ऊपर है. फरक्का में ही गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है और सभी स्थानों पर जल स्तर में कमी होने की संभावना है.

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वहीं, पिछले 24 घंटे के दौरान बिहार के कई इलाकों में बारिश हुई है. चनपटिया में 63 मिलीमीटर, समस्तीपुर में 78 मिलीमीटर, जयनगर में 128 मिलीमीटर, रेवा घाट पर 179 मिलीमीटर, खगड़िया में 59 मिलीमीटर, लालगंज में 57 मिलीमीटर, ढेंग बृज में 71 मिलीमीटर और गलगलिया में 55 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. गुरुवार को दीघा घाट पर खतरे का निशान 49.34, गांधी घाट पर खतरे का निशान 48.28 और हाथीदह में खतरे का निशान 42.05 मीटर जलस्तर दर्ज किया गया.

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