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बदहाली की मार झेल रहा रोहतास का यह गांव, बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं लोग

नीतीश सरकार भले ही विकास के लाख दावे कर ले मगर प्रदेश में अभी ऐसे कई गांव हैं जो बदहाली की मार झेल रहे हैं.

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Published : May 25, 2019, 1:29 PM IST

तोड़ा गांव

रोहतास: जिले के दिनारा प्रखंड में तोड़ा गांव आज भी बदहाली की मार झेल रहा है. इस गांव में एक भी विकास का कार्य नहीं हुआ है. आजादी के 70 साल बाद भी लोग विकास की आस में बैठे हैं.

बुनियादी सुविधाओं का अभाव
सीएम नीतीश कुमार भले ही विकास के लाख दावे कर लें मगर वो सारे दावे यहां फेल है. इस गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं के अभाव में अपना जीवन काट रहे हैं. इनके पास न तो पक्की सड़क है, ना ही पीने का शुद्ध पानी, ना ही बीजली और ना ही अस्पताल.

शिक्षा से वंचित बच्चे
इतना ही नहीं यहां के बच्चे भी शिक्षा से वंचित हैं. सरकार ने कई ऐसी योजनाएं चलाई हैं, जिससे बच्चों का भविष्य संवारा जा सके. लेकिन इस गांव में ऐसी एक भी योजनाएं नहीं चलाई जा रही है.

ग्रामीण का बयान

अस्पताल की भी व्यवस्था नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि यहां एक भी अस्पताल नहीं है. जब लोगों को अस्पताल जाना होता है तो उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यहां एंबुलेंस गांव के बाहर ही खड़ी रहती है, वहां तक जाने के लिए मरीजों को पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है.

बक्सर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है गांव
बता दें कि यह गांव बक्सर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यहां से केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे सांसद हैं. गांव वालों का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद आज तक अश्विनी चौबे इस गांव में नहीं पहुंचे हैं और ना ही लोगों के लिए कोई विकास का काम किया है.

क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं, इस मामले में जब प्रखंड विकास पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें ईटीवी भारत के माध्यम से मिली है. इसकी जांच-पड़ताल कर जल्द ही कार्य किया जाएगा.

रोहतास: जिले के दिनारा प्रखंड में तोड़ा गांव आज भी बदहाली की मार झेल रहा है. इस गांव में एक भी विकास का कार्य नहीं हुआ है. आजादी के 70 साल बाद भी लोग विकास की आस में बैठे हैं.

बुनियादी सुविधाओं का अभाव
सीएम नीतीश कुमार भले ही विकास के लाख दावे कर लें मगर वो सारे दावे यहां फेल है. इस गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं के अभाव में अपना जीवन काट रहे हैं. इनके पास न तो पक्की सड़क है, ना ही पीने का शुद्ध पानी, ना ही बीजली और ना ही अस्पताल.

शिक्षा से वंचित बच्चे
इतना ही नहीं यहां के बच्चे भी शिक्षा से वंचित हैं. सरकार ने कई ऐसी योजनाएं चलाई हैं, जिससे बच्चों का भविष्य संवारा जा सके. लेकिन इस गांव में ऐसी एक भी योजनाएं नहीं चलाई जा रही है.

ग्रामीण का बयान

अस्पताल की भी व्यवस्था नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि यहां एक भी अस्पताल नहीं है. जब लोगों को अस्पताल जाना होता है तो उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यहां एंबुलेंस गांव के बाहर ही खड़ी रहती है, वहां तक जाने के लिए मरीजों को पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है.

बक्सर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है गांव
बता दें कि यह गांव बक्सर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यहां से केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे सांसद हैं. गांव वालों का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद आज तक अश्विनी चौबे इस गांव में नहीं पहुंचे हैं और ना ही लोगों के लिए कोई विकास का काम किया है.

क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं, इस मामले में जब प्रखंड विकास पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें ईटीवी भारत के माध्यम से मिली है. इसकी जांच-पड़ताल कर जल्द ही कार्य किया जाएगा.

Intro:रोहतास। जिला मुख्यालय 60 किलोमीटर दूर दिनारा प्रखंड के तोड़ा गांव में आज भी विकास की आस में लोग बैठ है। इस गांव में विकास का कोई भी काम हुआ ही नहीं है।


Body:गौरतलब है कि अकोड़ा पंचायत का तोड़ा गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से पूरी तरह से वंचित है। क्योंकि इस गांव को आजादी के बाद एक पक्की सड़क तक नसीब हुई है। इतना ही नहीं बच्चों की जिंदगी बनाने के लिए एक सरकारी स्कूल तक गांव में नहीं है। सरकार ने कई ऐसी योजनाएं चलाई है जिससे बच्चों का भविष्य संवारा जा सके। उन्हीं योजनाओं में से एक आंगनबाड़ी योजना भी है जो हर वार्ड में संचालित होता है। लेकिन अफसोस इस गांव में एक आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं बन सका है। वही इस गांव में स्कूल की बात करना तो बेमानी ही होगा क्योंकि आजादी के बाद से अब तक इस गांव में एक स्कूल तक नहीं बना है। सबसे अहम सवाल यह है कि यह गांव बक्सर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है जहां से केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे सांसद हैं। बहरहाल गांव वालों का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद आज तक अश्विनी चौबे इस गांव में नहीं पहुंचे हैं और ना ही लोगों के लिए कोई विकास का काम किया है। वहीं ग्रामीणों का गुस्सा साफ था। ग्रामीणों ने बताया कि यहां एक अस्पताल तक नहीं है। लिहाजा जब लोगों को अस्पताल जाना होता है तो वो नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि एंबुलेंस गांव के बाहर ही खड़ी रहती है जहां मरीजों को पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है। सबसे हम सवाल यह है कि बच्चों की भविष्य के लिए एक भी स्कूल नहीं है। जहां वो अपनी बुनियादी शिक्षा हासिल कर सके। बहरहाल इस मामले में जब प्रखंड विकास पदाधिकारी से बात किया गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी मुझे आपके माध्यम से मिली है। लिहाज़ा जांच के बाद फौरन कार्रवाई की जाएगी।


Conclusion:बहरहाल सरकार जितना विकास के दावे करती है हकीकत में आज भी गांव विकास से कोसों दूर है। ज़हीर है राजनेताओं को जनता के हित की कोई फिक्र नहीं है चाहे वह किसी भी हाल में अपनी जिंदगी गुजार रहा हो।

बाइट। ग्रामीण
बाइट। बीडीओ दिनारा
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