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रोहतास: फर्श पर पढ़ाई कर रहे बच्चों के अरमान कैसे पहुंचेंगे अर्श तक? - ठण्ड में बच्चे जमीन पर बैठ करते है पढ़ाई

गंगौली स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में बच्चे दरी पर बैठकर इसलिए पढ़ाई कर रहे हैं क्योंकि इनके क्लास रूम में बैठने के लिए बेंच-डेस्क नहीं है. यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों का भी अभाव है. जिस कारण बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं.

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Published : Dec 17, 2019, 2:35 PM IST

रोहतासः जिले में जहां एक तरफ सूबे की नीतीश सरकार बिहार में बेहतर शिक्षा व्यवस्था का दावा करती है. वहीं, शिक्षा विभाग शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करती है. लेकिन स्कूलों में बदइंतजामी का आलम यह है कि बच्चों के पढ़ने के लिए बेंच और डेस्क तक नहीं हैं. गंगौली स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय के बच्चे ठंड में भी विद्यालय के कैम्पस में दरी पर बैठकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं.

क्या है विद्यालय की हालत
दरअसल, जिले के गंगौली स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में बच्चे दरी पर बैठकर इसलिए पढ़ाई कर रहे हैं, क्योंकि इनके क्लास रूम में बैठने के लिए बेंच और डेस्क की व्यवस्था नहीं है. यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों का भी अभाव हैं. जिस कारण बच्चे पढ़ नहीं पा रहें हैं. स्थिति यह है कि 498 बच्चों पर सिर्फ 12 शिक्षक हैं. जिनमें से तीन डिप्यूटेशन और दो छुट्टी पर हैं. यह विद्यालय महज 7 शिक्षकों के सहारे ही चल रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

दरी पर पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे
दूसरी ओर विद्यालय में 7 कमरे होने के बावजूद सिर्फ चार कमरे ही बच्चों के लिए उपयोग में लाया जाता है. बाकी बच्चे इस ठंड में भी विद्यालय के कैंपस में ही दरी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. विद्यालय की छात्राओं की मानें तो शिक्षकों और क्लासरूम के अभाव के कारण उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती है. यहां तक कि तीन सब्जेक्ट के ही टीचर होने के कारण सिलेबस अधूरे रह जाते हैं. जिससे उन्हें पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है .

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दरी पर पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे

क्या कहना है प्रिंसिपल का
हालांकि इस संबंध में जब स्कूल के प्रिंसिपल से बात की गई तो उनका कहना था कि विद्यालय की कमियों को सुधारने के लिए वह प्रयासरत हैं और ऊपर के अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं.

रोहतासः जिले में जहां एक तरफ सूबे की नीतीश सरकार बिहार में बेहतर शिक्षा व्यवस्था का दावा करती है. वहीं, शिक्षा विभाग शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करती है. लेकिन स्कूलों में बदइंतजामी का आलम यह है कि बच्चों के पढ़ने के लिए बेंच और डेस्क तक नहीं हैं. गंगौली स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय के बच्चे ठंड में भी विद्यालय के कैम्पस में दरी पर बैठकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं.

क्या है विद्यालय की हालत
दरअसल, जिले के गंगौली स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में बच्चे दरी पर बैठकर इसलिए पढ़ाई कर रहे हैं, क्योंकि इनके क्लास रूम में बैठने के लिए बेंच और डेस्क की व्यवस्था नहीं है. यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों का भी अभाव हैं. जिस कारण बच्चे पढ़ नहीं पा रहें हैं. स्थिति यह है कि 498 बच्चों पर सिर्फ 12 शिक्षक हैं. जिनमें से तीन डिप्यूटेशन और दो छुट्टी पर हैं. यह विद्यालय महज 7 शिक्षकों के सहारे ही चल रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

दरी पर पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे
दूसरी ओर विद्यालय में 7 कमरे होने के बावजूद सिर्फ चार कमरे ही बच्चों के लिए उपयोग में लाया जाता है. बाकी बच्चे इस ठंड में भी विद्यालय के कैंपस में ही दरी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. विद्यालय की छात्राओं की मानें तो शिक्षकों और क्लासरूम के अभाव के कारण उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती है. यहां तक कि तीन सब्जेक्ट के ही टीचर होने के कारण सिलेबस अधूरे रह जाते हैं. जिससे उन्हें पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है .

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दरी पर पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे

क्या कहना है प्रिंसिपल का
हालांकि इस संबंध में जब स्कूल के प्रिंसिपल से बात की गई तो उनका कहना था कि विद्यालय की कमियों को सुधारने के लिए वह प्रयासरत हैं और ऊपर के अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं.

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रोहतास एक तरफ सुबे की नीतीश सरकार बिहार में बेहतर शिक्षा व्यवस्था का दावा करती है वहीं शिक्षा विभाग शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करती है मगर स्कूलों में बदइंतजामी का आलम यह है कि बच्चों के पढ़ने के लिए बेंच और डेस्क तक नहीं है वह बिद्यालय के कैम्पस में ही दरी पर बैठ पढाई करने को मजबूर हैं देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट




Body:दरअसल यह तस्वीरें हैं जिले के गंगौली स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय की इस विद्यालय में बच्चे दरी पर बैठकर इसलिए पढ़ाई कर रहे हैं क्योंकि इनके क्लास रूम में बैठने के लिए बेंच -डेस्क नहीं है यहां बच्चो को पढ़ाने के लिए शिक्षकों का भी अभाव है जिस कारण बच्चे पढ़ नहीं पा रहें हैं स्थिति यह है कि 498 बच्चों पर सिर्फ 12 शिक्षक हैं जिनमें से तीन डिप्यूटेशन और दो छुट्टी पर हैं इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि महज 7 शिक्षकों के सहारे ही यह विद्यालय चल रहा है

दूसरी और विद्यालय में 7 कमरे होने के बावजूद सिर्फ चार कमरे ही बच्चों के लिए उपयोग में लाया जाता है बाकी बच्चे इस ठंड और में भी बिद्यालय के कैंपस में ही दरी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं विद्यालय की छात्राओं की माने तो शिक्षकों और क्लासरूम के अभाव के कारण उनके पढ़ाई की पूरी नहीं हो पाती है यहां तक कि तीन सब्जेक्ट के ही टीचर होने के कारण सिलेबस अधूरे रह जाते हैं
इस बाबत कई बार उन्होंने हेड मास्टर से शिकायत भी की पर नतीजा सिफर रहा हालांकि इस संबंध में जब स्कूल के प्रिंसिपल से बात की गई तो उनका कहना था कि विद्यालय की कमियों को सुधारने के लिए वह प्रयासरत हैं और ऊपर के अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं


Conclusion:बहरहाल इस सरकारी बिद्यालय की तस्वीर ने सरकार के स्लोगन सब पढ़े सब बढ़े की पोल खोल कर रख दी है देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की इस सरकारी विद्यालय पर कब नजरें इनायत होती हैं

बाइट - नरगिस परवीन छात्रा
बाइट - ज्योति छात्रा
बाइट- उतीम नारायण सिंह हेड मास्टर
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