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किस काम की है सरकार की ये 15 योजनाएं? जब दाने-दाने को मोहताज है महादलित परिवार

बिहार में महादलित परिवारों के लिए 15 से ज्यादा योजनाएं चलाई जा रही है. लेकिन रोहतास से एक ऐसी तस्वीरें सामने आई है. जिससे यह साबित होता है कि सरकार की योजनाएं धरातल पर नहीं उतर रही है. रिपोर्ट देखिए.

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Published : Feb 23, 2021, 12:11 PM IST

Updated : Feb 23, 2021, 2:38 PM IST

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रोहतास: बिहार में महादलित परिवारों के लिए चलाई जा रही है योजनाएं जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाती है. यह यूं ही नहीं कहा जा रहा है. दरअसल रोहतास में एक महादलित परिवार की सात बच्चियों के पास न तो रहने के लिए मकान है न ही खाने के लिए अनाज. ईटीवी की टीम जब इस परिवार से बात करने पहुंची तो अपना दर्द बयां करते करते बच्चियों की दादी की आँखों से आंसू छलक पड़े.

ना रहने को घर है ना खाने को अनाज
डेहरी प्रखंड स्थित चिलबिला गांव के भुईयां टोला में रह रही 7 बच्चियों के पास न तो रहने को मकान है और नहीं खाने को अनाज. सबसे बड़ी बात है कि इन बच्चियों के सर से मां-बाप का भी साया उठ चुका है. इनको पालने वाले दादा-दादी भी परेशान हैं कि इन बच्चियों का कैसे पालन पोषण होगा? कैसे ये पढेंगी? कैसे इनकी शादी होगी? चिलबिला गांव के ही नहर किनारे टूटी फूटी झोपड़ी में रह रहा महादलित परिवार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है.

र्ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मां-बाप का उठ चुका है साया
बच्चियों के दादा प्रसाद भुईयां बताते हैं कि उनके बेटे मनोज राम की मौत 23 जुलाई 2019 को और बहू प्रमिला की मौत 29 अगस्त 2019 को बीमारी के कारण हो गई थी. उनकी 7 बेटियां हैं. बड़ी बेटी रूबी कुमारी 16 वर्ष, रिंकी 14 वर्ष, मालती 10 वर्ष , जुड़वा बहन पूनम व चिंता 6 वर्ष ,खुशी कुमारी 5 वर्ष तथा सोनी कुमारी 4 वर्ष की है. इसमें दो बच्चियों को आंगनबाड़ी से तथा एक को विद्यालय में खाने को अनाज मिलता है.

महादलित परिवार
महादलित परिवार

कभी मिलता है खाना तो कभी सोना पड़ता है भूखे
बताते हैं कि बच्चियों की देखरेख फिलहाल दादा-दादी और चाचा करते हैं. दादा-दादी बुढ़े हो गए हैं. लिहाजा उनमें अब इतनी ताकत नहीं है कि वह कमा कर बच्चियों को पेट भर सकें. बच्चियों के चाचा मजदूरी करते हैं. वो बताते हैं कि अगर काम मिलता है तो कुछ अनाज खरीद कर लाते हैं जिससे सभी का पेट भरता है लेकिन काम नहीं मिलने पर कभी-कभी भूखे सोना पड़ता है.

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टूटा हुआ घर

किस काम की ये महादलित योजनाएं?

  • दशरथ मांझी कौशल विकास योजना
  • मुख्यमंत्री महादलित पोशाक योजना
  • विकास मित्र योजना
  • महादलित शौचालय निर्माण योजना
  • मुख्यमंत्री महादलित रेडियो योजना
  • सामुदायिक भवन-सह-वर्कशेड
  • महादलित आवास भूमि योजना
  • महादलित जलापूर्ति योजना
  • मुख्यमंत्री नारी ज्योति कार्यक्रम
  • महादलित क्रेश
  • धनवंतरी मोबाइल चिकित्सा योजना
  • महादलित स्वास्थ्य-कार्ड योजना
  • महादलित बस्ति सम्पर्क योजना
  • अनुसूचित जाति आवासीय विद्मालय
  • महादलित आंगनबाड़ी योजना

अब ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता व बाल अधिकार संरक्षण पर कार्य करने वाले संतोष उपाध्याय की शिकायत पर सीडब्ल्यूसी ने इस मामले में संज्ञान लिया है. बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने जिला बाल संरक्षण इकाई और चाइल्डलाइन को इसकी जांच करने का निर्देश दिया है. जिसकी रिपोर्ट 3 दिनों के अंदर बाल कल्याण समिति को सौंपनी है.

रोहतास: बिहार में महादलित परिवारों के लिए चलाई जा रही है योजनाएं जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाती है. यह यूं ही नहीं कहा जा रहा है. दरअसल रोहतास में एक महादलित परिवार की सात बच्चियों के पास न तो रहने के लिए मकान है न ही खाने के लिए अनाज. ईटीवी की टीम जब इस परिवार से बात करने पहुंची तो अपना दर्द बयां करते करते बच्चियों की दादी की आँखों से आंसू छलक पड़े.

ना रहने को घर है ना खाने को अनाज
डेहरी प्रखंड स्थित चिलबिला गांव के भुईयां टोला में रह रही 7 बच्चियों के पास न तो रहने को मकान है और नहीं खाने को अनाज. सबसे बड़ी बात है कि इन बच्चियों के सर से मां-बाप का भी साया उठ चुका है. इनको पालने वाले दादा-दादी भी परेशान हैं कि इन बच्चियों का कैसे पालन पोषण होगा? कैसे ये पढेंगी? कैसे इनकी शादी होगी? चिलबिला गांव के ही नहर किनारे टूटी फूटी झोपड़ी में रह रहा महादलित परिवार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है.

र्ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मां-बाप का उठ चुका है साया
बच्चियों के दादा प्रसाद भुईयां बताते हैं कि उनके बेटे मनोज राम की मौत 23 जुलाई 2019 को और बहू प्रमिला की मौत 29 अगस्त 2019 को बीमारी के कारण हो गई थी. उनकी 7 बेटियां हैं. बड़ी बेटी रूबी कुमारी 16 वर्ष, रिंकी 14 वर्ष, मालती 10 वर्ष , जुड़वा बहन पूनम व चिंता 6 वर्ष ,खुशी कुमारी 5 वर्ष तथा सोनी कुमारी 4 वर्ष की है. इसमें दो बच्चियों को आंगनबाड़ी से तथा एक को विद्यालय में खाने को अनाज मिलता है.

महादलित परिवार
महादलित परिवार

कभी मिलता है खाना तो कभी सोना पड़ता है भूखे
बताते हैं कि बच्चियों की देखरेख फिलहाल दादा-दादी और चाचा करते हैं. दादा-दादी बुढ़े हो गए हैं. लिहाजा उनमें अब इतनी ताकत नहीं है कि वह कमा कर बच्चियों को पेट भर सकें. बच्चियों के चाचा मजदूरी करते हैं. वो बताते हैं कि अगर काम मिलता है तो कुछ अनाज खरीद कर लाते हैं जिससे सभी का पेट भरता है लेकिन काम नहीं मिलने पर कभी-कभी भूखे सोना पड़ता है.

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टूटा हुआ घर

किस काम की ये महादलित योजनाएं?

  • दशरथ मांझी कौशल विकास योजना
  • मुख्यमंत्री महादलित पोशाक योजना
  • विकास मित्र योजना
  • महादलित शौचालय निर्माण योजना
  • मुख्यमंत्री महादलित रेडियो योजना
  • सामुदायिक भवन-सह-वर्कशेड
  • महादलित आवास भूमि योजना
  • महादलित जलापूर्ति योजना
  • मुख्यमंत्री नारी ज्योति कार्यक्रम
  • महादलित क्रेश
  • धनवंतरी मोबाइल चिकित्सा योजना
  • महादलित स्वास्थ्य-कार्ड योजना
  • महादलित बस्ति सम्पर्क योजना
  • अनुसूचित जाति आवासीय विद्मालय
  • महादलित आंगनबाड़ी योजना

अब ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता व बाल अधिकार संरक्षण पर कार्य करने वाले संतोष उपाध्याय की शिकायत पर सीडब्ल्यूसी ने इस मामले में संज्ञान लिया है. बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने जिला बाल संरक्षण इकाई और चाइल्डलाइन को इसकी जांच करने का निर्देश दिया है. जिसकी रिपोर्ट 3 दिनों के अंदर बाल कल्याण समिति को सौंपनी है.

Last Updated : Feb 23, 2021, 2:38 PM IST
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