खगड़िया: कोरोना वायरस को लेकर देशव्यापी लॉकडाउन जारी है. इसके कारण आमजनों को काफी परेशानी हो रही है. वहीं, रोज कमाने-खाने वाले लोगों के सामने भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं. इस बीच बिहार में इन दिनों प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने की चर्चा चल रही है. लेकिन, ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर बाहर से आ रहे लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार मिलेगा तो देश भी बेरोजगार बैठे लोगों का क्या होगा?
दरअसल, खगड़िया में कई ऐसे मजदूर हैं जो दिहाड़ी पर काम करते हैं और रोज मिले पैसों से राशन का बंदोबस्त करते हैं. लेकिन, इन दिनों जब से लॉकडाउन हुआ है तब से इनका रोजगार छीन गया है. ऐसे में इनकी मांग है कि पहले यहां रह रहे लोगों को जिला प्रसाशन की ओर से मनरेगा के तहत काम मिले तब जाकर बाहर से आने वालों पर विचार करे.
पीड़ितों ने सुनाई आपबीती
आर्थिक तंगी झेल रहे मजदूरों का कहना है कि मौजूदा समय में उन्हें ना ही कोई निजी काम मिल रहा है और ना ही सरकारी कामों में मजदूरी का काम मिल पा रहा है. ऐसे में खगड़िया जिला प्रशासन 40 हजार प्रवासियों को कैसे रोजगार दे पायगा. मनशी प्रखंड के बख्तियारपुर गांव के महादलित समाज के लोगों की मानें तो आज उनका परिवार दाने-दाने का मोहताज हो गया है. मजदूरों का कहना है कि रोजगार नहीं होने से राशन की भी आफत है. राशन कार्ड के अभाव में कोई सरकारी मदद भी नहीं मिल रही है.
रोजगार देने के लिए बनाई जाएगी रणनीति- डीएम
पूरे मामले पर जिला अधिकारी आलोक रजंन घोष का कहना है कि बाहर से आने वाले प्रवासियों के लिए रणनीति बनाई गई है. उन्हें मनरेगा के तहत रोजगार दिया जायगा. डीएम ने ये भी बताया कि अब तक 800 लोगों के ऑनलाइन आवेदन आ चुके हैं और ऑनलाइन आवेदन करने के लिए जो लिंक क्रिएट किया गया है उसका नाम कर्मा दिया गया है. जानकारी के मुताबिक अब तक 26 हजार प्रवासी खगड़िया आ चुके हैं. ऐसे में देखते हैं कि प्रशासन कैसे स्थानीय और प्रवासियों को रोजगार मुहैया कराता है.